तबाही आ रही: सरक रही भारत की धरती, भविष्य में इन क्षेत्रों में आएंगे खतरनाक भूकंप

Earthquake In India: शोधकर्ताओं और भूकंप विज्ञानियों की एक टीम ने पाया है कि पूर्वी हिमालय और इंडो-बर्मा रेंज में भारतीय प्लेट के उत्तर पूर्वी किनारे के जटिल टेक्टोनिक्स प्लेट भविष्य में खतरनाक भूकंप के लिए तनाव पैदा कर सकते हैं।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Update:2022-06-09 21:06 IST

भूकंप: Concept Image - Social Media

Earthquake In India: अक्सर लोग बोलते हैं कि मेरे तो पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई। ये तो एक मुहावरा है लेकिन धरती अगर खिसकने लगे तो इसके नतीजे अप्रत्याशित और भयानक होते हैं। अमूमन भूकंप (earthquake) और सुनामी (tsunami) के दौरान इन प्लेटों की रगड़ या खिसकने की बात सामने आती है। भारतीय परंपरा में तो ये भी कहा जाता है कि धरती शेषनाग के फन पर टिकी है जब वह करवट बदलते हैं तो धरती के ऊपर उथल पुथल हो जाती है। लेकिन अब शोधकर्ताओं और भूकंप विज्ञानियों की एक टीम ने पाया है कि पूर्वी हिमालय और इंडो-बर्मा रेंज (आईबीआर) में भारतीय प्लेट के उत्तर पूर्वी किनारे के जटिल टेक्टोनिक्स प्लेट भविष्य में खतरनाक भूकंप के लिए तनाव पैदा कर सकते हैं। उन्होंने इन प्लेटों के बीच परस्पर क्रिया के चलते 1950 के विनाशकारी असम भूकंप के संबंधों का भी पता लगाया है।

इंडो बर्मा रेंज में गहरे भूकंप और पूर्वी हिमालय में पैदा कर सकती है क्रस्टल भूकंप

शोधकर्ताओं के मुताबिक दोनों के बीच रगड़ इंडो बर्मा रेंज में गहरे भूकंप और पूर्वी हिमालय में क्रस्टल भूकंप पैदा कर सकती है। पूर्वी हिमालय में भारतीय प्लेट का उत्तर-पूर्वी किनारा लगभग 40 किमी की गहराई तक भूकंपीय रूप से सक्रिय पाया गया है, जबकि इंडो-बर्मा पर्वतमाला में भूकंपीयता लगभग 200 किमी की गहराई तक देखी गई है।

असम में आया अब तक के इतिहास में सबसे बड़ा अंतर-महाद्वीपीय भूकंप

टेक्टोनोफिजिक्स जर्नल (Tectonophysics Journal) में प्रकाशित एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि यह भूकंपीय संरचना जटिल टेक्टोनिक्स बनाती है जिसने 1950 के विनाशकारी असम भूकंप को पैदा किया था। असम भूकंप 8.6 तीव्रता का था जो अब तक के इतिहास में सबसे बड़ा अंतर-महाद्वीपीय भूकंप है जिसका केंद्र स्थित अरुणाचल हिमालय की मिशमी पहाड़ियों के पास भारत-चीन सीमा पर था।

यह उल्लेखनीय है कि अरुणाचल प्रदेश और असम के सीमावर्ती क्षेत्रों में पूर्वी हिमालयी सिंटैक्सिस (ईएचएस) को दुनिया के सबसे भूकंपीय सक्रिय क्षेत्रों में से एक के रूप में स्वीकार किया जाता है और भारत में भूकंपीय क्षेत्र V में आता है, जिसमें भविष्य में बड़े भूकंपों को ट्रिगर करने की क्षमता है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मुताबिक 1950 के विनाशकारी भयावह असम भूकंप के बाद, ऊपरी असम और मिश्मी ब्लॉक के बीच के क्षेत्र में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है और इसे भूकंपीय अंतर क्षेत्र माना जाता है। पिछले अध्ययन ने मिशमी थ्रस्ट (एमटी) क्षेत्र में एक बंद क्षेत्र का सुझाव दिया है, जो भविष्य में भूकंप के लिए तनाव पैदा करने का सुझाव दे सकता है।

लोहित घाटी व अरुणाचल हिमालय के सियांग विंडो में स्टेशनों के डेटा का किया इस्तेमाल

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डॉ. देवजीत हजारिका (Dr. Devjit Hazarika) के नेतृत्व में, शोधकर्ताओं ने लोहित घाटी में 11 ब्रॉडबैंड भूकंपीय स्टेशनों और अरुणाचल हिमालय के सियांग विंडो में 8 स्टेशनों के डेटा का इस्तेमाल किया। शोधकर्ताओं ने लोहित घाटी क्षेत्र के भूकंपीय क्षेत्र पर विशेष जोर देने के साथ ईएचएस और आसपास के इंडो-बर्मा रेंज (आईबीआर) में समग्र भूकंपीयता पैटर्न का अध्ययन किया। अध्ययन से पता चलता है कि आईबीआर गहरे भूकंपों के प्रति अधिक संवेदनशील है और जटिल संकेत देने वाले दबाव की भिन्नता से महत्वपूर्ण तनाव विभाजन का अनुमान है।

Tags:    

Similar News