इस राज्य में बंद होंगे सरकारी मदरसे, विधानसभा में आज सरकार पेश करेगी विधेयक

असम में दो तरह के मदरसे संचालित होते हैं, एक सरकारी मान्यता प्राप्त वाले और दूसरे वो जो निजी संगठन चलाते हैं। सरकारी मदरसों को राज्य सरकार हर साल ग्रांट देती है।

Update: 2020-12-28 05:33 GMT
पिछले दिनों ही मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक के दौरान सरकारी मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया गया था।

गुवाहाटी: असम की सरकार सरकारी मदरसों और संस्कृत स्कूल को बंद करने जा रही है। आज विधानसभा में विधेयक पेश किया जाएगा। इस बात की जानकारी मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने दी।

सरमा ने सोमवार को बताया कि आज वह विधानसभा में मदरसों को लेकर विधेयक पेश करेंगे। इस विधेयक के पास होने के बाद असम में सरकारी मदरसों का संचालन बंद कर दिया जाएगा, जो कि असम की स्वतंत्रता के पहले से संचालित हो रहे थे।

अक्टूबर में शिक्षा मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा था कि असम में 610 सरकारी मदरसे हैं और सरकार इन संस्थानों पर प्रति वर्ष 260 करोड़ रुपये खर्च करती है।

इस राज्य में बंद होंगे सरकारी मदरसे, विधानसभा में आज सरकार पेश करेगी विधेयक(फोटो: सोशल मीडिया)

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उच्च विद्यालयों में तब्दील किये जाएंगे सभी सरकारी मदरसे

राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड असम को भंग कर दिया जाएगा। सभी सरकारी मदरसे को उच्च विद्यालयों में तब्दील कर दिया जाएगा और वर्तमान छात्रों के लिए नया नामांकन नियमित छात्रों की तरह होगा।

वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधानसभा के उपाध्यक्ष अमीनुल हक लस्कर ने कहा था कि मदरसे निजी पार्टियों द्वारा चलाए जाते हैं, इन (निजी) मदरसों को बंद नहीं किया जाएगा। मतलब, सामाजिक संगठनों और अन्य गैर सरकारी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे प्राइवेट मदरसे चलते रहेंगे।

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इस राज्य में बंद होंगे सरकारी मदरसे, विधानसभा में आज सरकार पेश करेगी विधेयक(फोटो: सोशल मीडिया)

असम में दो तरह के मदरसे संचालित होते हैं

असम में दो तरह के मदरसे संचालित होते हैं, एक सरकारी मान्यता प्राप्त वाले और दूसरे वो जो निजी संगठन चलाते हैं। सरकारी मदरसों को राज्य सरकार हर साल ग्रांट देती है, जबकि प्राइवेट मदरसे अपने खर्च पर संचालित होते हैं। सरकार ने सरकारी मदरसों को बंद करने का ऐलान किया है।

बता दें कि आज से असम विधानसभा का तीन दिवसीय शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। पिछले दिनों ही मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक के दौरान सरकारी मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया गया था। इसके बाद सरकार ने विधेयक को विधानसभा में पेश करने का प्लान बनाया था।

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