नई दिल्ली : वर्षों से सुनते रहे हैं कि एक का गम दूसरे के लिए खुशियों की सौगात लेकर आता है। गुजरात में ये बात साबित भी हो गई है। 2 महीने पहले तक जहां बीजेपी पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के जनाधार से परेशान नजर आ रही थी। वहीं हार्दिक की कथित सीडी आने के बाद बीजेपी में खुशी का माहौल है। इसके बाद पाटीदारों में हार्दिक का प्रभाव कम भी होने लगा। उसके करीबी उसे छोड़ जहां बीजेपी का दामन थाम रहे हैं। कांग्रेस भी बैक फुट पर नजर आ रही है।
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बीजेपी की चिंता हुई दूर
पाटीदार समाज बीजेपी का परंपरागत वोटर रहा है। लेकिन हार्दिक के उदय के बाद उसका बीजेपी से मोहभंग होने लगा। इससे बीजेपी के रणनीतिकारों के कान खड़े हो गए। रही सही कसर जीएसटी-नोटबंदी ने पूरी कर दी। बीजेपी के लिए वोट मांगना मुश्किल होने लगा था। लेकिन जिस तरह से जीएसटी दरों में सुधार हुआ और हार्दिक की कथित सीडी मार्किट में आई बीजेपी के हौंसले बुलंद होने लगे। सीडी आने के बाद कांग्रेस ने भी हार्दिक के साथ उचित दूरी बना ली है।
वहीं बीजेपी हार्दिक से एक-एक कर उसके करीबियों को तोड़ने में कामयाब होती जा रही है। राजनीतिक पंडित ये मानते हैं, भले ही बीजेपी को इस चुनाव में सीटें कम मिलें। लेकिन सत्ता उसके हाथों में ही रहने वाली है। ये बात हार्दिक के करीबी भी जानते हैं। उन्हें लगने लगा है की कांग्रेस अधिक समय तक हार्दिक के साथ नहीं रहने वाली। बीजेपी के सत्ता में आने के बाद पार्टी उन्हें कुछ तो सम्मान देगी।
अपने हुए पराए
पाटीदार अनामत आंदोलन के बड़े नाम वरुण पटेल, रेशमा पटेल, केतन पटेल, चिराग पटेल के साथ ही श्वेता और अमरीश आज बीजेपी के सदस्य हैं। आंदोलन के समय ये 6 हार्दिक के लिए रणनीति बनाते उसे अमलीजामा पहनाते, बयान तैयार करते और फंड की भी व्यवस्था करते थे। अब ये हार्दिक को कमजोर करने का काम कर रहे हैं। उम्मीद है कि कुछ ही दिनों में हार्दिक के कई और करीबी बीजेपी में शामिल होंगे।
नितिन पटेल को मिली बड़ी जिम्मेदारी
बीजेपी आलाकमान ने उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल को जिम्मेदारी सौंपी है कि वो पाटीदार समाज के युवा नेताओं को पार्टी के साथ जोड़ें। पटेल ने हार्दिक की टीम तोड़ अपनी जिम्मेदारी को काफी हद तक निभाया भी है। अब देखना ये होगा कि पाटीदार बीजेपी को कितना वोट देते हैं।
कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ी
हार्दिक को गोद में बैठा, कांग्रेस ये समझ रही थी कि गुजरात में पाटीदार के एक मुश्त वोट उसकी झोली में आन गिरे हैं। लेकिन सीडी कांड ने उसे मंथन को मजबूर कर दिया है। पाटीदार समाज में भी हार्दिक को लेकर विरोध नजर आने लगा है। बीजेपी की दोनों लिस्ट देखने के बाद अंदाजा होता है कि उसने डैमेज को कंट्रोल करने की कवायद आरंभ कर दी है। जबकि कांग्रेस अभी भी हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश के बीच झूल रही है।
हार्दिक जहां पहले कांग्रेस के लिए जरुरी नजर आ रहे थे। वहीं अब वो पार्टी को बोझ लगने लगे हैं। पार्टी को लगता है कि हार्दिक का ग्राफ जिस तेजी से गिर रहा है, उससे वो फायदा भले ना दें लेकिन नुकसानदायक जरुर हो जाएंगे। इसके साथ ही शरद पवार की एनसीपी और शरद यादव भी सीटों के लिए मोलतोल करने में लगे हैं।