जबलपुर में निलंबित न्यायाधीश का मौनव्रत सोमवार को स्थगित
मध्य प्रदेश के जबलपुर उच्च न्यायालय के पास तीन दिन के लिए मौनव्रत पर बैठे निलंबित अपर जिला सत्र न्यायाधीश (एडीजे) आर के श्रीवास ने प्रशासन द्वारा धरना स्थल क्षेत्र में निषेधाज्ञा धारा 144 लागू किए जाने के चलते अपने मौनव्रत को सोमवार को स्थगित कर दिया।
जबलपुर: मध्य प्रदेश के जबलपुर उच्च न्यायालय के पास तीन दिन के लिए मौनव्रत पर बैठे निलंबित अपर जिला सत्र न्यायाधीश (एडीजे) आर के श्रीवास ने प्रशासन द्वारा धरना स्थल क्षेत्र में निषेधाज्ञा धारा 144 लागू किए जाने के चलते अपने मौनव्रत को सोमवार को स्थगित कर दिया। श्रीवास ने आईएएनएस को फोन पर बताया, "जिला प्रशासन ने सोमवार से उच्च न्यायालय और संभागायुक्त कार्यालय क्षेत्र में निषेधाज्ञा लगा दी है। इसी क्षेत्र में उनका बीते दो दिन से मौनव्रत चल रहा था, सोमवार को तीसरा दिन था।"
उन्होंने कहा, "वे भारत के नागरिक होने के साथ-साथ न्यायाधीश भी हैं, लिहाजा कानून का पालन करना उनके लिए आवश्यक है इसलिए प्रशासन द्वारा निषेधाज्ञा लागू किए जाने पर उन्होंने अपना मौनव्रत तीसरे दिन स्थगित कर दिया है।"
उन्होंने बताया कि निचली अदालतों के न्यायाधीशों के लिए बनाई गई तबादला नीति के उल्लंघन और 15 माह में चार बार स्थानांतरण और निलंबित किए जाने पर वे उच्च न्यायालय जबलपुर की इमारत के सामने मौतव्रत पर बैठ थे। इससे पहले वे नीमच से साइकिल से 800 किलोमीटर की यात्रा करके जबलपुर पहुंचे थे।
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गौरतलब है कि श्रीवास ने जबलपुर से नीमच तबादला किए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि 15 माह में उनका चौथा तबादला किया गया है, जबकि तबादला नीति कहती है कि तीन साल में तबादला किया जाना चाहिए।
श्रीवास ने अपनी मांग को लेकर एक से तीन अगस्त तक तीन दिन उच्च न्यायालय जबलपुर के गेट नंबर तीन के सामने धरना दिया था। उसके बाद आठ अगस्त को उन्होंने नीमच में कार्यभार संभाला और उसके कुछ घंटों बाद ही उन्हें निलंबित कर दिया गया।
श्रीवास के मुताबिक, उन्होंने जबलपुर उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीश, रजिस्ट्रार जनरल और सेवानिवृत्त रजिस्ट्रार जनरल के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि निचली अदालतों के न्यायाधीशों के तबादलों में नीति का पालन नहीं किया जा रहा है।
--आईएएनएस