LAC में ताकतवर विमान: गड़गड़ाहट से कांपी चीन की सेना, युद्ध को तैयार भारत

सीमा पर सैन्य अभ्यास के साथ घातक हथियारों की भी तैनाती की गई है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश का आसमान जेट फाइटर की बुलंद आवाजों से रातभर गूंजता रहा।

Update:2020-10-16 13:05 IST
सीमा पर सैन्य अभ्यास के साथ घातक हथियारों की भी तैनाती की गई है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश का आसमान जेट फाइटर की बुलंद आवाजों से रातभर गूंजता रहा।

शिमला। लद्दाख सीमा क्षेत्र में चीन के बीच चल रहे तनाव के बीच भारत ने अपनी रक्षा गतिविधियों को बढ़ा दिया है। सीमा पर सैन्य अभ्यास के साथ घातक हथियारों की भी तैनाती की गई है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश का आसमान जेट फाइटर की बुलंद आवाजों से रातभर गूंजता रहा। बीते बुधवार की देर रात और गुरुवार सुबह प्रदेश में जेट फाइटर (Fighter Jet) की आवाजें गूंजती रहीं।

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हेलिक़ॉप्टर चिनूक (Chinook) की लैंडिंग

बता दें, इससे पहले कुल्लू के भुंतर एयरपोर्ट पर अत्याधुनिक हेलिक़ॉप्टर चिनूक (Chinook) की लैंडिंग हुई। साथ ही ये भी बताया जा रहा है कि शिंकुला पास पर टनल निर्माण के लिए सर्वे करने को लेकर चिनूक हेलिकॉप्टर यहां पहुंचा है।

इसके साथ ही कुल्लू के बाद हेलिकॉप्टर केलांग (Keylong) के स्टींगरी हेलीपेड पर भी उतरा और जास्कर रेंज में हवाई सर्वे किया है। वहीं, रात भर फाइटर जेट की जोरदार गड़गड़ाहट वाली आवाज को लेकर सोशल मीडिया पर भी चर्चाएं हो रही हैं।

फोटो-सोशल मीडिया

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क और टनल का निर्माण

ऐसे में हिमाचल प्रदेश में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अटल टनल के उद्घाटन के बाद अब लेह और कारगिल मार्ग पर एक और टनल का निर्माण किया जा रहा है। शिकुंला दर्रे पर 13 किमी लंबी सुरंग का निर्माण शुरू करने से पहले सर्वे के लिए टीम पहुंची हुई है।

इसी कड़ी में अब चिनूक हेलिकॉप्‍टर की मदद से सर्वे किया जा रहा है। वहीं, कश्मीर की तरफ से कश्मीर-लेह मार्ग पर जोजिला पास पर बुधवार से टनल निर्माण का काम शुरू हुआ है।

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एयरबोर्न इलेक्ट्रो मैग्नेटिक तकनीक का इस्तेमाल

अब शिंकुला पास पर टनल निर्माण के सर्वे में डेनमार्क की एयरबोर्न इलेक्ट्रो मैग्नेटिक तकनीक का इस्तेमाल होगा। शुक्रवार को भी चिनूक हेलिकॉप्टर के जरिये 16 से 17000 फीट की ऊंचाई पर जास्कर रेंज में सर्वे किया जाएगा।

इसके साथ ही एयरबोर्न इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सर्वे की मदद से अटल टनल निर्माण के दौरान पेश आईं मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा। वहीं जियो फिजिकल सर्वे से पहले पता चल जाएगा कि किस क्षेत्र में हार्ड या साफ्ट चट्टान है और चट्टानों के अंदर पानी की मौजूदगी के बारे में भी पता लगाया जा सकेगा।

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