INDIA Mumbai Meeting: बैठक के दूसरे दिन सीट शेयरिंग का फार्मूला सबसे अहम,क्षेत्रीय कमेटियों के गठन पर लग सकती है मुहर

INDIA Mumbai Meeting: जानकारों के मुताबिक आज विपक्षी दलों का लोगो जारी होने के साथ ही संयोजक के नाम पर भी मुहर लगने वाली है। गठबंधन के नेता सीट शेयरिंग के लिए जल्द से जल्द सर्वसम्मत फार्मूले पर पहुंचने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

Update:2023-09-01 09:47 IST
INDIA Mumbai Meeting (Social Media)

INDIA Mumbai Meeting: मुंबई में विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की बैठक के पहले दिन कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई है। बैठक के लिए तय किए गए एजेंडे के मुताबिक दूसरे दिन की बैठक ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि आज कई महत्वपूर्ण मसलों पर फैसला होने की उम्मीद है। विपक्षी दलों के बीच सीट शेयरिंग का फार्मूला सबसे मुश्किल माना जा रहा है क्योंकि कई राज्यों में घटक दलों के बीच ही खींचतान की स्थिति बनी हुई है।

जानकारों के मुताबिक आज विपक्षी दलों का लोगो जारी होने के साथ ही संयोजक के नाम पर भी मुहर लगने वाली है। गठबंधन के नेता सीट शेयरिंग के लिए जल्द से जल्द सर्वसम्मत फार्मूले पर पहुंचने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसके लिए क्षेत्रीय स्तर पर कमेटियों का गठन करने की चर्चा हो रही है और बैठक के दौरान इस दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकता है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई नेता सीट शेयरिंग पर जल्द फैसला करने की मांग कर चुके हैं।

सीट शेयरिंग का मुद्दा सुलझाना आसान नहीं

विपक्षी दलों के गठबंधन में सीट शेयरिंग का मुद्दा इसलिए मुश्किल माना जा रहा है क्योंकि कई राज्यों में घटक दलों के बीच ही आपसी टकराव की स्थिति बनी हुई है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी और वाम दलों के बीच छत्तीस का आंकड़ा है और दोनों दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच भी खींचतान की स्थिति दिख रही है। दिल्ली की सीटों को लेकर इन दोनों दलों के बीच पहले ही टकराव हो चुका है और अब आप ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दियि है जहां कांग्रेस का भाजपा के साथ सीधा मुकाबला हो रहा है।

केरल में कांग्रेस और वाम दलों के बीच खींचतान की स्थिति बनी हुई है। जम्मू-कश्मीर में पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में भी सहज रिश्ते नहीं दिख रहे हैं। बिहार में हाल के दिनों में राजद और जदयू के बीच कई मुद्दों पर टकराव दिखा है। ऐसी स्थिति में घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग का फार्मूला तय करना काफी मुश्किल माना जा रहा है।

फॉर्मूला जल्द तय करने का बढ़ा दबाव

दूसरी ओर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि सीट शेयरिंग के फार्मूले को जल्द से जल्द तय किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह फार्मूला तय होने के बाद सभी दलों को उम्मीदवार तय करने में आसानी होगी और उम्मीदवारों को भी विभिन्न चुनाव क्षेत्रों में अपनी सियासी जमीन मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी सीट शेयरिंग के फार्मूले को जल्द से जल्द तय करने की मांग करते रहे हैं। उनका कहना है कि इस संबंध में ऊहापोह की स्थिति जल्द खत्म की जानी चाहिए।

इसके साथ ही मोदी सरकार की ओर से संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने के बाद लोकसभा का चुनाव समय से पहले करने की अटकलें भी तेज हो गई हैं। नीतीश कुमार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल के दिनों में आशंका जताई थी कि मोदी सरकार समय से पहले लोकसभा चुनाव करा सकती है। ऐसे में विपक्षी दलों के लिए सीट शेयरिंग का फार्मूला जल्द से जल्द तय करने का दबाव बढ़ गया है।

क्षेत्रीय कमेटियों के गठन पर लग सकती है मुहर

जानकार सूत्रों का कहना है कि बैठक के दूसरे दिन सीट शेयरिंग के फार्मूले पर चर्चा की जा सकती है। इसके लिए क्षेत्रीय कमेटियों के गठन पर मंथन किया जा रहा है और इस प्रस्ताव पर मुहर लगा सकती है। क्षेत्रीय कमेटियों को घटक दलों के बीच टकराव खत्म करने और सामंजस्य स्थापित करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

इसके साथ ही 11 सदस्य कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन भी किए जाने की तैयारी है। बैठक के दूसरे दिन इस कमेटी को भी अंतिम रूप दिया जाएगा। इस कमेटी में कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, जदयू, राजद, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट),एनसीपी, झारखंड मुक्ति मोर्चा और सीपीएम से एक-एक सदस्य को शामिल करने की तैयारी है।

कोऑर्डिनेशन कमेटी में छोटे दलों को मौका नहीं

कमेटी के सदस्यों के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों से नाम भी मांगे गए हैं। कोऑर्डिनेशन कमेटी में छोटे दलों को मौका नहीं मिल पाएगा। बैठक के पहले दिन यह तय किया गया है कि केंद्र और राज्य स्तर पर अलग-अलग कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाई जाएगी। दोनों कमेटियां मिलकर आगे की महत्वपूर्ण रणनीति बनाने का काम करेगी।

इसके साथ ही विपक्षी नेताओं की संयुक्त रैलियां आयोजित करने के लिए एक पैनल का भी गठन किया जा सकता है। विपक्षी दलों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने के लिए राजधानी दिल्ली में सचिवालय की स्थापना किए जाने की घोषणा होने की भी संभावना है।

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