युद्ध हुआ तो दुनिया के नक्शे से गायब हो जाएगा चीन, भारत ने इस बार की ऐसी तैयारी
सेना के अधिकारियों ने बताया कि सेना तक सामान पहुंचाने के लिए रणनीति के तहत काम किया जा रहा है। जिस तरह की तैयारियां आज देखने को मिल रही हैं वो आज से पहले कभी भी देखने को नहीं मिली।
नई दिल्ली: सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन के बीच तनातनी अभी भी बनी हुई है। एलएसी पर जिस तरह की तस्वीर आज दोनों तरफ से देखने को मिल रही है। उसे देखते हुए युद्ध की बात से इनकार नहीं किया जा सकता है।
चीन बॉर्डर पर लगातार सेना और जरूरी सामानों की आपूर्ति को बढ़ाते ही जा रहे हैं। जिस तरह की हरकतें उसकी नजर आ रही हैं। वह किसी बड़े खतरे की ओर इशारा कर रही हैं।
भारत भी चीन को उसी की भाषा में जवाब देने का मन बना चुका है। एलएसी पर लगातार सेना और दूसरी जरूरत की चीजों की आपूर्ति तेजी के साथ की जा रही है।
सेना को सर्दियों में ठण्ड से बचने के लिए जैकेट, चश्मे, हीटर, दवाएं, टेंट और अन्य जरूरी सामना उपलब्ध कराए जा रहे हैं। सेना की हर छोटी से छोटी जरुरतों का ख्याल रखा जा रहा है। सेना के जवानों के पास घातक हथियार, पर्याप्त मात्रा में गोला बारूद पहुंचा दिए गये हैं।
चीन के साथ तनाव के बीच भारतीय सेना लद्दाख में किसी भी तरह की ढील नहीं देना चाह रही है। इस वजह से इस बार सर्दियों के मौसम में भी लद्दाख में अपनी तैनाती बरकरार रखेगी।
भारतीय सेना वहां की दुर्गम परिस्थितियों में सर्दियां बिताने की पूरी तैयारी कर रही है। इसके लिए खच्चरों से ले कर बड़े विमानों तक, सेना ने वहां मौजूद हजारों सैनिकों तक रसद पहुंचाने के लिए अपने पूरे लॉजिस्टिक्स तंत्र को सक्रिय कर दिया है।
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भारत में पहले कभी नहीं देखी गई इस लेबल की तैयारी
सेना के अधिकारियों ने बताया कि सेना तक सामान पहुंचाने के लिए रणनीति के तहत काम किया जा रहा है। जिस तरह की तैयारियां आज देखने को मिल रही हैं वो आज से पहले कभी भी देखने को नहीं मिली।
देश के इतिहास में अब तक की ये सबसे बड़ी तैयारी है। बीते कुछ महीनों में जो सैन्य लॉजिस्टिक्स अभियान चला है वो देश के इतिहास में इस तरह के सबसे बड़े अभियानों में से एक है और इसके जरिए भारी मात्रा में गोला बारूद, उपकरण, ईंधन, सर्दियों के लिए रसद और खाने पीने का सामान लद्दाख तक पहुंचा दिया गया है।
मई में ही सरकार हो गई थी चौकन्ना
प्राप्त जानकारी के अनुसार सेना की ओर से लद्दाख इलाके में इस अभियान की शुरुआत बीते मई माह में ही आरंभ हो गई थी, उस समय चीन की सेना के साथ सीमा पर विवाद गहराने लगा था।
वैसे अभी भी दोनों देश सीमा विवाद का समाधान निकालने के लिए आपस में बातचीत कर रहे हैं लेकिन अभी तक कोई नतीजा निकला नहीं है। चीनी सेना पहले भारत की बात मानती है फिर अपनी बातों से मुकर जाती है।
पहले दोनों देशों के बीच सीमा से हटने पर सहमति बनी थी, जब भारतीय सैनिक वहां से हट गए तो चीनी सेना इलाके में और आगे तक आ पहुंची। इसके बाद भारतीय सेना ने भी पीछे हटने से मना कर दिया।
चीनी सेना की चालबाजियों को देखते हुए अब भारतीय सेना ने इस जोखिम भरी, ऊंचाई पर स्थित सीमा पर सर्दियों में भी तैनाती बनाए रखने की तैयारी कर ली है।
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लगातार बढ़ाई जा रही सैनिकों की संख्या
अगर हम एलएसी पर आज के समय की बात करें तो भारतीय सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए अच्छे से तैयार है लेकिन ना वो तनाव को और बढ़ाना चाहती है और ना एक लंबा झगड़ा चाहती है।
बता दें कि पूर्वी लद्दाख के इलाके में चीनी सेना के साथ भारतीय सैनिकों की झड़प हुई थी। बताया जाता है कि इस इलाके में औसतन 20,000 से 30,000 सैनिक तैनात रहते हैं।
लेकिन मौजूदा तनाव की वजह से इस इलाके में सैनिकों की संख्या दोगुनी कर दी गई है। भारतीय सेना के अधिकारियों का कहना है कि भारत की ओर से यहां पर पहले इतने सैनिकों की संख्या नहीं बढ़ाई गई, जब चीन ने अपने सैनिकों की संख्या को बढ़ाना शुरू किया उसके बाद हमारी तरफ से भी तैनाती बढ़ाई गई।
4 माह तक यहां सिर्फ बर्फ ही बर्फ आएगा नजर
सैन्य अफसरों ने बताया कि लद्दाख के पहाड़ों के बीच के दर्रे हर साल करीब 4 महीनों तक बर्फ से ढंक जाते हैं, भारतीय सेना के योजनाकारों ने अभी से इलाके में 1,50,000 टन से भी ज्यादा सामान पहुंचा दिया है।
सेना के 14 कोर के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल अरविंद कपूर ने बताया हमें यहां पर जितनी भी रसद की जरूरत है उसे अभी से वहां पहुंचा दिया गया है।
कि लद्दाख में तापमान माइनस पचास डिग्री से भी नीचे चला जाता है। ये जमाने वाली ठंड से भी काफी नीचे होता है। यहां सैनिकों की तैनाती अक्सर 15,000 फीट से भी ऊपर स्थित स्थानों पर होती है जहां ऑक्सीजन का लेबल घट है।
राशन का इतना इंतजाम, सालों साल लड़ते रहेंगे सैनिक
हम इन सब चीजों की बदौलत बहुत बेहतर स्थिति में युद्ध कर सकते हैं। सैनिकों को ऐसी ऊंची पहाड़ियों पर रूकने में भी कोई समस्या नहीं होगी। लद्दाख के मुख्य शहर लेह के पास लॉजिस्टिक्स स्टोर बनाया गया है। यहां एक ईंधन, तेल और लुब्रीकेंट के डिपो में एक ढलान में हरे ड्रमों के ढेर रखे हुए हैं।
पास ही में एक रसद डिपो में राशन के डब्बों और बोरों का ऊंचा ढेर लगा दिया गया है। लेह के पास एक और स्थान पर टेंट, हीटर, सर्दियों के कपड़े और ऊंचाई पर काम आने वाले उपकरण स्टोर करके रख दिए गए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि इन सभी डिपो से सामान ट्रकों, हेलीकॉप्टरों और कुछ दुर्गम इलाकों में खच्चरों के जरिए लॉजिस्टिक्स बिंदुओं तक पहुंचाया जाता है।
उन्होंने बताया कि लद्दाख जैसी जगह में ऑपरेशन्स लॉजिस्टिक्स की बहुत अहमियत है, पिछले 20 सालों में हमने इसमें महारत पा ली है।
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