ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, भारत और बांग्लादेश के लिए जरूरी है ये तराना

बांग्लादेश की स्थापना ही भारत की बदौलत हुई है। भारत ने बांग्लादेश को अपने पैरों पर खड़े होने में काफी मदद की है लेकिन अब कई मुद्दे दोनों के बीच अविश्वास पैदा कर रहे हैं। इसमें सबसे बड़े कारक चीन और पाकिस्तान हैं। 

Update:2021-03-05 12:58 IST
ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे - भारत और बांग्लादेश के लिए जरूरी है ये तराना

नीलमणि लाल

नई दिल्ली: इस साल बांग्लादेश की आजादी और भारत के साथ उसके राजनयिक संबंध स्थापित होने के 50 साल पूरे हो रहे हैं। इसी महीने 26-27 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश का दौरा करेंगे। इस दौरे में दोनों देशों के बीच दशकों पुरानी दोस्ती की अहमियत पर जोर दिया जाएगा। लेकिन सच्चाई ये है कि भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। यूं तो बांग्लादेश बनने के बाद से भारत और उसके बीच करीबी रिश्ते रहे हैं, बांग्लादेश की स्थापना ही भारत की बदौलत हुई है।

भारत ने बांग्लादेश को अपने पैरों पर खड़े होने में काफी मदद की है लेकिन अब कई मुद्दे दोनों के बीच अविश्वास पैदा कर रहे हैं। इसमें सबसे बड़े कारक चीन और पाकिस्तान हैं। ये दोनों ही देश बांग्लादेश को अपने पाले में करना चाहते हैं ताकि भारत की घेराबंदी की जा सके। भारत के लिए इन दो देशों की घेराबंदी के बीच बांग्लादेश से दोस्ती को पुख्ता करने की चुनौती है।

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कई मुद्दों पर हैं विवाद

भारत और बांग्लादेश के बीच कई मुद्दों पर विवाद रहे हैं। कभी बंगलादेशी घुसपैठियों का मसला तो कभी रोहिंग्या का। कभी नदियों के पानी पर विवाद तो कभी त्रिपुरा सीमा पर बाड़बंदी का मामला। गौ तस्करी, नकली करेंसी, उग्रवादियों को पनाह आदि भी मुद्दे दोनों देशों के बीच रहे हैं। बांग्लादेश कहे या न कहे लेकिन वो भारत को एक बड़े भाई की तरह देखता है। भारत भी उसे हमेशा बराबर का सम्मान देता रहा है। लेकिन कई ऐसे मौकों का जिक्र किया जा सकता है जब बांग्लादेशियों को लगा कि भारत अपने वादे पूरे नहीं करता।

(फोटो- सोशल मीडिया)

कोरोना वैक्सीन की डिलीवरी को लेकर विवाद

इस साल की शुरुआत में दोनों देशों के बीच सीरम इंस्टिट्यूट की कोरोना वैक्सीन की डिलीवरी को लेकर विवाद हो गया। सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि जब तक भारत में सारे लोगों को टीका नहीं लग जाता, तब तक सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट को निजी बाजार में टीका बेचने से रोका है। इस बयान पर बांग्लादेश में विवाद खड़ा हो गया क्योंकि उसने पिछले साल ही भारत से तीन करोड़ डोज खरीदने की डील की थी।

बहुत से बांग्लादेशियों को लगा कि भारत डील के मुताबिक अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रहा है। लोगों ने सोशल मीडिया पर भारत को ‘गैर भरोसेमंद’ पड़ोसी घोषित कर दिया। बखेड़ा खड़ा होने के बाद पूनावाला ने एक बयान जारी कर वैक्सीन के निर्यात पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि सभी देशों को निर्यात की अनुमति है। बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने भी पुष्टि की कि उनके देश को वैक्सीन मिल रही है।

(फोटो- सोशल मीडिया)

एक मसला भारत के नागरिकता संशोधन कानून का है। इस कानून से शेख हसीना की सरकार और बांग्लादेश के लोग चिंतित हैं। उनको लगता है कि भारत में रह रहे बांग्लादेशियों के साथ कुछ बुरा हो सकता है, उनको बेदखल किया जा सकता है। निश्चित संख्या का तो पता नहीं लेकिन एक अनुमान है कि डेढ़-दो करोड़ बांग्लादेशी भारत में हैं। कितने घुसपैठिये हैं, इसका कोई अंदाजा नहीं है।

