भारत की इस जमीन पर नेपाल ने किया कब्जे का प्रयास, जमकर झड़प, बुलाई गई फ़ोर्स

नेपाल के लोगों ने शुक्रवार को उत्तराखंड के टनकपुर से लगी सीमा पर विवादित नोमैंस लैंड पर कब्जे का प्रयास किया है। इसको लेकर इस इलाके में दोनों ओर से झड़प भी हुई है।

Update:2020-07-25 10:06 IST

हरिद्वार: भारत और नेपाल के रिश्ते लगातार बिगड़ते ही जा रहे है। नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली के भारत विरोधी बयान और नक्शा विवाद इसकी एक वजह माना जा रहा है। अब नेपाल की तरफ से एक ऐसी खबर आई है जो केंद्र सरकार के लिए चिंता का सबब बन सकती है।

नेपाल के लोगों ने शुक्रवार को उत्तराखंड के टनकपुर से लगी सीमा पर विवादित नोमैंस लैंड पर कब्जे का प्रयास किया है। इसको लेकर इस इलाके में दोनों ओर से झड़प भी हुई है।

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दोनों तरफ के अधिकारी करेंगे वार्ता

बताया जा रहा है जल्द इस विवाद को सुलझाने के लिए दोनों तरफ के अधिकारी वार्ता करेंगे। मौके पर फ़ोर्स को तैनात किया गया है। बता दें कि नेपाल की तरफ से भारत विरोधी गतिविधियां जारी है।

इससे पहले भारत-नेपाल सीमा नेपाल की ओर से गोलीबारी की गई थी।

जिसमें एक भारतीय युवक घायल हो गया था। जिसे बाद में इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती भी कराया गया था।

ये घटना बिहार में किशनगंज जिले के टेढ़ागाछ के फतेहपुर स्थित भारत-नेपाल सीमा पर हुई थी।

वही दूसरी तरफ बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में एक निर्माणाधीन बांध है। जिस इलाके में बांध का निर्माण हो रहा है, उसे नो मैंस लैंड बताकर नेपाली फोर्स ने निर्माण कार्य बंद करा दिया था।

नेपाल के इस कदम के बाद पूर्वी चंपारण के डीएम ने नेपाल के दावे पर एतराज जताते हुए इसकी रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी।

चीन ने बचा ली केपी शर्मा ओली की सरकार

नेपाल में चलें तमाम सियासी उठापठक के बाद आखिरकार केपी शर्मा ओली प्रधानमंत्री की कुर्सी बचा पाने में कामयाब हो गये हैं।

अभी कुछ समय के लिए और वे इस पद पर बने रहेंगे। नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के नेता प्रचंड से उनकी तकरार अब खत्म हो गई है।

प्रचंड केपी शर्मा ओली से इस्तीफा मांग रहे थे लेकिन अब पार्टी के भीतर सहमति बनती दिख रही है।

जिसके बाद से उनकी कुर्सी पर मंडरा रहा संकट फिलहाल कुछ समय के लिए टल गया है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक ये सब इतना आसान नहीं था। बल्कि इस विवाद को सुलझाने में चीन की बड़ी भूमिका रही है।

दरअसल नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को लेकर नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी में दो खेमें बने गई थी। एक पक्ष तो दूसरा विरोध में खड़ा था। पार्टी में लगभग टूट की नौबत पैदा हो गई थी। पार्टी के नेता प्रचंड ओली के इस्तीफे कि मांग पर अड़ गये थे।

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चीन ने ओली की कुर्सी बचाने में निभाई बड़ी भूमिका

कहा जा रहा है कि पूरे विवाद में काठमांडू स्थित चीन के दूतावास और राजदूत की अहम भूमिका रही। चीन की राजदूत होउ यांकी नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता के दौरान काफी सक्रिय रहीं।

उन्होंने ओली से लेकर प्रचंड और सत्ताधारी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के कई नेताओं से अलग-अलग मुलाकातें की थी। यांकी ने प्रचंड और ओली के साथ भी मुलाकात की थी।

पश्चिमी देश के एक डिप्लोमैट ने भी मानी बात

उन्होंने ही दोनों नेताओं के बीच बढ़ते टकराव को खत्म कने का काम किया था। वही काठमांडू स्थित पश्चिमी देश के एक डिप्लोमैट ने कहा है कि ओली सरकार को बचाने में चीन की बड़ा रोल रहा है।

दरअसल, ओली का झुकाव चीन की तरफ रहा है इसलिए चीन नहीं चाहता कि पार्टी में कोई फूट पड़े और चीन समर्थक ओली सत्ता से बाहर हो जाएं। इसलिए उसने अपने फायदे के लिए ये सब किया है।

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