GST: देश के इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा सवेरा, इससे पहले 1947 को संसद में हुई थी ऐसी बैठक

आजादी के सत्तर साल बाद देश में फिर से एक रात आई। एक ऐसी रात जिसने देश की सबसे उजले सवेरे की याद दिला दी। यह रात 30 जून 2017 की रात थी। इस आधी

Update:2017-07-02 16:52 IST
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लखनऊ: आजादी के सत्तर साल बाद देश में फिर से एक रात आई। एक ऐसी रात जिसने देश की सबसे उजले सवेरे की याद दिला दी। यह रात 30 जून 2017 की रात थी। इस आधी रात को संसद बैठी ठीक उसी तरह जैसे 14-15 अगस्त 1947 की रात बैठी थी। जब 15 अगस्त का सबसे उजाला सवेरा हुआ था। 14-15 अगस्त 1947 को शंखनाद हुआ था।

30 जून 2017 की आधी रात को घंटा बजा। घंटध्वनि ने बताया कि देश में जीएसटी आ गया है और आधी रात से जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स लागू हो गया। जीएसटी एक ऐसी कर व्यस्था जिसे देश में आजादी के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार माना जा रहा है।

यहां तक कि इसके लिए केंद्र सरकार ने वन नेशन वन टैक्स जैसी महत्वपूर्ण टैगलाइन दे दी है। माना जा रहा है कि इससे पूरा देश एक एकीकृत बाजार के रूप में उभरेगा। जीएसटी लांच करने के समय मंच पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष व पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा रहे। सांसदों, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री व वित्तमंत्रियों को भी कार्यक्रम में बुलाया गया था। लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य, राज्यों के मुख्यमंत्रियों और वित्त मंत्रियों को भी इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया था।

वर्तमान में देश में दो तरह के कर प्रचलित हैं। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर। प्रत्यक्ष कर यानी जिन करों के लिए कमाई करने वाला सीधे जिम्मेदार है। जैसे इनकम टैक्स इसमें जो कमाता है वह अपने कर के लिए जिम्मेदार होता है। वहीं अप्रत्यक्ष कर जिसके लिए व्यक्ति प्रत्यक्ष तौर पर जिम्मेदार नहीं होता।

जीएसटी इसी तरह का टैक्स है। अब तक यह होता था कि एक ही देश में टैक्स से किसी उत्पाद की कीमत उत्पादन से लेकर हमारे हाथों तक पहुंचने तक दुगनी या तिगुनी हो जाती है। किसी भी सामान को खरीदते वक्त हम उस पर 30-35 प्रतिशत टैक्स के रूप में चुकाते हैं। कहीं कहीं तो यह 50 प्रतिशत तक है। जीएसटी लागू होने के बाद यह टैक्स घटकर 12 प्रतिशत और अधिकतम 28 फीसदी हो जाएगा।

कैसे होगा फायदा?

उदाहरण के तौर पर अगर आपको एक शर्ट लेनी हो तो 100 रुपये के कपड़े पर 10 रुपये टैक्स के साथ वह 110 रुपये की होती थी। इसके बाद अगर 30 रुपये की सिलाई हुई तो वह 140 रुपये की हो जाती थी पर 10 फीसदी टैक्स के साथ वह 154 रुपये की हो जाती थी। इसकी तरह जो इस पर टैग लगाता था अगर 20 रुपये का टैग है तो वह 174 रुपये और बाद में 10 फीसदी टैक्स के साथ वह 191 रुपये 40 पैसे की हो जाती थी। रिटेलर अगर इस पर 30 रुपये कमाता तो यह 221 रुपये और 10 फीसदी टैक्स के साथ 243 रुपये की हो जाती थी। जीएसटी लागू होने के साथ अब यह 110 रुपये के बाद लगने वाले 30 रुपये पर तीन रुपये, 20 रुपये पर 2 रुपये और 30 रुपये पर 3 रुपये यानी 197 रुपये की ही होगी। यानी जीएसटी ने अब कर पर कर लगाने की स्थिति को खत्म कर दिया है।

जीएसटी लागू होने पर कंपनियों की परेशानियां और खर्च भी कम होगा। व्यापारियों को सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। एक टैक्स संरचना होने से उनके लिए टैक्स भरना भी आसान होगा। जब किसी कंपनी को अलग-अलग टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा तो सामान बनाने की लागत घटेगी। इससे सामान सस्ता होने की भी उम्मीद है। जीएसटी आने के बाद टैक्स का ढांचा पारदर्शी होगा और असमानता नहीं होगी। काफी हद तक टैक्स विवाद कम होंगे। जीएसटी लागू होने से ढेरों टैक्स कानून और रेगुलेटरों का झंझट नहीं होगा। साथ ही सब कुछ ऑनलाइन होगा।

