Eid Ul Adha 2024: जामा मस्जिद में अदा की गई ईद-उल-अजहा की नमाज, दुआओं में उठे हजारों हाथ
Eid Ul Adha 2024: देशभर में ईद-उल-अजहा का पर्व मनाया जा रहा है। बकरीद पर दिल्ली की जामा मस्जिद में लोगों ने नमाज अदा की और खुदा से अमन-चैन की दुआएं मांगी।
Eid Ul Adha 2024: देशभर के मुसलमान आज यानि सोमवार (17 जून) को ईद-अल-अजहा मना रहे हैं। आज सुबह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की जामा मस्जिद और मुंबई में माहिम की मखदूम अली माहिमी मस्जिद सहित देश की तमाम मस्जिदों में ईद की नमाज अदा की गई। नमाज के बाद लोगों ने एक-दूसरे को बधाई दी। नमाज के लिए लोगों मे सवेरे से ही मस्जिद में आना शुरू कर दिया था। ईद के कारण आसपास का इलाका और बाजार गुलजार दिखायी दे रहा है। मुस्लिम समाज के घरों में पर्व को लेकर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक पर्व की खुशियां मना रहे हैं।
राष्ट्रपति ने दी बकरीद की शुभकामनाएं
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, सभी देशवासियों, विशेषकर देश- विदेश में रहने वाले मुस्लिम भाई-बहनों को ईद-उज-जुहा की हार्दिक शुभकामनाएं! त्याग और बलिदान का यह त्योहार हमें अपनी खुशहाली को सबके साथ, विशेषकर जरूरतमंद लोगों के साथ, बांटने का संदेश देता है। आइए इस अवसर पर हम सब सभी देशवासियों, विशेषकर वंचित वर्गों के लोगों के हित में, मिलजुल कर कार्य करने का संकल्प लें।
सद्भाव और एकजुटता के बंधन को मजूबत करें : PM
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ईद उल अजहा की शुभकामनाएं! यह विशेष अवसर हमारे समाज में सद्भाव और एकजुटता के बंधन को और मजबूत करे। सभी लोग खुश और स्वस्थ रहें।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दी बकरीद की मुबारकबाद
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बकरीद की मुबारकबाद देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि सभी मुस्लिम भाईयों और बहनों को बकरीद की मुबारकबाद। यह त्योहार आप सभी के जीवन में खुशियां और सौहार्द लेकर आए।
क्यों मनाया जाता है ईद-अल-अजहा?
ईद अल-अजहा या बकरीद एक इस्लामी पवित्र त्योहार है। इसे 'बलिदान का त्योहार' भी कहा जाता है, यह इस्लामी या चंद्र कैलेंडर के 12वें महीने धू अल-हिज्जा के 10वें दिन मनाया जाता है। यह वार्षिक हज यात्रा के अंत का प्रतीक है। यह पैगंबर अब्राहम की अल्लाह के लिए सब कुछ बलिदान करने की इच्छा की स्मृति के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व पर इस्लाम धर्म के लोग साफ-पाक होकर नए कपड़े पहनकर नमाज पढ़ते हैं और उसके बाद कुर्बानी देते हैं। ईद-उल फित्र पर जहां खीर बनाने का रिवाज है। वहीं बकरीद पर बकरे की कुर्बानी (बलि) दी जाती है।