भारत-चीन की सेना में विवाद की वजह ये पैंगोंग झील, आइये जाने इसके बारे में

सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है, लेकिन चीन की गतिविधियां देखते हुए भारत हर तरह से सतर्क और किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहना चाहता है।

Update:2020-06-04 14:49 IST

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच बीते एक महीने से लद्दाख के पास लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के पास तनाव की स्थिति बनी हुई है। हालांकि सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है, लेकिन चीन की गतिविधियां देखते हुए भारत हर तरह से सतर्क और किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहना चाहता है।

इस बीच फिंगर 4 और फिंगर 8 की भी काफी चर्चा हो रही है। तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर ये फिंगर्स है क्या?

किसे कहते हैं फिंगर्स?

बीते कुछ सालो से चीनी सेना पैंगोंग झील के किनारे सड़कों का निर्माण कर रही है। साल 1999 में जब कारगिल का युद्ध चल रहा था तो उस वक्त मौके का फायदा उठाते हुए चीन ने भारतीय सीमा में झील के किनारे तकरीबन पांच किलोमीटर लंबी सड़क बना ली। इस झील के उत्तरी किनारे पर बंजर पहाड़ियां है, जिन्हें स्थानीय भाषा में छांग छेनमो कहा जाता है। इन पहाड़ियों के उभरे हुए हिस्से को ही सेना 'फिंगर्स' कहती है।

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भारत और चीन की अलग-अलग राय

भारत का दावा है कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) की सीमा फिंगर आठ तक है। लेकिन उसके द्वारा फिंगर चार तक को ही नियंत्रित किया जाता है। फिंगर आठ पर चीन का पोस्ट है। वहीं चीन का कहना है कि एलएसी फिंगर 2 तक है। छह साल पहले चीनी सेना ने फिंगर 4 पर स्‍थाई निर्माण की कोशिश की, लेकिन भारत द्वारा विरोध किए जाने पर इसे गिरा दिया गया।

पेट्रोलिंग के लिए किया जाता है हल्के वाहनों का उपयोग

चीनी सेना द्वारा फिंगर 2 पर पेट्रोलिंग के लिए हल्के वाहनों का इस्तेमाल किया जाता है। अगर पेट्रोलिंग के दौरान भारत की पेट्रोलिंग टीम से उनका सामना होता है तो उन्हें वापस लौटने के लिए कहा जाता है। क्योंकि उस जगह पर भारत और चीन की पेट्रोलिंग गाड़ियां नहीं घुमा सकते, इसलिए गाड़ी को वापस ले जाने के लिए कहा जाता है।

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फिंगर 8 तक बढ़ाया गया गश्त

भारतीय सैनिक पैदल भी गश्त करने के लिए निकलते हैं। सीमा पर तनाव के मद्देनजर इस गश्त को फिंगर 8 तक बढ़ा दिया गया है। मई महीने के शुरूआत में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच में फिंगर 5 के इलाके में झड़प हो गई थी। जिसके बाद से सीमा पर तनाव और बढ़ गया है। इसकी वजह से दोनों पक्षों में असहमति भी है।

किसलिए हुई थी सैनिकों में भिड़त

दरअसल, चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को फिंगर 2 से आगे जाने से रोक दिया था। बताया जाता है कि इस वक्त चीन के पांच हजार जवान गलवान घाटी में मौजूद हैं। सबसे ज्यादा परेशानी देखने को मिलती है पैंगोंग लेक के आसपास। इस झील के पास कई बार भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ चुके हैं।

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तीन सेक्टर्स में बंटी है LAC

बता दें कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) तीन सेक्टर्स में बंटी है। पहला तो अरुणाचल प्रदेश से लेकर सिक्किम तक है। दूसरा हिमाचल प्रदेश और उत्‍तराखंड तक है। तीसरा है लद्दाख। भारत चीन के साथ लगी इस 3,488 किलोमीटर सीमा पर अपना दावा जताता है, जबकि चीन इस दो हजार किलोमीटर तक ही बताता है।

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पैंगोंग झील के पास होती है अक्सर झड़प

एलएसी ही वह रेखा है जो दोनों देशों की सीमाओं को अलग-अलग करती है। दोनों देशों के सैनिक अपने-अपने हिस्से में LAC पर गश्त करते रहते हैं। इस दौरान कई बार पैंगोंग झील के पास उनकी झड़प हुई है। झील का 45 किलोमीटर का पश्चिमी हिस्‍सा भारत के नियंत्रण में है, जबकि बाकी हिस्सा चीन के हिस्‍से में है। ये झील करीब 604 स्‍क्‍वॉयर किलोमीटर से ज्‍यादा के दायरे में फैली है, जो 135 किलोमीटर लंबी है।

बता दें कि दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए लद्दाख के पास लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के पास भारत ने हवाई पट्टी के निर्माण को और तेज कर दिया है। इसके साथ ही बोफोर्स आर्टिलरी की तैनाती भी हो रही है।

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NH-44 पर इमरजेंसी हवाई पट्टी

लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के नजदीक यानी अनंतनाग के पास NH-44 पर इमरजेंसी हवाई पट्टी का निर्माण किया जा रहा है। जिससे किसी भी इमरजेंसी स्थिति में लड़ाकू विमानों या अन्य विमानों को उतारा जा सके।

भारत में अब भी लॉकडाउन लागू है, लेकिन हवाई पट्टी के निर्माण के लिए सभी तरह की परमिशन दे दी गई है। क्योंकि स्थितियों को देखते हुए अब इंतजार करने का वक्त नहीं है।

आपको बता दें कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से लद्दाख में सड़क निर्माण रुक गया था, लेकिन अब भारत ने इस निर्माण को फिर से शुरू कर दिया है, और इस पर तेजी से काम चल रहा है।

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