किसान संगठनों की बड़ी बैठक, पंजाब में ट्रेनों को चलाने पर लेंगे फैसला

किसान संगठन फैसला लेंगे कि वे मालगाडि़यों के साथ यात्री ट्रेनों को भी चलने देंगे या नहीं। किसान संगठनों की इसको लेकर चंडीगढ़ में बैठक होनी है। इस बैठक में केंद्र सरकार के मंत्रियों से बीते दिनों हुई बातचीत को लेकर चर्चा की जाएगी।

Update: 2020-11-18 07:54 GMT
किसान संगठन फैसला लेंगे कि वे मालगाडि़यों के साथ यात्री ट्रेनों को भी चलने देंगे या नहीं। किसान संगठनों की इसको लेकर चंडीगढ़ में बैठक होनी है।

नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में किसानों का आंदोलन जारी है। इसके कारण 1986 ट्रेनें और 3090 मालगाड़ियां रद्द कर दी गई हैं। इसके कारण भारतीय रेलवे को 1670 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। बुधवार को किसान संगठनों की बैठक होने जा रही है। इस बैठक में किसान संगठन ट्रेनों का परिचालन फिर शुरू करने को लेकर फैसला लेंगे।

किसान संगठन फैसला लेंगे कि वे मालगाडि़यों के साथ यात्री ट्रेनों को भी चलने देंगे या नहीं। किसान संगठनों की इसको लेकर चंडीगढ़ में बैठक होनी है। इस बैठक में केंद्र सरकार के मंत्रियों से बीते दिनों हुई बातचीत को लेकर चर्चा की जाएगी।

कृषि कानून को लेकर पंजाब में जारी बवाल के बीच किसान संगठनों की होने वाली बैठक पर सभी की निगाहे हैं। इस बैठक में किसान नेता कैबिनेट मंत्रियों से हुई बैठक के बारे में साथी संगठनों को जानकारी देंगे, तो वहीं इस बैठक में यह फैसला लिया जाएगा कि कि केंद्रीय मंत्रियों से आगे की बैठक में किन बिंदुओं को उठाया जाए। राज्य में ट्रेनों के आवागमन पर किसान संगठन निर्णय ले सकते हैं।

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किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच बैठक में भी ट्रेनों का मामला उठा था। इस दौरान किसान मालगाडिय़ां चलाने की बात कर रहे थे, तो केंद्रीय मंत्री मालगाडिय़ां और यात्री ट्रेनें दोनों चलाने पर अड़े थे। इसलिए दोनों पक्षों में कोई भी सहमति नहीं बन पाई थी।

किसानों के आंदोलन के कारण पंजाब में यूरिया और कोयले का संकट पैदा हो गया है। कोयले की कमी के कारण पंजाब में बिजली का संकट पैदा हो गया है। आंदोलन के कारण जम्मू-कश्मीर और हिमाचल के किसान भी प्रभावित हो रहे हैं।

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गेहूं की फसल की बोआई अंतिम चरण में है जिसके कारण किसानों को यूरिया की बेहद आवश्यकता । राज्य में डीएपी का स्टाक होने के कारण कोई परेशानी नहीं हुई, लेकिन यूरिया ना होने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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दिल्ली में धरना देने पर अड़े किसान

किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि 26-27 नवंबर को दिल्ली घेरने की अपील की गई है। इसको लेकर भी बैठक में चर्चा की जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उन्हें दिल्ली जाने से रोका गया तो वह वहीं धरने पर बैठ जाएंगे।

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