Jim Corbett Birth Anniversary: पर्यावरण रक्षक और आदम खोर जानवरो से बचाने वाले जिम कॉर्बेट की कहानी

Jim Corbett Birth Anniversary: एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 को ब्रिटिश भारत (जो अब भारत का हिस्सा है) के नैनीताल, उत्तराखंड, में हुआ था। वह एक बेहतरीन लेखक थे और जानवरों की आवाज़ निकालने मेँ माहिर थे।

Update: 2023-07-25 01:58 GMT
Edward James Corbett Birth Anniversary (Photo: Social Media)

Jim Corbett Birth Anniversary: एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 को ब्रिटिश भारत (जो अब भारत का हिस्सा है) के नैनीताल, उत्तराखंड, में हुआ था।आज एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट का जन्मदिवस हैं। वह एक बेहतरीन लेखक थे और जानवरों की आवाज़ निकालने मेँ माहिर थे। उनके पिता विलियम जेम्स कॉर्बेट एक गोरखा रेजिमेंट के सिपाही थे और उनकी मां मैरी जॉन्सन एक अंग्रेज़ महिला थी। जिम कॉर्बेट का बचपन उत्तराखंड के सुंदर वन्यजीवन में बिता। उन्हें प्राकृतिक सौंदर्य, वन्यजीवन, और जानवरों से गहरा सम्बन्ध था। उनके बचपन के कुछ पलों को वह अपनी बागवानी, चिड़िया देखभाल, और वन्यजीवन के साथ बिताते थे।

उनके परिवार के साथ उनकी यात्रा भारत और नेपाल के विभिन्न भागों में होती रहती थी। उनके जीवन के इन प्रारंभिक वन्य सफरों ने उन्हें जंगल की जानकारी और वन्यजीवन के प्रति अधिक उत्साह की ओर आग्रहित किया। उनके युवावस्था में ही वन्यजीवन और जंगली जानवरों की रक्षा करने की इच्छा उनमें जगाई थी, जो बाद में उन्हें एक शिकारी और शिकारी के रूप में प्रसिद्ध करेगी। यह उनके प्रारंभिक जीवन का एक संक्षेपिक सवाल्म्बना है, जिसने उन्हें बाद में जंगली जीवन और उत्तराखंड के प्रसिद्ध वन्यजीवन संरक्षक के रूप में अमर होने का मार्ग दिखाया।

एक संरक्षक थे जिम कॉर्बेट

1) राष्ट्रीय पार्कों में सेवा: एडवर्ड कॉर्बेट ने उत्तराखंड के कुमाऊं व गारवाल में वन्यजीवन की संरक्षा के लिए काम किया। उन्होंने राजाजी नेशनल पार्क और कोर्बेट नेशनल पार्क की स्थापना को प्रोत्साहित किया था और इनमें वन्यजीवन की संरक्षा के लिए अपना योगदान दिया।

2) वन्यजीवन के संरक्षण के लिए संघर्ष: जिम कॉर्बेट ने जंगली जानवरों के शिकारी और वन्यजीवन की हत्या के खिलाफ अपनी जानकारी, जिज्ञासा, और साहस से लड़ाई लड़ी। उन्होंने जंगली बाघ और पन्थेर के प्रति विशेष रूप से संरक्षण के लिए प्रयास किए और इनकी संख्या में गिरावट के खिलाफ अपने प्रयासों को जारी रखा।

3) वन्यजीवन के लिए जागरूकता: कॉर्बेट ने जंगली जानवरों की संरक्षा और उनसे सहयोग के लिए लोगों में जागरूकता फैलाई। उनके लेखन के माध्यम से, वे लोगों को जंगली जानवरों के महत्व के बारे में बताते और उन्हें संरक्षित करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करते थे।

4) बचाव के उपायों का विकास: जिम कॉर्बेट ने वन्यजीवन की संरक्षा के लिए विभिन्न बचाव के उपायों का विकास किया। उन्होंने किसी भी जंगली जानवर को मारने के लिए शिकारी इजाज़त प्रदान करने वाले संरदारों के खिलाफ उत्पीड़न और कानूनी कार्रवाई की।

जिम कॉर्बेट के संरक्षक के रूप में योगदान के कारण, उन्हें "बचाव के जानकार" के रूप में पहचाना जाता है, जो वन्यजीवन की रक्षा और संरक्षण में अपना जीवन समर्पित करने के लिए अपनी महान योगदान के लिए जाना जाता है। इन्हें “मैंन-एटर्स ऑफ़ कुमाऊं” के लिए मार्क्स ऑफ़ लिनलिथगो सम्मान प्राप्त हुआ था।

एक शिकारी थे जिम कॉर्बेट

सरकार आदमखोर बाघों और तेंदुओं को मारने के लिए कहा करती थी. उन्होंने 1907 से लेकर 1938 के बीच 19 बाघों और 14 तेंदुओं को मिलाकर 33 आदमखोरों का शिकार किया, जिसमें कुख्यात चंपावत टाइगर भी शामिल था. उनके नाम पर 436 शिकार दर्ज है।400 लोगों का शिकार करने वाले पनार तेंदुए का शिकार भी उन्होंने ही किया था।

एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट द लीजेंड

इनके प्रकृति प्रेम और स्थानीय लोगों का आदमखोर जानवरो से बचाव जिसे देखते हुए उत्तराखंड का प्रसिद्ध टाइगर रिज़र्व जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क इनके नाम पर बनाया गया।

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