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प्याज का मसला

भारत बांग्लादेश के लिए प्याज का सबसे बड़ा निर्यातक है। बांग्लादेश भारत से हर साल साढ़े तीन लाख टन प्याज खरीदता है। 2020 में भारत ने अचानक बांग्लादेश को प्याज भेजना बंद कर दिया था। भारत से प्याज आनी बंद हुई तो बांग्लादेश में उसके दामों में 50 प्रतिशत तक का उछाल आ गया. सरकार को अन्य देशों से प्याज मंगाकर उसे सब्सिडी पर बेचना पड़ा। इसके बाद सितंबर 2020 में बांग्लादेश ने भारत से प्याज का निर्यात बहाल करने को कहा।

तीस्ता जल बंटवारा

पिछले साल दिसंबर में दोनों देशों के बीच एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन हुआ जिसमें व्यापार, निवेश और यातायात संपर्कों को बेहतर बनाने पर चर्चा हुई। लेकिन इस दौरान तीस्ता नदी के जल बंटवारे जैसे विवादित मुद्दों से बचा गया। यह नदी भारत के सिक्किम और पश्चिम बंगाल राज्यों से गुजरती हुई बांग्लादेश पहुंचती है। तीस्ता नदी लंबे समय से दोनों देशों के बीच विवाद का कारण बनी हुई है।

बांग्लादेश नदी के निचले इलाके में पड़ता है, तो वह चाहता है कि भारत उसे इस नदी का ज्यादा पानी दे। दोनों देशों के बीच अब तक इस पर कोई समझौता नहीं हो पाया है, जिसकी मुख्य वजह पश्चिम बंगाल का तीखा विरोध है। राज्य की तृणमूल सरकार का कहना है कि तीस्ता में जिन ग्लेशियरों का पानी आता है, वे लगातार पिघल रहे हैं और अगर बांग्लादेश को ज्यादा पानी दिया गया तो इससे पश्चिम बंगाल के कई हिस्से सूखे की चपेट में आ सकते हैं।

(फोटो- सोशल मीडिया)

चीन-पाकिस्तान का असर

एक तरफ भारत जहां बांग्लादेश के साथ तीस्ता जल विवाद को सुलझाने में लगा है, वहीं चीन ने बांग्लादेश को इस नदी पर सिंचाई परियोजना शुरू करने के लिए एक अरब डॉलर देने की पेशकश की है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि बांग्लादेश चीन की तरफ से मिलने वाले आर्थिक फायदों को लेना चाहता है। चीन की नीति मदद दे कर अपने जाल में फंसाने की रही है और अब वह बांग्लादेश को शिकार बनाना चाहता है।

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पाकिस्तान आजकल चीन का सबसे नजदीकी सहयोगी है। वह भी अब बांग्लादेश के साथ अपने रिश्तों को बेहतर बनाना चाहता है। हालांकि बहुत से लोग मानते हैं कि बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच संबंधों का सुधरना इस बात पर निर्भर करता है कि पाकिस्तान 1971 के युद्ध में हुए अत्याचारों को किस हद तक स्वीकार करता है।

1971 से पहले बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान कहलाता था। पाकिस्तान की सेना पर आरोप है कि उसने ताकत के दम पर बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम को कुचलने की कोशिश की और बड़े पैमाने पर लूट, हत्याएं और बलात्कार की घटनाएं अंजाम दी गईं। बांग्लादेश का कहना है कि पाकिस्तान ने युद्ध के दौरान 30 लाख लोगों को मौत के घाट उतारा।

रिश्ते सामान्य होने के लिए लंबा सफर करना होगा तय

विशेषज्ञ मानते हैं कि बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच रिश्ते सामान्य होने के लिए अभी लंबा सफर तय किया जाना बाकी है। फिर भी, बांग्लादेश के एक कैबिनेट मंत्री सलमान एफ रहमान पर्दे के पीछे से पाकिस्तान के संबंध बेहतर बनाने में जुटे हैं।

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि बांग्लादेश अपनी विदेश नीति में कोई स्थाई बदलाव लाते हुए चीन और पाकिस्तान को भारत पर प्राथमिकता देगा। उनका कहना है कि बांग्लादेश को अपनी विदेश नीति और रणनीतिक विकल्पों को बहुत ही सावधानी से चुनना होगा। अब देखने वाली बात होगी कि आने वाले समय में भारत अपने इस पड़ोसी को किस तरह अपने पाले में रख सकने में सफल होता है।

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