बर्बाद आम आदमी: सच साबित हुई ये आशंका, घातक बना बजट और ईसीए में बदलाव

हवाई जहाज में घरेलू यात्रा का किराया 30 फीसदी तक बढ़ गया है। दालें महंगी हो गई हैं। सीएनजी पीएनजी महंगी हो गई है। कार और बाइक महंगी हो गई हैं। और तो और चीनी महंगी हो गई है। इसके अलावा प्याज एक बार फिर आम आदमी की थाली से गायब होने लगा है।

Update:2021-02-15 14:16 IST
बडगाम पुलिस और भारतीय सेना की एक टीम ने रविवार को चेकिंग के दौरान लश्कर-ए-तैयबा और तहरीक-उल-मुजाहिदीन के आतंकियों के दो मददगारों को पकड़ा गया है।

रामकृष्ण वाजपेयी

नई दिल्ली: आम बजटे में ममतामई ‘मां’ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जनता पर महंगाई की कोई मार न पड़ने का दावा करते हुए इलेक्ट्रॉनिक सामान, कॉटन के कपड़े, मोबाइल और चार्जर, तांबे का सामान, सूती कपड़े, रत्न, लेदर के जूते, सोलर इन्वर्टर, सेब, काबुली चना, यूरिया, डीएपी खाद, चना दाल, पेट्रोल-डीजल, शराब (शराब पर 100 प्रतिशत सेस लगेगा), ऑटो पार्ट्स महंगे होने के संकेत दिये थे।

आम बजट आने के बाद पिछले 15 दिन में रसोई गैस का सिलेंडर सौ रुपये तक महंगा हो गया है। सब्जियां पांच गुना तक महंगी हो गई हैं।

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प्याज एक बार फिर आम आदमी की थाली से गायब

हवाई जहाज में घरेलू यात्रा का किराया 30 फीसदी तक बढ़ गया है। दालें महंगी हो गई हैं। सीएनजी पीएनजी महंगी हो गई है। कार और बाइक महंगी हो गई हैं। और तो और चीनी महंगी हो गई है। इसके अलावा प्याज एक बार फिर आम आदमी की थाली से गायब होने लगा है। उसके दाम कई गुना बढ़ गए हैं। शादियों का बजट गड़बड़ा गया है। टेंट, बैंड और जेवरात के दाम ऊपर भाग रहे हैं।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने महंगाई को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि बजट पेश होने के बाद पेट्रोल-डीजल के दामों में आए उछाल से आम आदमी की जेब पर बोझ बढ़ा है। राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया है कि मोदी सरकार ने बजट बिगाड़ दिया है- देश और घर दोनों का।

ये तो अभी बजट के परिणामों की शुरुआत है। तेली जिस तरह पेराई में एक एक बूंद तेल निचोड़ लेता है उसी तरह से केंद्र सरकार का मित्र केंद्रित बजट पूंजीपतियों को कमाई के बेहतरीन अवसर दे रहा है जिसके चलते शेयर मार्केट खिलखिला रहा है।

फोटो-सोशल मीडिया

जनता महंगाई की मार में पिसेगी

सोना चांदी का बाजार चढ़ रहा है लेकिन कोरोना के दौरान आर्थिक संकट झेल रहा बदहाल आम आदमी के भोजन की थाली सिकड़ रही है। उससे पौष्टिक चीजें तो पहले ही गायब थीं। अब तो रोटियों की संख्या घटने की नौबत आ चुकी है।

जैसी कि पहले भी आशंका जताई गई थी कि आवश्यक वस्तु अधिनियम से आवश्यक वस्तुओं की सूची निकाले जाने से जनता महंगाई की मार में पिसेगी वह जमीनी धरातल पर दिखाई देने लगा है।

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दरअसल आवश्यक वस्तु अधिनियम बना ही आवश्यक वस्तुओं या उत्पादों की आपूर्ति सुनिश्चित करने तथा उन्हें जमाखोरी एवं कालाबाज़ारी से रोकने के लिये था। इसमें दाल, चावल, आलू, प्याज, ही नहीं, दवाएं, रासायनिक खाद, दलहन और खाद्य तेल, पेट्रोलियम पदार्थ आदि भी शामिल थे।

विपक्ष की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए राजग सरकार ने आवश्यक वस्तुओं की सूची में बड़ा उलटफेर कर दिया है। अब इस सूची से अनाज, दाल-दलहन, खाद्य तेल-तिलहन, आलू और प्याज को इस सूची से हटा दिया है।

फोटो-सोशल मीडिया

नतीजतन अब इन वस्तुओं के भंडारण की सीमा खत्म हो गई है। अब इन वस्तुओं का ज्यादा भंडारण करने पर किसी को जेल नहीं होगी। कंपनियां और व्यापारी इन वस्तुओं को किसी भी सीमा तक जमा करने को आजाद हैं।

वस्तुएं खुले बाजार के हवाले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लीक से अलग चलते हुए आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के जरिए पिछली सरकारों द्वारा 65 साल से चलाई जा रही इन वस्तुओं की बिक्री, उत्पादन और आपूर्ति को नियंत्रित करने की व्यवस्था को एक झटके में ध्वस्थ कर दिया है।

अब ये वस्तुएं खुले बाजार के हवाले हैं। कृषि उत्पादों जैसे अनाज, खाद्य तेल, तिलहन दाल, प्याज और आलू को डी-रेगुलेट कर दिया है यानि अब सरकार इनके बाजार भाव में भी हस्तक्षेप नहीं करेगी।

परिणाम घातक होने थे और दिखायी देने शुरू भी हो गए हैं। व्यापारी अपने मनमाफिक तरीके से किसानों से इन चीजों की खरीद कर, अपने हिसाब से भंडारण कर अपने मूल्य पर बेचने को आजाद हो गए हैं। किसानों का आंदोलन और शक सही निकला। आम आदमी की जगह सरकार के लिए उद्यमी और बड़े व्यापारियों का हित सर्वोपरि हो गया है जो लोकतांत्रिक व्यवस्था में घातक है।

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