चीन की मजबूती: लेकिन फिर भी भारत ही देगा चुनौती, जाने इसकी खास वजह
पिछले एक दशक में वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका बढ़ी है, ऐसे में भारत ब्रिक्स में भी लीडरशिप करना चाहता है। भारत ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर इस संगठन का आतंकवाद के प्रति रुख को सख्त बनाया है।
लखनऊ: पांच देशों का संगठन, ब्रिक्स आज एक ताकतवर मोर्चा बन चुका है और इसकी पांच अर्थव्यवस्थाओं की दुनिया की कुल जनसंख्या में 42 फीसदी, वैश्विक जीडीपी का 23 फीसदी और वैश्विक व्यापार का करीब 17 फीसदी हिस्सेदारी है। भारत के लिए यह संगठन काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विकासशील देशों की उभरती हुई आवाज बन चुका है।
ये भी पढ़ें:IPS बनी करोड़पति: पूरी दुनिया ने देखा इस बेटी का हुनर, बन गई सबके लिए मिसाल
पिछले एक दशक में वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका बढ़ी है, ऐसे में भारत ब्रिक्स में भी लीडरशिप करना चाहता है। भारत ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर इस संगठन का आतंकवाद के प्रति रुख को सख्त बनाया है। कोरोना काल में आये संकट से निपटने में ब्रिक्स की भूमिका महत्वपूर्ण है। भारत इसमें लीडरशिप लेकर एक नया रास्ता दिखा सकता है।
चीन की मजबूती
ब्रिक्स देशों में चीन सबसे मजबूत हैं। ब्रिक्स देशों की संयुक्त जीडीपी में 68 फीसदी हिस्सा अकेले चीन का है। ऐसे में चीन के दबदबे को सिर्फ भारत ही चुनौती दे सकता है।
वित्तीय संकट से उपजा संगठन
देशों के बीच सहयोग शुरू करने का मुख्य कारण वर्ष 2008 का वित्तीय संकट था। इस वित्तीय संकट के कारण डॉलर के प्रभुत्व वाली मौद्रिक प्रणाली की स्थिरता पर संदेह उत्पन्न हुआ था। ब्रिक्स ने संस्थागत सुधार पर ज़ोर दिया, जिसके कारण वर्ष 2010 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कोटे में सुधार हुआ। इसने वित्तीय संकटों में पश्चिमी प्रभुत्व को कम कर दिया। अब कोरोना के कारण आये आर्थिक संकट से उबरने में ब्रिक्स देश मदद कर सकते हैं।
ये भी पढ़ें:सोने-चांदी पर बड़ी खबर: फिर कीमतों में आई गिरावट, जानें क्या है नए रेट
खास बातें
- शब्द में इसके मेम्बर देशों के नाम छुपे हैं - ब्राज़ील, रूस, भारत, साउथ अफ्रीका और चीन। पहले इस संगठन का नाम सिर्फ ब्रिक था। जब साउथ अफ्रीका इसमें आ गया तो नाम ब्रिक्स हो गया। दिसंबर 2010 में चीन के आमंत्रण पर साउथ अफ्रीका इसका सदस्य बना।
-2006 में ब्रिक देशों के विदेश मंत्री न्यूयॉर्क में मिले। उस वक्त संयुक्त राष्ट्र महासभा की आम बहस चल रही थी। 2009 में पहली बार इस समूह की डिप्लोमेटिक मीटिंग रूस में हुई। वहीं पर 16 जून 2009 को औपचारिक रूप से पहला ब्रिक शिखर सम्मेलन हुआ। भारत की तरफ से तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उसमें शिरकत की थी जबकि चीन की ओर से राष्ट्रपति हू जिंताओ मौजूद थे।
अब तक कुल 11 ब्रिक्स शिखर सम्मेलन हो चुके हैं
- अब तक कुल 11 ब्रिक्स शिखर सम्मेलन हो चुके हैं। बतौर पूर्ण सदस्य, दक्षिण अफ्रीका पहली बार 2011 के शिखर सम्मेलन में शामिल हुआ। इस बार का शिखर सम्मेलन भले ही वर्चुअली हो रहा हो लेकिन मेजबान रूस है। भारत अगले साल 2021 में अपनी तीसरे शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।
- ब्रिक्स के पांच में चार देश दुनिया के 10 सबसे आबादी वाले देशों में शामिल हैं। चीन और भारत नंबर 1 और 2 पर हैं जबकि ब्राजील छठे और रूस नौंवे स्थान पर है। दक्षिण अफ्रीका दुनिया का 24वां सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है। क्षेत्रफल के लिहाज से 5 में 4 देश टॉप 10 में आते हैं। रूस जहां दुनिया का सबसे बड़ा देश है, वहीं चीन तीसरे नंबर पर है। ब्राजील पांचवें और भारत सातवें पायदान पर है। यहां भी दक्षिण अफ्रीका 24वें स्थान पर आता है।
ये भी पढ़ें:नीतीश का मंत्रिमंडल: जाने किसके हाथ में आया कौन सा विभाग, यहां देखें पूरी डीटेल
- ब्रिक्स का मुख्यालय शंघाई में है। इसके तहत दो वित्तीय संस्थाएं भी हैं - न्यू डिवेलपमेंट बैंक या ब्रिक्स डिवेलपमेंट बैंक और कॉन्टिजेंट रिजर्व अरेंजमेंट। दोनों का गठन 2014 में किया गया था।
रिपोर्ट- नीलमणि लाल
दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।