किसान आन्दोलन: पटना में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज, कई चोटिल

किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार के साथ होने वाली चर्चा हमारे एजेंडे पर होगी। हम सरकारी प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं, अब चर्चा कानून वापस लेने और स्वामीनाथन रिपोर्ट पर होनी चाहिए।

Update: 2020-12-29 09:02 GMT
बिहार की राजधानी पटना में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और लेफ्ट पार्टियों की ओर से राजभवन तक निकाले जा रहे मार्च को पुलिस ने रोक दिया।

पटना: बिहार की राजधानी पटना में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और लेफ्ट पार्टियों की ओर से राजभवन तक निकाले जा रहे मार्च को पुलिस ने रोक दिया।

इसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया। जिसमेंकई लोगों को चोटें भी आई हैं।

कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन चल रहा है। कई छोटे-बड़े संगठनों ने किसान आन्दोलन का समर्थन किया है। विपक्ष ने तो पहले से ही अपना समर्थन दे रखा है।

किसान आन्दोलन (फोटो: सोशल मीडिया)

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शरद पवार से मिले किसान नेता

वहीं आज एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से संयुक्त किसान मोर्चा के महाराष्ट्र से जुड़े किसान नेताओ ने मुलाकात की। ये किसान नेता सिंघु बॉर्डर और पलवल पर प्रदर्शन में शामिल हैं और सरकार के साथ वार्ता में भी हिस्सा ले चुके हैं।

किसान नेताओ के मुताबिक, पवार ने किसान नेताओ ने कहा कि अगर 30 तारीख तक हल नहीं निकाला तो तमाम विपक्ष की पार्टियों के साथ बैठक कर किसानों के पक्ष में खड़े रहेंगे।

किसानों के आंदोलन का आज 34वां दिन

सरकार का प्रस्ताव मिलने पर किसानों ने साफ कहा है कि वो कानून वापस लेने और स्वामीनाथन रिपोर्ट पर ही चर्चा करेंगे। दरअसल 26 दिसंबर को किसानों ने सरकार को 4 शर्तों पर बातचीत का प्रस्ताव भेजा था, जिसमें पहली शर्त यही है कि तीनों कृषि कानून खारिज करने की प्रक्रिया पर सबसे पहले बात हो। अपनी मांगों के साथ किसान 34वें दिन भी दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हैं।

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हमारी शर्तों पर होगी चर्चा: राकेश टिकैत

किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार के साथ होने वाली चर्चा हमारे एजेंडे पर होगी। हम सरकारी प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं, अब चर्चा कानून वापस लेने और स्वामीनाथन रिपोर्ट पर होनी चाहिए। अभी हमारे आंदोलन को 33 दिन हुए हैं, सरकार नहीं मानी तो 66 दिन भी हो जाएंगे।

विपक्षी पार्टियों के अलावा कई छोटे-बड़े संगठनों ने किसानों के आन्दोलन का समर्थन किया है। लोगों के समर्थन करने का ये सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

किसान आन्दोलन (फोटो: सोशल मीडिया)

महिलाओं ने खून से लिखा 50 फुट लंबा बैनर

किसानों के समर्थन में अगला नाम करनाल की मर्दानी फाउंडेशन का भी जुड़ गया है। मर्दानी फाउंडेशन ने किसानों के समर्थन में अपने खून से 50 फुट लंबा बैनर लिखा। करनाल से पैदल मार्च निकालते हुए महिलाएं बैनर लेकर बसताड़ा टोल पर किसानों के धरने पर पहुंची।

महिलाओं ने खून से भरा बैनर टोल पर किसानों को सौंपा और दिल्ली तक कोर कमेटी के पास भेजने का आग्रह किया। फाउंडेशन की सदस्य सपना राणा ने केंद्र और प्रदेश सरकार की जमकर आलोचना की।

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