श्रीलंका को पांच करोड़ डॉलर देगा भारत, जानिए क्यों बदला पड़ोसी प्रति देश का रवैया

चीन के बढ़ते प्रभाव से भारत ने एक बार फिर श्रीलंका के साथ अपने द्विपक्षीय सैन्य संबंधों को पुराने मजबूत स्तर पर ले जाने की कोशिश शुरू कर दी है। इसके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने पड़ोसी देश पहुंचकर राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से मुलाकात की और

Update:2020-01-20 14:14 IST

नई दिल्ली :चीन के बढ़ते प्रभाव से भारत ने एक बार फिर श्रीलंका के साथ अपने द्विपक्षीय सैन्य संबंधों को पुराने मजबूत स्तर पर ले जाने की कोशिश शुरू कर दी है। इसके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने पड़ोसी देश पहुंचकर राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से मुलाकात की और श्रीलंकाई सेना के लिए हथियार व अन्य उपकरण खरीदने को भारत की तरफ से 5 करोड़ डॉलर की मदद देने का वादा किया।

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डोभाल शनिवार को अचानक श्रीलंका पहुंचे और राष्ट्रपति राजपक्षे से मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने, समुद्री परिवहन सुरक्षा मजबूत करने और खुफिया सूचनाओं के लेनदेन समेत कई अहम द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा हुई। श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने ट्वीट के जरिये इसकी जानकारी दी। राष्ट्रपति ने लिखा, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से आज बेहद सौहार्दपूर्ण चर्चा हुई।



इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा, खुफिया सूचनाओं की साझेदारी, नौवहन सुरक्षा और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने जैसे कुछ प्रमुख बिंदुओं पर इस दौरान चर्चा हुई। राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से जारी बयान में भी कहा गया कि डोभाल ने भारत की तरफ से श्रीलंकाई सेना के लिए सैन्य उपकरण खरीदने को 5 करोड़ डॉलर की मदद दिए जाने का वादा किया है। राष्ट्रपति से चर्चा के दौरान भारत ने खुफिया सूचनाएं जुटाने की तकनीक हासिल करने में भी मदद देने का वादा श्रीलंका से किया है। दोनों देशों की सेनाओं और तटरक्षक बलों के बीच सहयोग बढ़ाने को लेकर भी आपस में चर्चा की गई।

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बता दें कि भारत का क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी चीन लंबे समय से इस क्षेत्र में प्रभाव जमाने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए उसने मालदीव और श्रीलंका में बंदरगाहों और एक्सप्रेस-वे का निर्माण करने के साथ ही कई एयरपोर्ट को अपग्रेड किया है। भारत के लिए हिंद महासागर में अपने संबंधों की समीक्षा जरूरी हो गई है। यही कारण है कि श्रीलंका में चीन के प्रति नरम रुख वाले राजपक्षे परिवार के सत्ता में आने के बाद से ही भारत अपने इस पड़ोसी देश को अहमियत दे रहा है।

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