कोलकाता : भारत निर्वाचन आयोग ने पिछले दो सालों में 1,000 से ज्यादा राजनीतिक दलों को सूची से बाहर कर दिया है, जो लंबे समय से निष्क्रिय पड़े थे और चुनाव प्रक्रिया में भाग नहीं ले रहे थे। मुख्य चुनाव आयुक्त ओ. पी. रावत ने यहां कहा, "सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि चुनाव आयोग राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द नहीं कर सकता। हालांकि चुनाव आयोग ने उन राजनीतिक दलों को सूची से बाहर निकालना शुरू कर दिया, जो पूरी तरह से निष्क्रिय हैं या चुनावी प्रक्रिया में भाग नहीं ले रहे हैं।"
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रावत ने कहा, "पिछले दो सालों में, 1000 राजनीति दलों को सूची से बाहर किया गया है और यह प्रक्रिया जारी है।"
उन्होंने कहा कि कानून के तहत चुनाव आयोग को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द कर दे।
राजनीति के अपराधीकरण के मुद्दे पर चुनाव आयुक्त ने कहा कि आयोग राजनीति को अपराध मुक्त करने को लेकर गंभीर है।
यह ध्यान दिलाने पर कि विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मो से वोटर के व्यवहार का प्रोफाइलिंग करने के लिए कैंब्रिज एनालिटिका द्वारा डेटा हार्वेस्टिंग की गई। इसे रोकने के लिए चुनाव आयोग क्या कर रहा है।
उन्होंने कहा, "यह खतरा बड़ा है। आयोग ने एक सोशल मीडिया हब की स्थापना की है.. हम इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं। आयोग सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मो के लिए एक आचार संहिता तैयार कर रहा है, ताकि डेटा हार्वेस्टिंग को रोका जा सके।"