तड़प-तड़पकर मरा किसान! धरनास्थल पर निगला जहर, कृषि कानून के खिलाफ दी जान
हरियाणा के पठानकोट-अमृतसर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक टोल प्लाजा के पास किसान ने कृषि कानूनों के विरोध में जहर खाकर आत्महत्या कर ली।
चंडीगढ़. किसान आंदोलन के बीच अपने घर परिवार को छोड़ दिल्ली की सीमा पर डटे किसान आर या पार की लड़ाई लड़ रहे हैं। हालत ये हैं कि इस पूरे आंदोलन की दौरान अब तक 70 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी हैं। किसी ने आत्महत्या कर दी तो कुछ का बीमारी के चलते निधन हो गया। इसी कड़ी में बुधवार को एक और किसान ने जहर खाकर दम तोड़ दिया।
पठानकोट-अमृतसर NH टोल प्लाजा पर किसान की मौत
दरअसल, हरियाणा के पठानकोट-अमृतसर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक टोल प्लाजा के पास किसान ने कृषि कानूनों के विरोध में जहर खाकर आत्महत्या कर ली। जहर निगलने की सूचना पर किसानों को इलाज के लिए निजी अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गई।
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जहर खाकर आंदोलन के दौरान की आत्महत्या
इस घटना के बाद किसानों की उग्रता देखने को मिली। साथी किसान की मौत से दुखी किसानों ने अस्पताल के बाहर ही सरकार और कृषि कानूनों के खिलाड़ धरना प्रदर्षन शुरू कर दिया। इस बारे में जानकारी देते हुए अन्य किसानों ने बताया कि आत्महत्या करने वाले किसान का नाम सुच्चा सिंह है, जो गुरदासपुर के गांव खोखर में रहता था। वह भी कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के संघर्ष में हिस्सा लेने के लिए पहुंच था।
किसान आंदोलन की मदद के लिए दिए थे 10 हजार
किसान की मौत को लेकर बताया गया कि वह कृषि कानूनन के खिलाफ किसानों की दशा देख कर दुखी था। लोगों का मानना है कि इसी वजह से उसने आत्महत्या कर दी। बीते दिन करीब सुबह 11 बजे सुच्चा सिंह गुरदासपुर से लदपालवां किसानों के धरने में शामिल होने के लिए पहुंचे थे।
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किसानों का दर्द से थे दुखी
सुच्चा सिंह अपने साथ सब्जियां लाये थे और किसान भाइयो के आंदोलन को समर्थन देने के लिए 10 हजार रुपये सहयोग राशि दी थी। उन्होने कहा थी कि अब यह कृषि कानून और किसानों का दर्द उन्हें बहुत दुख दे रहा है। इसके बाद देर शाम अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी तो उन्हें चौहान मेडिसिटी ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत करार दे दिया। पता चला कि उन्होने जहर खा लिया था।
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