Election Results 2023: हिंदी बेल्ट में बड़ी हार से कांग्रेस की चुनौतियां बढ़ीं,अब सहयोगियों को साथ लेकर चलने का दबाव

Election Results 2023: रविवार को आए चुनावी नतीजे के मुताबिक भाजपा ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ तीनों राज्यों में बड़ी जीत हासिल करते हुए सत्ता का सेमीफाइनल मुकाबला जीत लिया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2023-12-04 09:48 IST

Rahul Gandhi  (photo: social media )

Election Results 2023: तीन बड़े हिंदी भाषी राज्यों में मिली हार को कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले इस जंग को सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा था जिसमें कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। इस बड़ी हार से कर्नाटक में मिली जीत का खुमार टूट गया है और लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की चुनौतियां बढ़ गई हैं।

भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए को चुनौती देने के लिए विपक्षी दलों ने इंडिया गठबंधन बनाया था मगर कांग्रेस विधानसभा चुनावों में जीत के बाद सहयोगियों पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रही थी। यह दांव उल्टा पड़ गया है क्योंकि अब कांग्रेस पर सहयोगी दलों को साथ लेकर चलने का दबाव बढ़ गया है।

समाजवादी पार्टी और जदयू जैसे सहयोगी दलों ने आंखें तरेरनी भी शुरू कर दी है। ओबीसी मतदाताओं का भरोसा जीतना और कार्यकर्ताओं का हौसला बनाए रखना भी पार्टी नेतृत्व के लिए बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया है।

हिंदी भाषी राज्यों में लगा बड़ा झटका

रविवार को आए चुनावी नतीजे के मुताबिक भाजपा ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ तीनों राज्यों में बड़ी जीत हासिल करते हुए सत्ता का सेमीफाइनल मुकाबला जीत लिया है। कांग्रेस की चुनावी हार ने पार्टी नेतृत्व की चिंता इसलिए बढ़ा दी है क्योंकि अब हिंदी भाषा राज्यों में हिमाचल प्रदेश को छोड़कर कोई भी राज्य कांग्रेस के हाथ में नहीं रह गया है।

कांग्रेस के लिए सुकून की बात सिर्फ इतनी है कि कर्नाटक के बाद एक और दक्षिण भारतीय राज्य तेलंगाना पर उसका कब्जा हो गया है। हालांकि तेलंगाना की जीत का हिंदी बेल्ट के राज्यों पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है।

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दिल्ली की सत्ता का फैसला करने में हिंदी भाषी राज्यों की प्रमुख भूमिका रही है और ऐसे में कांग्रेस की हार 2024 की सियासी जंग के लिए पार्टी की चिंता बढ़ने वाली है।

सहयोगी दलों को साथ लेकर चलने का दबाव

इसके साथ ही कांग्रेस पर सहयोगी दलों को साथ लेकर चलने का दबाव भी बढ़ गया है। इस दबाव को इस बात से भी से ही महसूस किया जा सकता है कि चुनावी रुझानों में भाजपा की बड़ी जीत का संकेत मिलने के बाद ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आनन-फानन में विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की बैठक बुलाने का ऐलान कर दिया।

मजे की बात यह है कि इस गठबंधन की पिछले 3 महीने से कोई बैठक नहीं हुई है मगर अब खड़गे ने 6 दिसंबर को बैठक बुलाकर आगे की रणनीति तय करने की बात कही है।

चुनाव नतीजे में भाजपा की बड़ी जीत के बाद नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इसे लेकर तंज भी कसा। उन्होंने कहा कि तीन महीने से गठबंधन की बैठक नहीं हुई और अब आनन-फानन में बैठक बुलाई गई है।

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हार ने बैठक बुलाने को किया मजबूर

सियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस नेतृत्व को चुनावी राज्यों में बड़ी जीत का भरोसा था और इसीलिए पार्टी नेतृत्व की ओर से इंडिया गठबंधन की बैठक और सीट शेयरिंग पर कोई चर्चा नहीं शुरू की गई थी। पार्टी नेताओं का मानना था कि चुनावी जीत मिलने पर कांग्रेस सहयोगी दलों पर दबाव बनाने की स्थिति में होगी। कांग्रेस की मंशा ज्यादा से ज्यादा सीटें झटकने की थी मगर अब पार्टी के इन अरमानों पर पानी फिर गया है।

उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे बड़े राज्यों में अब पार्टी को क्षेत्रीय दलों के दबाव में सीट बंटवारे पर काम करना होगा। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बिहार में जदयू ने इस बात के संकेत भी दे दिए हैं। ऐसे में आने वाले दिन कांग्रेस के लिए काफी चुनौतीपूर्ण माने जा रहे हैं।

ओबीसी मतदाताओं का जीतना होगा भरोसा

इन नतीजों से एक बात यह भी स्पष्ट हुई हो गई है कि कांग्रेस का जातीय जनगणना करने का दांव भी सटीक नहीं बैठ सका है। कांग्रेस ने चुनावी जीत मिलने पर जातिगत जनगणना करने का बड़ा वादा किया था मगर इन सभी राज्यों में भाजपा ओबीसी मतदाताओं का भरोसा जीतने में कामयाब रही है। इसे छत्तीसगढ़ के उदाहरण से समझा जा सकता है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने जातिगत जनगणना करने का वादा किया था और राज्य में करीब 41 फ़ीसदी ओबीसी मतदाता हैं।

इसके बावजूद भाजपा छत्तीसगढ़ में 46 फ़ीसदी मतों के साथ 54 सीटें जीतने में कामयाब रही है जबकि कांग्रेस 42 फ़ीसदी मतों के साथ 35 सीटों पर सिमट गई है। छत्तीसगढ़ में भाजपा को 39 सीटों का फायदा हुआ है जबकि कांग्रेस को 33 सीटों का नुकसान झेलना पड़ा है। मध्य प्रदेश में भी ओबीसी मतदाताओं ने भाजपा में ही भरोसा जताया है।

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अब कांग्रेस को बदलनी होगी रणनीति

तीन राज्यों की चुनावी हार ने कांग्रेस को अपनी रणनीति नए सिरे से बनाने के लिए भी मजबूर कर दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जिन इलाकों में भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी, उन इलाकों में भी कांग्रेस को हर का सामना करना पड़ा है। अब कांग्रेस की ओर से एक और यात्रा निकालने की तैयारी की जा रही है।

पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला बनाए रखना भी कांग्रेस नेतृत्व के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। चुनावी हार के बाद पार्टी अध्यक्ष खड़गे ने कहा है कि हम इन राज्यों में हार के कारणों का विश्लेषण करने के साथ पार्टी को पुनर्जीवित करने का प्रयास करेंगे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि विचारधारा की लड़ाई जारी रहेगी मगर कांग्रेस इस लड़ाई को कैसे लड़ेगी, यह उन्होंने स्पष्ट नहीं किया है।

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