डा. धर्मशक्तु व कुष्ठ रोग मिशन ट्रस्ट को इस काम के लिए अंतरराष्ट्रीय गांधी पुरस्‍कार

राष्‍ट्रपति ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि ‘हमने पिछले सालों में कुष्‍ठ रोग के खिलाफ चलाए गए अभियान में काफी कुछ हासिल किया है। प्रति दस हजार आबादी पर एक मामले से भी कम के रूप में परिभाषित कुष्ठ उन्मूलन के स्तर को हासिल किया गया है।

Update: 2020-02-06 12:49 GMT

नई दिल्लीः राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने (6 फरवरी 2020) कुष्ठ रोग के खिलाफ किए गए प्रयासों के लिए डा. एनएस धर्मशक्‍तु को व्‍यक्तिगत श्रेणी तथा कुष्ठ रोग मिशन ट्रस्‍ट को संस्‍थागत श्रेणी में अंतरराष्‍ट्रीय गांधी पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया।

राष्‍ट्रपति ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि ‘हमने पिछले सालों में कुष्‍ठ रोग के खिलाफ चलाए गए अभियान में काफी कुछ हासिल किया है। प्रति दस हजार आबादी पर एक मामले से भी कम के रूप में परिभाषित कुष्ठ उन्मूलन के स्तर को हासिल किया गया है।

इसके अलावा, कुष्ठ रोग के खिलाफ पूर्वाग्रह तथा उसे एक सामाजिक अभिशाप के रूप में देखने का चलन, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, संगठनों और सामुदायिक कार्यकर्ताओं के निरंतर काम की बदौलत काफी कम हो गया है।

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हालाँकि इसके बावजूद हम इस रोग के खिलाफ अपनी सतर्कता कम नहीं कर सकते क्‍योंकि इसके नए मामले प्रकाश में आते रहते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि कुष्ठ नियंत्रण गतिविधियों में प्रमुख चुनौती नियंत्रण गतिविधियों पर ध्‍यान केन्द्रित रखना तथा इसमें सतता बनाए रखना है।

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राष्‍ट्रपति ने कहा हमें कुष्ठ रोगों के मामलों के शीघ्र पता लगाने की दिशा में अपने प्रयासों को तेज करने के साथ ही इसके उपचार के लिए आसान पहुंच सुनिश्चित करना तथा ऐसे क्षेत्रों में एकीकृत कुष्‍ठ रोग सेवाएं प्रदान करना है जिन क्षेत्रों में इस रोग को लेकर ज्‍यादा ध्‍यान दिया जा रहा है।

अभिशाप चिंता का कारण

राष्ट्रपति ने कहा कि चिकित्सा स्थिति से अधिक इस बीमारी से सामाजिक अभिशाप का मामला ज्‍यादा जुड़ा है जो चिंता का कारण है। ऐसे में इस रोग के विभिन्न आयामों के बारे में हमें खुद जागरूक होना पड़ेगा तथा लोगों को इसके बारे में शिक्षित करना होगा।

इसके साथ ही हमें सूचनाओं के प्रसार के माध्यम से उन लोगों को सशक्त बनाने की आवश्यकता है, जिनके साथ कुष्‍ठ रोग के कारण भेदभाव किया गया है।

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