महाराष्ट्रः मुंबई की विशेष अदालत ने हर्षद मेहता के भाई सुधीर मेहता समेत 6 आरोपियों को 700 करोड़ के घोटाले का दोषी करार दिया है। इस घोटाले में स्टॉक ब्रोकर और बैंक के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।
बता दें कि साल 1990 से 92 के समय एक ऐसा घोटाला सामने आया, जिसने शेयरों की खरीद-बिक्री की प्रकिया में ऐतिहासिक परिवर्तन ला दिया। इस घोटाले के जिम्मेदार हर्षद मेहता ने बैंकिंग नियमों का फायदा उठाते हुए बैंकों को बिना बताए उनके करोड़ो रुपए के शेयर मार्केट में लगा दिए थे। साल 2002 में इस घोटाले के मुख्य आरोपी हर्षद मेहता की मौत हो गई थी। इसलिए उनके खिलाफ उस समय केस को बंद कर दिया गया था।
आगे की स्लाइड में पढ़ें क्या कहा अदालत ने?
-यह नेशनल बैंक से धोखाधड़ी के जरिए करोड़ों रुपए निकालने का मामला है।
-आरोपियों के इस घोटाले के करने की वजह से देश की अर्थव्यवस्था डगमगा गई थी।
-इसके बाद अदालत ने हर्षद मेहता के भाई सुधीर और दीपक मेहता को दोषी करार दिया।
-इसके साथ ही अदालत ने नेशनल हाउसिंग बैंक के अधिकारी सी. रविकुमार, सुरेश बाबू ।
-स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी आर. सीतारमन और स्टॉक ब्रोकर अतुल पारेख को भी इस मामले में दोषी करार दिया है।
-कोर्ट ने उन्हें धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक विश्वासघात से जुड़ी धाराओं और भ्रष्टाचार निवारक कानून के तहत दोषी ठहराया है।
-दोषियों को 6 महीने से 4 साल तक की सजा दी जा सकती है।
आगे की स्लाइड में पढ़ें कोर्ट ने क्या लगाया जुर्माना
-कोर्ट ने इसके साथ ही दोषियों पर 11.95 लाख का जुर्माना भी लगाया है।
-इस मामले में 3 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है।
-बता दें कि दोषियों ने नोटबंदी का हवाला देते हुए जुर्माने की रकम के लिए कोर्ट से समय की मांग की है।