नीतीश ने 'अपनों' से छीनकर बीजेपी MLAs को दे दिये विभाग, बड़े सियासी दांव के फिराक में बिहार सीएम

Bihar New Cabinet: बिहार में नीतीश कैबिनेट के विस्तार के बाद सभी मंत्रियों को विभाग भी बांट दिए गए हैं।;

Update:2025-02-27 13:59 IST

Bihar New Cabinet:

Bihar New Cabinet: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कैबिनेट में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। बीते दिन 26 फरवरी को हुए कैबिनेट विस्तार में जिन छह विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी अब उनके बीच विभागों का भी बंटवारा कर दिया गया है। इसके साथ ही बिहार कैबिनेट में उन मंत्रियों से भी कुछ विभाग ले लिए गए हैं जिनके पास पहले दो- दो विभाग थे। नए मंत्रियों को दिए गए विभाग का नोटिफिकेशन जारी हो गया है। बता दें कि नीतीश कुमार के इस कैबिनेट विस्तार के बाद सरकार अपनी पूर्ण क्षमता में आ गई है और अब चुनावी वर्ष में विकास योजनाओं को अमल में लाने की दिशा में आगे बढ़ने का दावा कर रही है। लेकिन विपक्ष इसे जातिगत मोर्चाबंदी का हिस्सा बता रहा है।

नए मंत्रियों को सौंपे गए ये अहम विभाग 

बिहार कैबिनेट में मंत्री बनने के बाद जिन सात मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा किया गया है उनमें सबसे पहले विजय मंडल को आपदा प्रबंधन विभाग सौंपा गया है। जबकि संजय सरावगी को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के बेटे संतोष सुमन से एक विभाग सूचना प्रावैधिकी वापस ले लिया गया है, और अब उनके पास केवल लघु जल संसाधन विभाग रह गया है। नए मंत्रियों में कृष्ण कुमार मंटू को सूचना प्रावैधिकी विभाग की जिम्मेदारी दी गई है।


विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश बाबू का बड़ा दांव 

नए मंत्रिमंडल विस्तार बाद सीएम नीतीश सरकार का दावा है कि इस विस्तार से प्रशासनिक मजबूती आएगी और अगले 8-9 महीनों में 50 हजार करोड़ रुपये की योजनाएं धरातल पर उतरेंगी। इसमें दक्षिण बिहार के लिए 30 हजार करोड़ की 120 योजनाएं और उत्तर बिहार के लिए 20 हजार करोड़ की 187 योजनाएं शामिल हैं। सरकार इसे विकास की दिशा में एक बड़ा कदम बता रही है, जबकि विपक्ष इसे महज चुनावी रणनीति करार दे रहा है। बिहार की राजनीति में जातिगत संतुलन अहम भूमिका निभाता है।

अगर नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल फॉर्मूले कोतो उसमें सवर्णों के 11, पिछड़े वर्ग के 10, अति पिछड़ा वर्ग के 7, दलित वर्ग के 5, महादलित वर्ग के 2 और मुस्लिम समुदाय से 1 मंत्री शामिल हैं।

जातिगत आंकड़े कुछ ऐसे हैं

जातिगत आंकड़ों पर नजर डालें तो बिहार में ईबीसी (अति पिछड़ा वर्ग) की आबादी 36% है, लेकिन कैबिनेट में उनकी हिस्सेदारी सिर्फ 19% है। वहीं, ओबीसी (पिछड़ा वर्ग) की आबादी 27.12% है और उन्हें मंत्रिमंडल में 28% भागीदारी दी गई है। दलित और महादलितों की संयुक्त आबादी 19.65% है और उन्हें कैबिनेट में 19% प्रतिनिधित्व मिला है। इसके विपरीत, सामान्य जाति की आबादी 15.52% होने के बावजूद उनकी हिस्सेदारी 31% तक पहुंच गई है।


बिहार चुनाव होता जा रहा दिलचस्प

नीतीश कुमार की सरकार जहां इस विस्तार को विकास की दिशा में एक बड़ा कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे केवल चुनावी रणनीति के रूप में देख रहा है। अगले 9 महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार अपनी विकास योजनाओं को किस हद तक अमल में ला पाती है और जातिगत राजनीति का यह समीकरण क्या रंग लाएगा। बिहार की राजनीति एक बार फिर जातीय संतुलन और विकास के एजेंडे के बीच जूझती नजर आ रही है।

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