महाराष्ट्र में यहां बंद हुआ इंटरनेट: 10 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात, मौके पर डिप्टी CM अजित पवार
महाराष्ट्र में बुधवार को उद्धव सरकार के लिए बड़ा दिन है। किसी भी तरह की अवस्था या हिंसा न हो इसके लिए शासन और प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये हैं। क्षेत्र में दस हजार सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है, वहीं इंटरनेट सेवा बंद कर दी गयी है। इतना ही नहीं 15 फेसबुक एकाउंट भी बंद करवा दिए गये हैं। इसके अलावा 740 लोगों को नोटिस भी थमाया गया है।
पुणे: महाराष्ट्र (Maharashtra) में बुधवार को उद्धव सरकार के लिए बड़ा दिन है। किसी भी तरह की अवस्था या हिंसा न हो इसके लिए शासन और प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये हैं। क्षेत्र में दस हजार सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है, वहीं इंटरनेट सेवा बंद कर दी गयी है। इतना ही नहीं 15 फेसबुक एकाउंट भी बंद करवा दिए गये हैं। इसके अलावा 740 लोगों को नोटिस भी थमाया गया है।
भीमा कोरेगांव युद्ध की 202वीं बरसी :
दरअसल, पुणे स्थित भीमा कोरेगांव (Bhima Koregaon) युद्ध की बुधवार को 202वीं बरसी है। इसे के मद्दे नजर सुरक्षा व्यवस्था को सख्त कर दिया गया है। वहीं महाराष्ट्र के नए डिप्टी सीएम अजित पवार भीमा कोरेगांव स्थित विजय स्तंभ पहुंचे, जहां उन्होंने श्रद्धांजलि अर्पित की।
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इस दौरान उन्होंने कहा कि उनकी सरकार नए साल में महिला सुरक्षा, रोजगार और किसानों की समस्या दूर करने की कोशिश करेगी। जानकारी के मुताबिक, मंत्री नितिन राउत और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले भी भीमा कोरेगांव पहुंचेंगे।
इंटरनेट बंद, दस हजार सुरक्षाकर्मी तैनात:
स्थानीय प्रशासन ने इस मौके पर कोई भी अप्रिय घटना न हो, इसके लिए बड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है। पुलिस ने भीमा कोरेगांव युद्ध की बरसी को लेकर पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी थी, जिसके तहत 250 Whatsapp ग्रुप को नोटिस भेजा गया है, वहीं 740 लोगों भी नोटिस थमाया गया है।
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एसपी संदीप पाटिल ने जानकारी दी कि 15 फेसबुक एकाउंट्स बंद कर दिए गये हैं, वहीं क्षेत्र में 10 हजार सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। इसके अलावा स्थानीय प्रशासन ने 48 घंटों के लिए 163 लोगों पर जिलाबंदी का भी आदेश दिया है।
क्या है भीमा कोरेगांव युद्ध:
गौरतलब है कि भीमा कोरेगांव का युद्ध 1 जनवरी 1818 में अंग्रेजों और पेशवाओं के बीच लड़ा गया था। वहीं भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी, 2018 को दलित और मराठा समुदाय के बीच हिंसक झड़प हुई थी। जिसमें एक व्यक्ति की मौत और कई लोग घायल हो गये थे। इसके बाद क्षेत्र में हिंसा बढ़ गयी थी। इस लिहाज से भीमा कोरेगांव को संवेदनशील क्षेत्रों में माना जाता है।
वहीं हर वर्ष एक जनवरी के दिन दलित समुदाय के लोग भीमा कोरेगांव में जमा होते है। वो यहां 'विजय स्तंभ' के सामने अपना सम्मान प्रकट करते हैं।ये विजय स्तंभ ईस्ट इंडिया कंपनी ने उस युद्ध में शामिल होने वाले लोगों की याद में बनाया गया था।
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