First Women Loco Pilot: मिलिए पहली महिला लोको पायलट देबोलीना रॉय से, जल्द शुरू करेगी रेलवे में काम

First Women Loco Pilot: त्रिपुरा की पहली महिला लोको पायलट डेबोलीना रॉय है। देबोलीना को भारतीय रेलवे के खड़गपुर मंडल के तहत असिस्टेंट लोको पायलट नियुक्त किया गया है।

Update: 2023-05-17 14:40 GMT
देबोलीना रॉय त्रिपुरा कि पहली लोको पायलट (फोटो: सोशल मीडिया)

First Women Loco Pilot: आजकल दुनिया के हर काम में महिलाएं बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही है और आगे बढ़ रही हैं। यदि आप ट्रेन में सफर करते हैं तो आपको त्रिपुरा की महिला लोको पायलट ट्रेन चलाते हुए कही न कहीं जरूर मिलेंगी। भारतीय रेलवे में असिस्टेंट लोको पायलट के पद पर एक महिला का चयन हुआ है। देबोलीना रॉय ने पहली महिला लोको पायलट बन कर यह गौरव हासिल किया है।

लोको पायलट कौन होता है

आपको बता दें कि लोको पायलट वह व्यक्ति होता है जिसकी आवश्यकता ट्रेनों को चलाने और ट्रेन चलने के दौरान प्रभावी तरीके से निगरानी करना होता है। यह भारतीय रेलवे में एक सीनियर पद है और कोई भी उम्मीदवार लोको पायलट के रूप में सीधे भर्ती नहीं हो सकते हैं।

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में किया डिप्लोमा

देबोलीना ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अगरतला से करी है। देबोलीना अगरतला के डॉन बॉस्को स्कूल की पूर्व छात्रा है। स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद टीआईईटी अगरतला से देबोलीना ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। उसके बाद वर्ष 2017 में देबोलीना ने गार्गी मेमोरियल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करी है। वह कहती हैं कि भारतीय रेलवे करियर के लिहाज से बहुत अच्छा है।

अपने सपनों को पूरा करने की बात

करियर के लिहाज से रेलवे बहुत अच्छी जगह है इसीलिए मैंने रेलवे को अपने करियर के तहत चुना और उसके लिए तैयारी करी। उन्होंने समाज के हर लड़की को अपना सपना पूरा करने की बात कही। देबोलीना का परिवार त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में रहता है। अपना प्रशिक्षण पूरा करने के बाद देबोलीना भारतीय रेलवे के तहत खड़गपुर मंडल में अपने कर्तव्य पूर्ण करने के लिए तैयार है।

देबोलीना के माता पिता बेहद खुश

देबोलीना के माता पिता बेटी की इस उपलब्धि पर बेहद खुश हैं, इनकी माता का नाम चंद्रानी भट्टाचार्य और पिता का नाम रणबीर राय है, और पूरा परिवार अगरतला में ही निवासरत है। माता पिता का कहना है कि उन्होंने बचपन से ही बेटी को शिक्षित करने का लक्ष्य बनाया था और आज असिस्टेंट लोको पायलट के पद पर चयनित होकर बेटी ने सपने को पूरा किया है।

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