अमेरिका-तालिबान के बीच शांति समझौते में भारत भेजेगा शांति दूत, वजह बेहद खास है
रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान के साथ पहली बार वार्ता की तरफ आगे बढ़ते हुए भारत ने दोहा में अमेरिका-तालिबान के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर प्रक्रिया के लिए अपना राजदूत भेजने का फैसला किया है।
नई दिल्ली: भारत अब अफगानिस्तान और तालिबान को लेकर अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान के साथ पहली बार वार्ता की तरफ आगे बढ़ते हुए भारत ने दोहा में अमेरिका-तालिबान के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर प्रक्रिया के लिए अपना राजदूत भेजने का फैसला किया है।
यह पहली बार है जब भारत का कोई अधिकारी ऐसे समारोह में शामिल होगा जिसमें तालिबान प्रतिनिधि भी मौजूद होंगे। बता दें कि भारत ने 1996 से 2001 के दौरान पाकिस्तान के संरक्षण में फल-फूले तालिबान की सरकार को कभी भी कूटनीतिक और आधिकारिक मान्यता नहीं दी थी।
सूत्रों का कहना है कि भारत को कतर से निमंत्रण मिला है और उच्च स्तर पर विचार-विमर्श के बाद सरकार ने कतर में भारतीय राजदूत पी कुमारन को भेजने का फैसला किया है।
इस समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद भारत पर इसके तमाम रणनीतिक, सुरक्षा और राजनीतिक प्रभाव होंगे। हालांकि, यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे से जुड़ा नहीं है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच द्विपक्षीय स्तर की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। दोनों देशों के साझा बयान में भी अफगानिस्तान का जिक्र हुआ था।
विश्लेषकों का कहना है कि अफगानिस्तान की नई हकीकत को स्वीकारते हुए भारत अब तालिबान के साथ कूटनीतिक स्तर पर संपर्क साध सकता है।
अमेरिका में दिल्ली हिंसा की निंदा, कहा- ऐसे कानून को बढ़ावा नहीं देना चाहिए जो….
अफगानिस्तान में रणनीतिक तौर पर भी भारत का बहुत कुछ दांव पर
शांति वार्ता समझौते पर हस्ताक्षर होने के दौरान भारतीय प्रतिनिधि का होना इस बात का संकेत है कि भारत अपने कूटनीतिक चैनल तालिबान के लिए खोल सकता है।
भारत अफगानिस्तान में तमाम विकास कार्यों पर काम कर रहा है। इसके अलावा अफगानिस्तान में रणनीतिक तौर पर भी भारत का बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है।
बता दें कि 21 फरवरी को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा था कि अमेरिका और तालिबान 29 फरवरी को शांति समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे जिससे दशकों से गृहयुद्ध झेल रहे अफगानिस्तान में जारी हिंसा का अंत होगा।