ऐसे बर्बाद हुआ Yes Bank: ये गलतियां पड़ी भारी, अब ग्राहकों को मिल रही सजा
आम उपभोक्ताओं में Yes यस बैंक काफी पसंद किया जाता रहा है।यह बैंक अन्य बैंकों के मुकाबले जमा पर ज्यादा ब्याज देता रहा है।
नई दिल्ली: आम उपभोक्ताओं में Yes यस बैंक काफी पसंद किया जाता रहा है। दरअसल, यह बैंक अन्य बैंकों के मुकाबले जमा पर ज्यादा ब्याज देता रहा है। लेकन अब इस बैंक का खराब दौर शुरू हो चुका है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने नकदी के संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के इस बैंक पर प्रतिबंध लगाते हुए निदेशक मंडल को भंग कर दिया है। आरबीआई ने जमकर्ताओं के लिए निकासी सीमा 50,000 रुपये तय कर दी है।
बैंक की बर्बादी की शुरुआत उसी दिन से हो गई थी, जिस दिन बैंक के मालिकाना हक को लेकर परिवार में कलह शुरू हुई। और ये मामला कोर्ट तक पहुंच गया।
आइए हम यहां आपको बताते हैं कि उपभोक्ताओं का पसंदीदा और दो रिश्तेदार अशोक कपूर व राणा कपूर का 2004 में शुरू किया गया बैंक धीरे-धीरे कैसे बर्बादी की कगार पर पहुंचा..
- मुंबई हमले में अशोक कपूर की मौत हुई। इसके बाद 2011 में कपूर परिवार में कलह शुरू हो गया। अशोक की पत्नी मधु बेटी शगुन को बैंक के बोर्ड में शामिल करना चाहती थीं।
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- बैंक के कामकाज पर पारिवारिक कलह हावी होने लगा। मामला मुंबई की अदालत तक पहुंचा, जिसमें राणा कपूर की जीत हुई।
- थोड़े समय के लिए युद्ध पर विराम लगा और रणवीर गिल को बैंक का प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया।
- इसी दौरान कॉर्पोरेट गवर्नेंस से समझौते के मामले सामने आए और बैंक कर्ज की चपेट में आ गया।
- धीरे-धीरे प्रमोटर्स ने अपनी हिस्सेदारी बेचनी शुरू कर दी।
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- राणा कपूर को अक्टूबर 2019 में अपने शेयर बेचने पड़े। राणा कपूर और उनके ग्रुप की बैंक में हिस्सेदारी घटकर 4.72 फीसदी रह गई।
- सीनियर ग्रुप प्रेसीडेंट रजत मोंगा ने 3 अक्टूबर को इस्तीफा दे किया। उन्होंने सितंबर में अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी।
- यस बैंक से कर्ज लेने वाली ज्यादातर कंपनियां दिवालिया होने की कगार पर हैं. कंपनियों के डूबने पर बैंक की हालत बिगड़ती गई.
- बैंक पर कुल 24 हजार करोड़ डॉलर की देनदारी है। बैंक ने अपना रेजॉल्यूशन प्लान SBI, HDFC, एक्सिस बैंक और LIC को सौंपा था, लेकिन प्लान पर लेंडर्स में सहमति नहीं बनी है
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- अगस्त, 2018 में बैंक के शेयर का प्राइस 400 रुपये था, जो नकदी की कमी के चलते फिलहाल 37 रुपये के आसपास है।