डरा चीन: भारतीय सेना ने उठाया ये बड़ा कदम, अब हिम्मत नहीं होगी इसकी  

साल 2019 बीआरओ की सबसे बड़ी उपलब्धियों में 19.72 किलोमीटर लंबी भीम बेस-डोकला सड़क का निर्माण करना रहा, जो भारतीय सेना को रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण डोकला बेस तक पहुंचने में मदद करेगी। यह सिक्किम में विवादित डोकलाम पठार के किनारे पर है, जहां पहुंचने में अब महज 40 मिनट लगेंगे, जबकि पहले इसमें सात घंटे लगते थे।

Update: 2019-12-29 10:51 GMT
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नई दिल्ली: चीन हमेशा भारत-चीन सीमा रेखा जिसका नाम मैकमोहन रेखा पर विवाद खड़ा करता रहता है। डोकलाम विवाद के अंतर्गत साल 2017 में करीब 73 दिन तक भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच तनातनी बनी हुई थी।

भारतीय सेना ने उस समय इस इलाके से चीनी सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया था। आपको बता दें कि अब इस इलाके में भारत ने विकास की गाड़ी दौड़ा दी है।

लगभग 60 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण

दरअसल सीमा सड़क संगठन (BRO) ने 2019 में लगभग 60 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण और विकास किया है। जिनमें डोकलाम के पास 19.72 किलोमीटर लंबी एक महत्वपूर्ण सड़क भी शामिल है।

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साल 2019 बीआरओ की सबसे बड़ी उपलब्धियों में 19.72 किलोमीटर लंबी भीम बेस-डोकला सड़क का निर्माण करना रहा, जो भारतीय सेना को रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण डोकला बेस तक पहुंचने में मदद करेगी। यह सिक्किम में विवादित डोकलाम पठार के किनारे पर है, जहां पहुंचने में अब महज 40 मिनट लगेंगे, जबकि पहले इसमें सात घंटे लगते थे।

इतनी जबरदस्त सड़क कि मौसम का कोई असर नहीं

यह सभी मौसम में चलनी वाली एक ऑल वेदर ब्लैक टैर्ड सड़क होगी, जिसकी भार वहन क्षमता पर कोई प्रतिबंध नहीं है। जब भारतीय सेना 2017 में डोकलाम में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ तनावपूर्ण स्थिति में थी, तब भारतीय सुरक्षाबलों द्वारा यहां तक कम समय में पहुंच स्थापित करना संभव नहीं था। इस लिहाज से इस सड़क की अहमियत काफी बढ़ जाती है।

यही वह इलाका है जहां चीन और भारत के उत्तर-पूर्व में मौजूद सिक्किम और भूटान की सीमाएं मिलती हैं। साल 2017 में डोकलाम विवाद के चलते दोनों पक्षों के बीच गतिरोध पैदा हो गया था और दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। उसके बाद चीन के वूहान में साल 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अनौपचारिक शिखर वार्ता के बाद दोनों देशों के बीच संबंध पुन: पटरी पर लौटे।

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भारत की सीमाओं पर सड़क नेटवर्क के रखरखाव और इसके विकास के लिए काम करने वाले बीआरओ ने कुछ अनुकूल पड़ोसी देशों में भी सड़क बुनियादी ढांचे का विकास किया है।

बीआरओ ने इस साल अब तक 1,123.46 कि. मी. सड़कों का निर्माण कार्य, 2,099.58 कि. मी. सड़कों की सरफेसिंग कार्य और 2,339.38 कि। मी। सड़कों पर रिसरफेसिंग का काम किया है। बीआरओ ने 2019 में सड़कों के अलावा सीमावर्ती क्षेत्रों के पास कठिन और दूरदराज इलाकों में प्रमुख पुल, 19 एयरफील्ड और दो सुरंगों को भी विकसित किया है।

बीआरओ ब्रह्मपुत्र नदी में पानी के नीचे भी एक सुरंग विकसित कर रहा है

इसके अलावा बीआरओ ब्रह्मपुत्र नदी में पानी के नीचे भी एक सुरंग विकसित कर रहा है। इसके अलावा संगठन जम्मू एवं कश्मीर में 297 किलोमीटर लंबी डबल लेन निम्मू-पदम-दरचा (एन-पी-डी) सड़क भी विकसित कर रहा है। यहां पर 257.55 कि. मी. सड़क का निर्माण हो चुका है।

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बीआरओ अखनूर-पुंछ सड़क के साथ ही बलिपाड़ा, चारुदर और तवांग की ओर जाने वाली सड़क पर सी ला सुरंग भी विकसित कर रहा है। बीआरओ को 61 भारत-चीन सीमा सड़कों का काम सौंपा गया था, जिनकी लंबाई 3,346 किमी है।

चीन ने इस साल जून में जब डोकलाम के पास सड़क बनाने की कोशिशें शुरू कीं, तो भारतीय सैनिकों ने दखल देते हुए उनका काम रुकवा दिया। दरअसल भूटान के साथ हुए समझौते के तहत भारत अपने इस पड़ोसी मुल्क की संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसे में उसका दखल देना लाजमी हो जाता है।

 

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