BBC Documentary Controversy: डॉक्यूमेंट्री केस में बीबीसी को दिल्ली हाईकोर्ट ने भेजा नोटिस, 15 सितंबर को होगी अगली सुनवा

BBC Documentary Controversy: याचिकाकर्ता एनजीओ का कहना है कि इस डॉक्यूमेंट्री के जरिए भारत, यहां की न्याय व्यवस्था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल किया गया है।

Update:2023-05-22 19:44 IST
Delhi High Court (photo: social media

BBC Documentary Controversy: साल 2002 में हुए गुजरात दंगों पर बनी ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) की विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री का मामला एकबार फिर खबरों में लौट आया है। दिल्ली हाईकोर्ट में इस डॉक्यूमेंट्री दायर किए गए मानहानि के मुकदमे में बीबीसी को नोटिस जारी हुआ है। याचिकाकर्ता एनजीओ का कहना है कि इस डॉक्यूमेंट्री के जरिए भारत, यहां की न्याय व्यवस्था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल किया गया है। जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए बीबीसी यूके और बीबीसी इंडिया को नोटिस जारी किया है।

जानकारी के मुताबिक, इस नोटिस में गुजरात के एनजीओ के द्वारा फाइल किए गए मामले में उनकी प्रतिक्रिया मांगी है। इस याचिका में एनजीओ की ओर से कहा गया है कि बीबीसी यूके द्वारा इंडिया: द मोदी क्वेश्चन नाम से एक डॉक्यूमेंट्री जारी की गई, जिसके दो भाग हैं। याचिका में बताया कि बीबीसी इंडिया मीडिया संस्थान बीबीसी का लोकल ऑपरेशन ऑफिस है।

देश की न्यायपालिका को अपमानित किया गया

दिल्ली हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से जाने-माने वकील हरीश साल्वे पेश हुए। उन्होंने अदालत में अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि बीबीसी के खिलाफ मानहानि का यह मामला उस डॉक्यूमेंट्री को लेकर दर्ज किया गया है, जिसने भारत और यहां की पूरी न्यायपालिका को अपमानित करने का काम किया है।

साल्वे ने आगे कहा कि इस डॉक्यूमेंट्री के जरिए पीएम मोदी के खिलाफ आक्षेप लगाए गए हैं। इस दो भागों वाले इस सीरीज के जरिए देश की प्रतिष्ठा को कलंकित करने का प्रयास किया गया है। दलीलें सुनने के बाद जस्टिस सचिन दत्ता ने बीबीसी को नोटिस भेज जवाब देने का कहा। इस मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी।

रोहिणी कोर्ट भी दायर कर चुकी है समन

हाईकोर्ट से पहले दिल्ली की रोहिणी कोर्ट भी झारखंड बीजेपी के एक नेता की मानहानि याचिका पर बीबीसी को समन जारी कर चुकी है। इस मामले में अदालत ने 30 दिन के अंदर ब्रिटिश मीडिया संस्थान को लिखित में जवाब पेश करने को कहा है। इसके अलावा विकीपीडिया फंडेड विकिमीडिया फाउंडेशन और यूएस स्थित डिजिटल लाइब्रेरी को भी समन जारी किया गया है।

क्या है डॉक्यूमेंट्री विवाद ?

बीबीसी ने गुजरात दंगों पर जनवरी में एक डॉक्यूमेंट्री रिलीज की थी, जिसमें दो भाग हैं। पहले भाग के रिलीज होते ही भारत में बवाल मच गया था। भारत सरकार और सत्तारूढ़ बीजेपी की ओर से इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी गई थी। केंद्र सरकार ने तो देश में इसके प्रचार-प्रसार पर रोक लगा दी थी। दरअसल, इसमें राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। जिसके कारण सत्ताधारी की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली।

जेएनयू, जामिया समेत देश के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में इसकी स्क्रीनिंग को लेकर जमकर बवाल हुआ। बीजेपी के छात्र संगठन और विपक्षी दलों के छात्र संगठन आपस में भिड़ गए। इसी दौरान बीबीसी के दिल्ली-मुंबई स्थित दफ्तर पर इनकम टैक्स के छापे भी पड़े, जिसे इस विवाद से ही जोड़कर देखा गया। गुजरात, मध्य प्रदेश, असम और महाराष्ट्र जैसे बीजेपी शासित राज्यों ने बीबीसी के खिलाफ विधानसभा से निंदा प्रस्ताव पारित कर दिया।

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