Live: SC के फैसले से असहमत किसान संगठनों ने किया एलान, जारी रहेगा आंदोलन
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कानून पारित होने से पहले जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) था वो अगले आदेश तक जारी रहेगा। कोर्ट ने गठित कमेटी से कहा कि वो दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंप दें।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए तीनों कृषि कानून के लागू होने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को ये फैसला सुनाया, साथ ही अब इस मसले को सुलझाने के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है। इस कमेटी में कुल चार लोग शामिल होंगे, जिनमें भारतीय किसान यूनियन के जितेंद्र सिंह मान, डॉ। प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल शेतकारी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले किसान नेता बोले- MSP पर कानून बने
बता दें कि किसानों के आंदोलन को लगभग 50 दिन पूरे हो गए हैं। दिल्ली की सीमाओं पर तम्बू डाल हड्डियां गला देने वाली ठंड में बैठे देश भर के हजारो किसानों ने सरकार से कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की है, हालाँकि सरकार और किसानों के बीच 8 स्तर पर बातचीत होने के बाद भी अब तक सुलह नहीं हुई और न ही आर-पार का फैसला आया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले भारतीय किसान यूनियन के राजवीर सिंह जादौन ने कहा है, "हम कोर्ट से अपेक्षा करेंगे कि कानूनों को खत्म करने का आदेश दे और MSP पर कानून बने।
किसानों पर फैसला Live Updates...
कांग्रेस मीडिया इंचार्ज रणदीप सुरजेवाला ने प्रतिक्रिया दी
सुप्रीम कोर्ट के आज के फ़ैसले पर कांग्रेस मीडिया इंचार्ज रणदीप सुरजेवाला ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो चिंता ज़ाहिर की उसका हम स्वागत करते हैं। लेकिन जो चार सदस्यीय कमेटी बनाई वो चौंकाने वाला है। ये चारों सदस्य पहले ही काले कानून के पक्ष में अपना मत दें चुके हैं। ये किसानों के साथ क्या न्याय कर पाएंगे ये सवाल है। ये चारों तो मोदी सरकार के साथ खड़े हैं। ये क्या न्याय करेंगे। एक ने लेख लिखा। एक ने मेमेरेंडम दिया। एक ने चिट्ठी लिखी। एक पेटिशनर है।
अगले आदेश तक जारी रहेगी MSP-सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कानून पारित होने से पहले जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) था वो अगले आदेश तक जारी रहेगा। कोर्ट ने गठित कमेटी से कहा कि वो दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंप दें। शीर्ष अदालत ने कहा कि समिति, सरकार के साथ-साथ किसान संगठनों और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधियों को सुनने के बाद इस न्यायालय के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। रिपोर्ट में कमेटी की सिफारिशें होंगी। यह काम दो महीने में पूरा किया जाना है। पहली बैठक आज से दस दिनों के भीतर आयोजित की जाएगी।
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आंदोलन में किसानों का आना जारी
रेलवे सेवा बाधित होने के बावजूद देश के अलग-अलग हिस्सों से किसानों का आना लगातार जारी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने जारी बयान में कहा कि आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के किसान आ गए हैं, परसों केरल के किसान भी आ रहे हैं। किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को बदनाम करने व दो-तीन राज्यों तक सीमित बताकर आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की निंदा की।
कोर्ट के फैसले से किसान सहमत नहीं- टिकैत
कोर्ट के फैसले पर किसान संगठनों ने असहमति जताई है। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश के किसान कोर्ट के फैसले से निराश हैं। अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में कमेटी ने सिफारिश की थी। गुलाटी ने ही कृषि कानूनों की सिफारिश की थी। राकेश टिकैत ने ट्वीट किया, माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे है।
देश का किसान इस फैसले से निराश है
अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाये जाने की सिफारिश की थी। देश का किसान इस फैसले से निराश है। राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांग कानून को रद्द करने व न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाने की है। जब तक यह मांग पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का परीक्षण कर कल संयुक्त मोर्चा आगे की रणनीति की घोषणा करेगा।
आंदोलन में किसानों का आना जारी
रेलवे सेवा बाधित होने के बावजूद देश के अलग-अलग हिस्सों से किसानों का आना लगातार जारी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने जारी बयान में कहा कि आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के किसान आ गए हैं, परसों केरल के किसान भी आ रहे हैं। किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को बदनाम करने व दो-तीन राज्यों तक सीमित बताकर आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की निंदा की।