डिस्काउंट वाले उपभोक्ता होंगे निराश

एक और चीज जिसका महंगा होना लगभग तय है वो है सॢवसेज। इतना ही नहीं अभी लोग कंपनियों के भारी भरकम डिस्काउंट का जितना फायदा उठाते हैं,जीएसटी लागू होने के बाद उतना फायदा नहीं उठा सकेंगे। अगर सॢवसेज की बात की जाए तो मोबाइल फोन का बिल, क्रेडिट कार्ड का बिल या फिर ऐसी दूसरी सेवाएं महंगी हो सकती हैं क्योंकि अभी सॢवसेज पर अधिकतम 14.5 फीसदी सॢवस टैक्स लगता है। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद यह 18 फीसदी तक हो सकता है।

वहीं डिस्काउंट के मामले में अभी डिस्काउंट के बाद जो कीमत होती है उस पर टैक्स लगता है, लेकिन जीएसटी के तहत छूट के बाद की कीमत पर नहीं बल्कि एमआरपी पर टैक्स लगेगा। मसलन अगर 10000 रुपये का सामान कंपनी आपको 5000 रुपये में देती है तो अभी आपको करीब 600 रुपये टैक्स देने पड़ता है, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद आपको 1200 रुपये टैक्स चुकाना पड़ सकता है।

किस पर कितना जीएसटी

इन आइटम्स पर नहीं लगेगा कोई टैक्स

फ्रेश मीट, फिश, चिकन, अंडा, दूध, बटर मिल्क, दही, शहद, फल एवं सब्जियां, आटा, बेसन, ब्रेड, प्रसाद, नमक, सिंदूर, स्टांप, न्यायिक दस्तावेज, प्रिंटेड बुक्स, अखबार, चूडिय़ा और हैंडलूम जैसे तमाम रोजमर्रा की जरूरतों के आइटम्स को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है।

आटोमोबाइल सेक्टर

इस सेक्टर में जीएसटी के लागू होने के बाद कुल करों में कमी आएगी। इसके लागू होने के बाद ऑटोमोबाइल सेक्टर में सेस के भार को कम किया जा सकेगा। इस सेक्टर में सबसे ज्यादा फायदा बड़ी कारों और एसयूवी को होने वाला है। वहीं खास बात यह है कि बड़ी हायब्रिड गाडिय़ों पर इसका असर उल्टा पडऩे वाला है। सरकार हायब्रिड गाडिय़ों को प्रोत्साहित करना चाहती है पर बड़ी हायब्रिड गाडिय़ां इसके लागू होने से 15 फीसदी सेस से नहीं बच सकेंगी। छोटी हायब्रिड कारों और बिजली/बैटरी से चलने वाली छोटी कारों पर सेस नहीं लगेगा। इस कारण उनके दाम कम हो सकेंगे। दो पहिया वाहनों और व्यवसायिक वाहनों पर ज्यादा असर इसलिए नहीं पड़ेगा क्योंकि अभी उन पर 30 फीसदी टैक्स लगता है। जीएसटी लागू होने के बद उन पर 28 फीसदी टैक्स लगेगा और 350 सीसी से ज्यादा के वाहनों पर 31 फीसदी।

एयरलाइन्स

इकोनॉमी क्लास में पांच फीसदी टैक्स लगेगा जिससे यात्रा सस्ती होगी। वहीं बिजनेस क्लास में यात्रा महंगी होगी क्योंकि वर्तमान के आठ फीसदी से ज्यादा 12 फीसदी टैक्स लगेगा।

उपभोक्ता वस्तुएं

वर्तमान में टूथपेस्ट, साबुन, तेल, सब पर 22 से 24 फीसदी टैक्स लगता है। इन सबको 18 फीसदी टैक्स में रखा गया है। इससे ये चीजें सस्ती होंगी। वहीं बेबी फूड, डिटर्जेंट, हेल्थ सप्लीमेंट, स्किन केयर, कोल्डड्रिंक, लिक्विड सोप, शैंपू के दाम बढ़ेंगे क्योंकि इन पर अब 28 फीसदी टैक्स लगेगा। इसके अलावा एक देश एक टैक्स होने से ट्रांसपोर्ट समेत दूसरे लॉजिस्टिक में भी एफएमसीजी (फास्ट मूविंग कन्ज्यूमर गुड) सेक्टर को लाभ होगा।

दवाई

इस पर कोई ज्यादा असर नहीं पडऩे वाला है। वर्तमान में इस पर 11.5 से 12.5 फीसदी टैक्स लगता है। अब इस पर 12 फीसदी टैक्स लगेगा और वैट 6 फीसदी लगता था जो अब 5 फीसदी लगेगा।

कपड़ा उद्योग

अगर उपभोक्ता की बात की जाय तो कपड़ा अगर 1000 रुपये प्रति पीस से कम का है तो वह सस्ता होगा। वहीं 1000 रुपये से ऊपर का कपड़ा महंगा हो जाएगा। कपास की इंडस्ट्री पर बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। ऊन, सिल्क आधारित टेक्सटाइल के कपड़े थोड़े सस्ते हो जाएंगे।

