दुश्मनों का काल! बिना पायलट चलता है भारत का ये खतरनाक रुस्तम-2

उड़ान के दौरान चित्रदुर्ग जिले के जोडीचिकेनहल्ली में सुबह 6 बजे रुस्तम-2 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ। इस विमान को तापस बीएच-201 भी कहते हैं। DRDO का एक अनमैन्ड एरियल व्हीकल यूएवी कर्नाटक में क्रैश हो गया। विमान अपनी परीक्षण उड़ान पर था।

Update: 2023-05-08 23:05 GMT

बेंगलुरु: उड़ान के दौरान चित्रदुर्ग जिले के जोडीचिकेनहल्ली में सुबह 6 बजे रुस्तम-2 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ। इस विमान को तापस बीएच-201 भी कहते हैं। DRDO का एक अनमैन्ड एरियल व्हीकल यूएवी कर्नाटक में क्रैश हो गया। विमान अपनी परीक्षण उड़ान पर था।

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कुछ समय पहले भी रुस्तम-2 का परीक्षण उड़ान सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा चुका था। रुस्तम 2 को DRDO ने पूरी तरह स्वदेशी तौर पर विकसित किया है। ये ऐसा ड्रोन है, जो दुश्मन की निगरानी करने, जासूसी करने, दुश्मन ठिकानों की फोटो खींचने के साथ दुश्मन पर हमला करने में भी सक्षम है। इस विमान का इस्तेमाल अमेरिका आंतकियों पर हमले के लिए करता रहा है। उसी तर्ज पर डीआरडीओ ने सेना में शामिल करने के लिए ऐसे ड्रोन बनाए हैं।

रुस्तम 2 ने फरवरी 2018, उसके बाद जुलाई में सफल परीक्षण उड़ान भरी थी। DRDO ने कहा था कि 2020 तक ये ड्रोन सेना में शामिल होने के लिए तैयार होंगे। रुस्तम- 2 अमेरिकी ड्रोन प्रिडेटर जैसा है। प्रिडेटर ड्रोन दुश्मन की निगरानी से लेकर हमला करने में सक्षम है।

कितना शक्तिशाली है रुस्तम-2

रुस्तम-2 को DRDO के एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इसटैब्लिसमेंट (ADE) ने HAL के साथ पार्टनरशिप करके बनाया है। इसका वजन करीब 2 टन का है। विमान की लंबाई 9।5 मीटर की है। रुस्तम-2 के पंखे करीब 21 मीटर लंबे हैं। ये 224 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से उड़ान भर सकता है।

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रुस्तम-2 कई तरह के पेलोड्स ले जाने में सक्षम है। इसमें सिंथेटिक अपर्चर राडार, इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम और सिचुएशनल अवेयरनेस पेलोड्स शामिल हैं।

यह 26 हजार फीट से लेकर 35 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है। रुस्तम-2 एक बार में करीब 1000 किमी की हवाई सफर कर सकता है।

रुस्तम-2 में लगे कैमरे 250 किलोमीटर तक की रेंज में तस्वीरें ले सकते हैं। रुस्तम-2 यूएवी उड़ान के दौरान ज्यादा शोर नहीं करता है। इसलिए दुश्मन की नजर में आए बिना ये हमला करने में सक्षम है। कहा जाता है कि रुस्तम-2 का नाम साइंटिस्ट रुस्तम दमानिया के नाम पर रखा गया है।

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सेना के लिए खास है रुस्तम-2

DRDO ने रुस्तम-2 को यूएवी के 1500 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट से बनाया है। इसे वायुसेना और थलसेना के साथ नौसेना की जरूरतों को देखते हुए बनाया गया है। ये पनडुब्बी से उड़ान भरने में भी सक्षम है। इसके जरिए सेना दुश्मनों की निगरानी कर सकती है। दुश्मन ठिकानों की जासूसी की जा सकती है और जरूरत पड़ने पर इसके जरिए हमला भी किया जा सकता है।

जानकार बताते हैं कि सेना को रुस्तम-2 जैसे 400 ड्रोन्स की जरूरत है। जबकि अभी सेना के पास करीब 200 ड्रोन्स हैं।

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