Mughal Mosque: दिल्ली हाई कोर्ट का निर्देश, कुतुब मीनार परिसर में स्थित मुगल मस्जिद संरक्षित स्मारक है या नहीं? बताए ASI

Mughal Mosque: मस्जिद की मैनेजमेंट कमेटी ने नमाज अदा करन पर लगी प्रतिबंध के विरूद्ध यह याचिका दाखिल की थी। इस केस की सुनवाई जस्टिस प्रतीक जालान कर रहे थे।

Update: 2023-07-23 11:09 GMT
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Mughal Mosque: दिल्ली हाई कोर्ट ने कुतुब मीनार परिसर में स्थित मस्जिद में नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगाने संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए आर्कियोलॉजीकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को निर्देश दिया है कि परिसर में मुगल मस्जिद संरक्षित स्मारक है या नहीं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट करने के लिए कहा है कि यदि मस्जिद संरक्षित स्मारक है तो वहां पर नमाज अदा किया जा सरकता है या नहीं।

तीन हफ्ते के अंदर लिखित दलील पेश करने के निर्देश

बार एंड बेंचर न्यूज के अनुसार मस्जिद की मैनेजमेंट कमेटी ने नमाज अदा करन पर लगी प्रतिबंध के विरूद्ध यह याचिका दाखिल की थी। इस केस की सुनवाई जस्टिस प्रतीक जालान कर रहे थे। कोर्ट नें दोनों पक्षों को लिखित दलील तीन हफ्ते के अंदर दाखिल करने के लिए कहा है। लिखित दलील उन साक्ष्यों के साथ पेश करने के लिए कहा गया है, जिसपर वे भरोसा करना चाहते हैं। कोर्ट इसकी अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को करेगा।

कोर्ट ने क्या कहा

कोर्ट द्वारा 20 जुलाई को जारी आदेश में कहा गया है कि एएसआई के वकील की ओर से दाखिल प्रारंभिक प्रस्तुतियों के आधार पर ऐसा लगता है कि अन्य मुद्दों के साथ इस बात पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि क्या मस्जिद 24 जनवरी, 1914 की अधिसूचना के तहत संरक्षित क्षेत्र में शामिल है या नहीं। क्या वहां पर नमाज पढ़ने पर रोक लगायी जा सकती हैं। कोर्ट में विचाराधीन मंस्जिद, जिसे मुगल मस्जिद कहा जाता है। यह कुतुब मिनार परिसर के अंदर स्थित है। लेकिन यह मस्जिद कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद से एलग है। इस मस्जिद का मामला साकेत कोर्ट में लंबित है।

दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से नामित समिति का दावा

दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से नामित याचिकाकर्ता समिति का दवा है कि मस्जिद 1914 की अधिसूचना में एएसआई द्वारा अधिसूचित संरक्षित स्मारकों में शामिल नहीं है। इसके अलावां यहां पर 13 मई 2022 तक नमाज अदा की जा रही थी। उनका कहना है कि पिछले साल अधिकारियों ने बिना किसी नोटिस के मस्जिद में नमाज बंद करा दी है। प्रबंधन समिति को इसकी सूचना भी नहीं दी गई थी। प्रबंधन समिति ने इस फैसले को गैर कानूनी और मनमाना बताया था।

आर्कियोलॉजिकल विभाग ने क्या कहा

आर्कियोलॉजिकल विभाग ने बताया कि मुगल मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित किए जाने के बाद से इसके अंदर कोई नमाज अदा नहीं की गई है। बता दें कि कोर्ट नें इसपर भी स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है।

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