भारत से खौफ में चीन: बातचीत में छिपी कुटिल चाल, विशेषज्ञों ने किया आगाह
भारत और चीन जल्द से जल्द सातवें दौर की वार्ता करेंगे और जमीनी स्तर पर समस्या को सुलझाने के लिए व्यवहारिक कदम उठाएंगे। इसके अलावा सीमाई इलाके में संयुक्त रूप से शांति और सद्भाव की रक्षा करेंगे।
नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी तनाव को सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच हुई वार्ता एक बार फिर से बेनतीजा रही। बैठक में चीन ने भारत से 29 अगस्त के बाद पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर बनाई पोजिशन से पीछे हटने की बात कही। हालांकि भारत ने जोर देते हुए कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन को अप्रैल-मई 2020 से पहले वाली मौजूद स्थिति में वापस जाना चाहिए।
अग्रिम चौकियों पर ज्यादा सैनिकों को ना भेजने पर सहमति
भारत और चीन के बीच छठी बार कॉर्प्स लेवल की बैठक हुई, जिसमें महत्वपूर्ण सहमति भी बनी है। दोनों ही पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि भारत और चीन अग्रिम चौकियों पर अब और ज्यादा सैनिकों की तैनाती नहीं करेंगे। इसके अलावा दोनों ही देश पसी समस्याओं को उचित ढंग से सुलझाने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करने के लिए व्यावहारिक कदम उठाएंगे। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों देशों के बीच आने वाले दिनों में तनाव कम हो सकता है।
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समस्या को सुलझाने के लिए उठाएंगे व्यवहारिक कदम
साझा बयान में कहा गया है कि भारत और चीन जल्द से जल्द सातवें दौर की वार्ता करेंगे और जमीनी स्तर पर समस्या को सुलझाने के लिए व्यवहारिक कदम उठाएंगे। इसके अलावा सीमाई इलाके में संयुक्त रूप से शांति और सद्भाव की रक्षा करेंगे। बयान के मुताबिक, दोनों देश अग्रिम मोर्चों पर और ज्यादा सैनिक नहीं भेजेंगे। साथ ही ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाएंगे, जिससे स्थिति और बेकार हो। जानकारी के मुताबिक, मोल्डो में दोनों देशों के बीच करीब 13 घंटे तक वार्ता हुई, लेकिन किसी भी बात पर सहमति नहीं बनी।
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चीन ने भारत से रखी ये मांग
इस बीच एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि पहले हम चीन से अप्रैल-मई 2020 से पहले वाली मौजूद स्थिति में वापस जाने के लिए कहते थे, लेकिन अब चीन ने भारत से पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर बनाई पोजिशन से पीछे हटने की बात कही है। आपको बता दें कि भारत ने चीनी घुसपैठ के बाद भारतीय चोटियों पर भारतीय सेना ने अपनी तैनाती की थी। जिसके बाद चीन यहां से भारतीय सैनिकों को लगातार हटाने का प्रयास कर रहा है। इन चोटियों से भारतीय सेना चीन के इलाके पर नजर रख रही है।
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विशेषज्ञों ने भारत को किया आगाह
वहीं दूसरी ओर विशेषज्ञों ने इस संयुक्त बयान को लेकर भारत को आगाह किया है। एमआईटी में प्रोफेसर विपिन नारंग का कहना है कि यह संयुक्त बयान वर्तमान स्थिति की बहाली की बात करता है, जिससे ड्रैगन को बहुत फायदा होगा। जबकि चीनी मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी का कहना है कि चीन की यह आक्रामकता लंबी तैयारी का नतीजा है। चेलानी कहते हैं कि भारत के खिलाफ चीन की मौजूदा रणनीति जबरदस्ती करना और ब्लैकमेल करना है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इस साझा बयान से साबित होता है कि दोनों देशों में सैनिकों को हटाने को लेकर गंभीर मतभेद है।
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