फैसले पर बोले राकेश टिकैत
-सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि जबतक कानून वापसी नहीं होगा, तबतक किसानों की घर वापसी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हम अपनी बात रखेंगे, जो दिक्कत हैं सब बता देंगे।
-सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के बाद अब अकाली दल ने अहम बैठक बुलाई है। जो आगे की रणनीति पर मंथन करेगी, बैठक में सुखबीर सिंह बादल भी शामिल होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानून के अमल पर लगाई रोक, ट्रैक्टर रैली पर किसानों को नोटिस
कृषि कानून पर SC में सुनवाई जारी है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानून के अमल पर रोक लगा दी है। इसीके साथ इसके तीनों क़ानून को लागू करने सम्बंधित फैसले पर भी रोक लगा दी गई है। सुप्रीमकोर्ट ने 4 सदस्यों की कमेटी भी बनाई है ट्रैक्टर रैली आयोजित करने के मामले में किसान संगठनों को नोटिस भी दिया गया।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम सस्पेंड भी कर सकते हैं कानून
-सांसद तिरुचि सीवा की ओर से जब वकील ने कानून रद्द करने की अपील की तो चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें कहा गया है कि साउथ में कानून को समर्थन मिल रहा है। जिसपर वकील ने कहा कि दक्षिण में हर रोज इनके खिलाफ रैली हो रही हैं।
-चीफ जस्टिस ने कहा कि वो कानून सस्पेंड करने को तैयार हैं, लेकिन बिना किसी लक्ष्य के नहीं।
-किसानों के एक वकील ने कहा कि इस तरह का मानना है कि कमेटी मध्यस्थ्ता करेगी। जिसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि कमेटी मध्यस्थ्ता नहीं करेगी, बल्कि मुद्दों का समाधान करेगी।
कृषि कानूनों की वैधता और आंदोलन पर कोर्ट में सुनवाई शुरू
-सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को लेकर सुनवाई शुरू हो गई है। अदालत में किसानों की ओर से ML शर्मा ने कहा कि किसान कमेटी के पक्ष में नहीं हैं, हम कानूनों की वापसी ही चाहते हैं।
-एमएल शर्मा की ओर से अदालत में कहा गया कि आजतक पीएम उनसे मिलने नहीं आए हैं, हमारी जमीन बेच दी जाएंगी। जिसपर चीफ जस्टिस ने पूछा कि जमीन बिक जाएंगी ये कौन कह रहा है? वकील की ओर से बताया गया कि अगर हम कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट में जाएंगे और फसल क्वालिटी की पैदा नहीं हुई, तो कंपनी उनसे भरपाई मांगेगी।
-चीफ जस्टिस की ओर से अदालत में कहा गया कि हमें बताया गया कि कुल 400 संगठन हैं, क्या आप सभी की ओर से हैं। हम चाहते हैं कि किसान कमेटी के पास जाएं, हम इस मुद्दे का हल चाहते हैं हमें ग्राउंड रिपोर्ट बताइए। कोई भी हमें कमेटी बनाने से नहीं रोक सकता है। हम इन कानूनों को सस्पेंड भी कर सकते हैं। जो कमेटी बनेगी, वो हमें रिपोर्ट देगी।
-चीफ जस्टिस की ओर से कहा गया कि अगर समस्या का हल निकालना है, तो कमेटी के सामने जाना होगा। सरकार तो कानून लागू करना चाहती है, लेकिन आपको हटाना है। ऐसे में कमेटी के सामने चीजें स्पष्ट होंगी। चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान किसानों की मांग पर कहा कि पीएम को क्या करना चाहिए, वो तय नहीं कर सकते हैं। हमें लगता है कि कमेटी के जरिए रास्ता निकल सकता है।
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अदालत के फैसले पर सभी की निगाहें
मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जहां बीते दिन सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई, साथ ही सरकार द्वारा किसान आंदोलन को न संभाल पाने को लेकर नाराजगी भी जताई। मामले में आज फैसला आ सकता है। सबकी निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई हैं। बीते दिन कोर्ट की सुंनवाई में कमेटी के नामों की लिस्ट मांगी गयी थी, कोर्ट का कहना है कि जब तक कमेटी कोई निर्णय नहीं लेती, कानून लागू होने पर रोक लगी रहेगी। वहीं किसानों ने कमेटी के सामने पेश होने से इनकार कर दिया है।
26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाने के लिए हलफनामा दाखिल
किसान आंदोलन मामले में सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद केंद्र सरकार ने सोमवार देर रात कोर्ट में प्रारंभिक हलफनामा दाखिल किया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट से 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को रोकने की अपील की है। वहीं किसानों का कहना है कि उनकी इस विशाल रैली में कम से कम 20 हजार ट्रैक्टर शामिल होंगे।
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ट्रैक्टर मार्च के खिलाफ अर्जी दाखिल
दिल्ली पुलिस ने भी प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालने की मंशा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। इस अर्जी में दिल्ली पुलिस ने कहा कि 26 जनवरी को किसानों के द्वारा ट्रैक्टर रैली न निकालने का आदेश सुप्रीम कोर्ट जारी करे। कोर्ट आज यानी मंगलवार को केंद्र की इस अर्जी पर सुनवाई कर सकता है।
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