हरियाणा: किसानों का गुस्सा भुनाने में जुटे चौटाला, इस्तीफे से दुष्यंत पर बढ़ा दबाव

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों में भारी नाराजगी दिख रही है। इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय सिंह चौटाला किसानों की इस नाराजगी को भुनाने में जुट गए हैं।

Update:2021-01-28 14:36 IST
हरियाणा: किसानों का गुस्सा भुनाने में जुटे चौटाला, इस्तीफे से दुष्यंत पर बढ़ा दबाव (PC: social media)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से पारित नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन में सबसे ज्यादा भागीदारी पंजाब और हरियाणा के किसानों की है। हरियाणा में सियासी रूप से यह मामला काफी गरमाया हुआ है और पिछले दिनों किसानों ने करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सभा तक नहीं होने दी थी। उन्होंने खट्टर का मंच तहस-नहस कर डाला था।

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नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों में भारी नाराजगी दिख रही है। इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय सिंह चौटाला किसानों की इस नाराजगी को भुनाने में जुट गए हैं। किसानों के साथ एकजुटता और नए कृषि कानूनों पर विरोध जताने के लिए चौटाला ने हरियाणा विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है।

माना जा रहा है कि चौटाला ने सियासी फायदा उठाने के लिए यह बड़ा कदम उठाया है। चौटाला के इस्तीफे से हरियाणा के उपमुख्यमंत्री और जननायक जनता पार्टी के मुखिया दुष्यंत चौटाला पर भी इस्तीफे का दबाव बढ़ गया है।

नए कृषि कानूनों को अलोकतांत्रिक बताया

किसानों के साथ एकजुटता जताने को चौटाला ने इस्तीफा देने के लिए भी निराला अंदाज अपनाया। वे हरे रंग के ट्रैक्टर पर सवार होकर इस्तीफा देने विधानसभा परिसर पहुंचे। विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता को लिखे त्यागपत्र में चौटाला ने कहा कि कृषि कानूनों को अलोकतांत्रिक ढंग से किसानों पर थोपा जा रहा है।

farmer (PC: social media)

केंद्र सरकार के इस कदम को स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि पूरे देश का किसान इन कानूनों के खिलाफ एकजुट होकर विरोध जता रहा है। इसलिए मैंने भी किसानों के साथ खड़ा होकर केंद्र सरकार के इस अलोकतांत्रिक कदम पर विरोध जताने के लिए इस्तीफा दिया है।

दिल्ली में हिंसा के लिए केंद्र जिम्मेदार

गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में हुए उपद्रव और हिंसा की घटनाओं को लेकर भी चौटाला ने केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने उन किसान नेताओं को फंसाने की कोशिश की है जो आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं।

इसी कारण केंद्र सरकार की ओर से इन किसान नेताओं के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में हुई घटनाओं के लिए किसान नहीं बल्कि केंद्र सरकार जिम्मेदार है क्योंकि इसकी साजिश केंद्र सरकार की ओर से ही रची गई थी।

किसानों से एकजुटता दिखाने की कोशिश

हरियाणा में विधानसभा सदस्यों की संख्या 90 है और अभय चौटाला इंडियन नेशनल लोकदल के टिकट पर जीतने वाले एकमात्र विधायक थे। वे पार्टी के अध्यक्ष एवं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के छोटे बेटे हैं।

सियासी जानकारों का मानना है कि किसानों के साथ एकजुटता दिखाकर चौटाला उनकी नाराजगी को भुनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसी के तहत उन्होंने विधायकी से इस्तीफा दिया है।

अध्यक्ष ने स्वीकार किया इस्तीफा

विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने बताया कि चौटाला का इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया गया है। चौटाला के इस्तीफे के बाद मीडिया से बातचीत में गुप्ता ने कहा कि अभय चौटाला ने अपने इस्तीफे में किसानों की मांगों का जिक्र किया है। उन्होंने कहा है कि किसानों की मांगें पूरी न होने के कारण उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया है।

इस्तीफे से दबाव में आए दुष्यंत

अभय चौटाला की ओर से उठाए गए इस बड़े कदम के बाद हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर भी इस्तीफे का दबाव बढ़ गया है। दुष्यंत की पार्टी जजपा के कई विधायकों ने किसानों की मांगों का समर्थन किया है और अब चौटाला से भी इस दिशा में कदम उठाने की मांग की जा रही है।

विधायकों के रुख को भागते हुए चौटाला ने पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी। उन्होंने किसानों का मुद्दा जल्द से जल्द सुलझाने का अनुरोध किया था मगर अभी तक कई दौर की बातचीत के बाद इस दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हो सकी है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि जजपा के विधायकों के बढ़ते दबाव के बाद दुष्यंत चौटाला आखिर क्या कदम उठाते हैं।

किसानों से घर लौटने की अपील

इस बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दिल्ली में उपद्रव और लाल किले पर हुई घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि सच्चाई तो यह है कि अब किसान आंदोलन इसके नेताओं के हाथ से बाहर निकल चुका है। गणतंत्र दिवस के दिन हुई घटनाओं को दुखद बताते हुए उन्होंने किसानों से घर लौट जाने की अपील की।

गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हिंसा के बाद उन्होंने अपने मंत्रिमंडल की विशेष बैठक भी बुलाई थी। इस बैठक के बाद उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल की राय थी कि प्रदेश की जनता को मिलकर असामाजिक तत्वों के नापाक इरादों को विफल करना चाहिए।

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लाल किले की घटना बर्दाश्त नहीं

खट्टर ने कहा कि लाल किले पर तिरंगे के अलावा किसी और ध्वज को फहराया जाना किसी भी भारतीय को बर्दाश्त नहीं होगा। लाल किले पर किसी और ध्वज को फहराना उन स्वतंत्रता सेनानियों और अमर शहीदों का अपमान है जिन्होंने लाल किले पर तिरंगा फहराने के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने किसान आंदोलन का नेतृत्व हाईजैक कर लिया है। इसलिए किसान भाइयों को भी आंदोलन की दिशा पर गहराई से विचार करना चाहिए।

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी

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