ऊर्जा सेक्टर

इस सेक्टर में कोयले की बिजली सस्ती, पवन ऊर्जा महंगी होगी। कोयले पर टैक्स की कमी ने कोयला आधारित थर्मल प्लांट के खर्च में कमी कर दी है। यह बात अलग है कि थर्मल पावर में बायलर, टरबाइन और जेनरेटर सेट पर टैक्स बढऩे से बिजली का प्लांट लगाने की कीमत बढ़ जाएगी। वहीं पवन ऊर्जा का प्लांट लगाने की दरो में बढ़ोत्तरी आने से इसका महंगा होना तय है मगर सरकार का मानना है कि हर राज्य और केंद्र से मिल रही अक्षय ऊर्जा में छूट के प्रावधानों से वह इसे काबू में रख सकेंगे।

टेलीकॉम सेक्टर

टेलीकॉम सेक्टर में टैक्स 15 फीसदी से बढक़र 18 फीसदी होने से मोबाइल का बिल बढऩा तय है।

स्टील सेक्टर

इस सेक्टर में कोई बदलाव नहीं आएगा क्योंकि वैट, एक्साइज ड्यूटी आदि मिलाकर जितना टैक्स लगता था करीब करीब उतना ही 18 फीसदी टैक्स इस सेक्टर पर लगाया गया है।

रियल एस्टेट

रियल एस्टेट सेक्टर इस बिल के लागू होने से सबसे ज्यादा प्रसन्न है। सेक्टर के जानकारों की मानें तो यह कानून रियल एस्टेट सेक्टर की कई समस्याओं का समाधान कर देगा। डेवलपर्स को जहंा भारी टैक्सों के बजाय जीएसटी देने से उनके प्रोजेक्ट की लागत कम होगी वहीं उपभोक्ताओं को सस्ते घर मिल सकेंगे। इसके अलावा राज्यों की सीमाओं की सरहद खत्म होने से मोबिलिटी आसान होगी।

वर्तमान की दरों से कहीं ज्यादा करीब 12 फीसदी के स्लैब में रखा गयी यूरिया की खाद अब महंगी होगी। वहीं सब्सिडी का भार और बढऩे वाला है क्योकि कोई भी सरकार यूरिया का दाम बढ़ाने का खतरा मोल नहीं लेगी।

होटल में एक हजार तक के कमरे पर टैक्स नहीं

जीएसटी लागू होने के बाद अगर आप 1000 तक के कमरे में रुक रहे हैं तो कोई टैक्स नहीं देना होगा। एक हजार से 2500 के कमरे पर 12 फीसदी, 2500-7500 के कमरे पर 18 फीसदी और 7500 रुपये के कमरे पर 28 फीसदी टैक्स भरना होगा।

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क्या कहना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का

देश के हित से बड़ा कोई हित नहीं है। उत्तर प्रदेश सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य होने के नाते यहां पर सबसे अधिक उपभोक्ता निवास करते हैं। इस कर प्रणाली के लागू होने से उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक लाभ होगा। वर्तमान अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में राज्य सरकार द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं पर आठ अलग-अलग प्रकार के कर लगाए जाते हैं।

केन्द्र सरकार द्वारा भी विभिन्न कर तथा सेस लगाए जाते हैं,जिनसे उपभोक्ताओं पर करों की दोहरी मार पड़ती है और करदाता को विभिन्न विभागों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। राज्यों में अलग-अलग तरह की कर प्रणाली लागू होने से देश की अर्थव्यवस्था में राज्यों के बीच विभिन्न बाधाएं आती हैं। इससे देश का आॢथक विकास बाधित होता है व निवेशकों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जीएसटी प्रणाली देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था में क्रान्तिकारी सूत्रपात करेगी। कर की दरें तय करते समय आम उपभोक्ता एवं किसानों का पूरा ध्यान रखा गया है।

किसानों द्वारा उत्पादित वस्तुओं, खाद्यान्न, दलहन, फल, सब्जी, दूध, दही, गुड़, नमक आदि को जीएसटी में कर मुक्त रखा गया है। इस प्रणाली में छोटे व्यापारियों और उद्यमियों का भी ध्यान रखा गया है। सभी व्यवस्थाएं ऑनलाइन रखी गई हैं, जिससे व्यापारियों को कार्यालय नहीं आना पड़ेगा। कुछ भ्रांतियां और शंकाएं हैं, जिनका समाधान किया जाना जरूरी है।

यह सभी का दायित्व है कि जीएसटी के सम्बन्ध में सही जानकारी आम उपभोक्ताओं एवं व्यापारियों तक पहुंचे, जिससे उनकी भ्रांतियां व शंकाएं दूर हो सकें। मंत्रिमंडल के सदस्यों से अपेक्षा है कि वे जनपदों में जाकर व्यापारियों, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, अधिवक्ताओं, व्यापारिक संगठनों से नियमित संवाद करें तथा गोष्ठियों, संवाद और प्रेस वार्ताओं के माध्यम से इस प्रणाली के संबंध में हो रही भ्रांतियों व गलतफहमियों को दूर करें।

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