गिर जाएगी हरियाणा की खट्टर सरकार? दुष्यंत चौटाला ने दिया ये बड़ा बयान

अमित शाह से मुलाकात से पहले चौटाला ने अपनी पार्टी के सभी विधायकों के साथ बैठक की। हरियाणा में किसान आंदोलन के राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए चौटाला ने यह बैठक बुलाई थी। इसका मकसद था कि अपने विधायकों को गठबंधन में एकजुट बनाए रख सकें।

Update: 2021-01-12 18:15 GMT
डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के कार्यक्रम में कोई बाधा न पहुंचे इसलिए विधायक नीरज शर्मा समेत कुछ स्थानीय नेताओं को घर में कैद कर दिया गया है।

नई दिल्ली: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। गृहमंत्री से मुलाकात के बाद हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा की सरकार पर चल रहे संकट के तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी।

इस बैठक में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ भी मौजूद रहे। गौरतलब है कि हरियाणा में किसान आंदोलन को लेकर सियासी गतिविधियां तेज हुई हैं। कांग्रेस सरकार के खिलाफ बार-बार विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग कर रही है।

इस बैठक से पहले जेजेपी विधायकों के एक गुट ने कहा कि केंद्र सरकार को तीन कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए अन्यथा हरियाणा में सत्तारूढ़ बीजेपी और जेजेपी गठबंधन को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। जेजेपी विधायक जोगी राम सिहाग ने कहा कि केंद्र को इन कानूनों को वापस लेना चाहिए, क्योंकि हरियाणा, पंजाब और देश के किसान इन कानूनों के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि हम दुष्यंत जी से आग्रह करेंगे कि हमारी भावनाओं से अमित शाह जी को अवगत करा दें।

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चौटाला की सभी विधायकों के साथ बैठक

अमित शाह से मुलाकात से पहले चौटाला ने अपनी पार्टी के सभी विधायकों के साथ बैठक की। हरियाणा में किसान आंदोलन के राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए चौटाला ने यह बैठक बुलाई थी। इसका मकसद था कि अपने विधायकों को गठबंधन में एकजुट बनाए रख सकें।

गौरतलब है कि 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनावों में 90 सीटों में से 40 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी और उसने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के दस विधायकों और सात निर्दलीय विधायकों के सहयोग से सरकार बनाई।

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बता दें कि हरियाणा और पंजाब सहित देश के विभिन्न इलाकों के किसान बीते वर्ष 28 नवंबर से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि सरकार तीनों कानूनों को वापस ले तथा अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की वैधानिक गारंटी की मांग कर रहे हैं।

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