अभी-अभी: भूकंप से हिला भारत, जान बचाकर घरों से भागे लोग
भूकंप का केंद्र पाकिस्तान का पंजाब और अफगानिस्तान के हिंदुकुश भी भूकंप का केंद्र था। वहीं देश की राजधानी दिल्ली में दहशत का माहौल है। हालांकि दिल्ली के भूकंप की तीव्रता की जानकारी नहीं हो सकी है। बता दें कि इसके पहले हिमाचल के कांगड़ा जिले में मंगलवार सुबह भूकंप के तगड़े झटके महसूस किए गए थे।
नई दिल्ली: देश में लगातार भूकंप के झटके आ रहे हैं कभी किसी राज्य में तो कभी किसी राज्य में। खबर है कि उत्तर भारत के कई राज्यों में भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए हैं। जानकारी के मुताबिक दिल्ली, एनसीआर, हरियाणा,जम्मू कश्मीर में भूकंप के तेज झटके देखने को मिले। ये भूकंप 5: 22 मिनट पर आया है।
इसके अलावा पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भी भूकंप के झटके आए हैं। भूकंप के लोगों में दहशत का माहौल देखने को मिला, लोग घरों से बाहर निकल आए। रिएक्टर स्केल पर भूकंप 6.4 बताई जा रही है। हालांकि अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। भूकंप का केंद्र 90 किमी नीचे बताया जा रहा है।
भूकंप का केंद्र पाकिस्तान का पंजाब और अफगानिस्तान के हिंदुकुश भी भूकंप का केंद्र था। वहीं देश की राजधानी दिल्ली में दहशत का माहौल है। हालांकि दिल्ली के भूकंप की तीव्रता की जानकारी नहीं हो सकी है। बता दें कि इसके पहले हिमाचल के कांगड़ा जिले में मंगलवार सुबह भूकंप के तगड़े झटके महसूस किए गए थे।
ये भूकंप सुबह के करीब 10:51 पर आया। जानकारी के अनुसार भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.0 मापी गई थी। जिस समय भूकंप के झटके आए उस समय लोगों में दहशत देखने को मिला, लोग घर से बाहर निकल आए। जिस इलाके में भूकंप का कंद्र था वहां के स्थानीय लोगों में कुछ देर दहशत का माहौल बना रहा। हालांकि, कहीं से किसी तरह के नुकसान की सूचना नहीं हुई। भूकंप का केंद्र कांगड़ा जिले में जमीन के 10 किमी अंदर था। सुरक्षा के लिहाज से एहतियातन कदम उठाए गए थे।
जब भूकंप से गई थी 114 की जान
बता दें कि हिमाचल में वर्ष 1905 में चार अप्रैल को बहुत अधिक तीव्रता वाला भूकंप आया था, शिमला, कांगड़ा और मंडी जिलों में इससे ज्यादा नुकसान देखा गया था। इसमें करीब 114 साल पहले कांगड़ा में आए भीषण भूकंप में कई जानें चली गईं थीं, कई इमारतें ध्वस्त हो गईं। इस भूकंप से ऐतिहासिक कांगड़ा, नूरपुर, नेरटी जैसे राजाओं के किले और प्राचीन मंदिर भी ध्वस्त हो गए थे। भूकंप ने ऐसी तबाही बरपाई थी कि चारों ओर सिर्फ तबाही के निशान दिख रहे थे। कांगड़ा से लेकर लाहौर तक आई इस त्रासदी में करीब 28 हजार लोगों की जान चली गई थी।