पाकिस्तान का काल ये थिएटर कमांड! मौत बनकर बरसेगा, जब होगा सेना में शामिल   

देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बनते ही कहा कि भविष्य में देश में थिएटर कमांड्स (Theater Commands) बनाए जाएंगे ताकि युद्ध के दौरान दुश्मन की हालत खस्ता करने के लिए रणनीति आसानी से बन सके।

Update:2020-01-02 16:37 IST

नई दिल्ली: भारतीय सेना के तीनों सेनाओं वायु सेना, जल सेना और थल सेना के बीच युद्ध के दौरान के आपसी तालमेल बना रहे इसके लिए "थिएटर कमांड" लाये जाने के बारे में सोचा जा रहा है। गौरतलब है कि सेना में नया पद सृजित किया गया। जिस पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के रूप में सबसे पहले जनरल बिपिन रावत ने पदभार संभाला।

बता दें कि देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बनते ही कहा कि भविष्य में देश में थिएटर कमांड्स (Theater Commands) बनाए जाएंगे ताकि युद्ध के दौरान दुश्मन की हालत खस्ता करने के लिए रणनीति आसानी से बन सके।

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आईये हम आपको बताते हैं कि क्या है- थिएटर कमांड्स (Theater Commands)

थिएटर कमांड देश के लिए क्यों जरूरी है?

क्या है थिएटर कमांड?

कहां-कहां बनाया जा सकता है थिएटर कमांड?

इससे कितनी आसानी होगी?

युद्ध के मौके पर तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बनाए रखने में सहायक

थिएटर कमांड्स का सबसे सही उपयोग युद्ध के दौरान तब होता है जब बात तीनों सेनाओं के बीच समन्वय की होती है। युद्ध के मौके पर तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बनाए रखने के लिए ये कमांड बेहद उपयोगी होता है। यहां से बनी रणनीतियों के अनुसार दुश्मन पर अचूक वार करना आसान हो जाता है। यही कारण है कि सेना, वायुसेना और नौसेना को एकसाथ लाकर इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड बनाने की बात हो रही है।

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क्या प्रक्रिया है थिएटर कमांड बनाये जाने कि

देश की भौगोलिक और रणनीतिक क्षेत्र को देखते हुए देश की तीनों सेनाओं और अन्य सैन्य बलों को एकसाथ लाया जाता है। इस कमांड का एक ही ऑपरेशनल कमांडर होता है। भौगोलिक क्षेत्रों का चयन इसलिए किया जाता है ताकि समान भूगोल वाले युद्ध क्षेत्र को आसानी से हैंडल किया जा सके। जैसे- हिमालय के पहाड़, राजस्थान के रेगिस्तान, गुजरात का कच्छ आदि।

थिएटर कमांड से होगा संसाधनों का उपयुक्त इस्तेमाल

थिएटर कमांड से यह सुनिश्चित हो जाता है कि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय बना हुआ है और ये एकसाथ काम करने को तैयार हैं। इस तरह का कमांड बनाने से खर्च कम होता है और बचत होती है। साथ ही संसाधनों का उपयुक्त इस्तेमाल होता है।

अभी तक देश में है एक ही थिएटर कमांड

अभी देश में सिर्फ एक थिएटर कमांड है। इसकी स्थापना वर्ष 2001 में अंडमान निकोबार में किया गया था। वैसे देश में अभी तीनों सेनाओं के अलग-अलग 17 कमांड्स हैं। सात थल सेना के पास, सात वायुसेना के पास और तीन नौसेना के पास। इसके अलावा एक स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड है जो परमाणु शस्त्रागार को सुरक्षा देता है और उसे संभालता है। इसकी स्थापना वर्ष 2003 में की गई थी।

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आखिर क्यों पड़ी जरूरत थिएटर कमांड्स की

अभी देश में करीब 15 लाख सशक्त सैन्य बल है। इन्हें संगठित और एकजुट करने के लिए थिएटर कमांड की जरूरत है। एकसाथ कमांड लाने पर सैन्य बलों के आधुनिकीकरण का खर्च कम हो जाएगा। किसी भी आधुनिक तकनीक का प्रयोग सिर्फ एक ही सेना नहीं करेगी बल्कि उस कमांड के अंदर आने वाले सभी सैन्य बलों को उसका लाभ मिलेगा।

17 सिंगल कमांड को 6 थिएटर कमांड में बदलने का सुझाव

देश में अभी 17 सिंगल कमांड्स हैं। रक्षा सूत्रों की माने तो इन सिंगल कमांड्स को मिलाकर कम से कम चार या छह थिएटर कमांड्स बनाए जा सकते हैं।

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ये कमांड्स होंगे-

पश्चिमी थिएटर कमांड

इसके तहत पाकिस्तान की सीमा से सटे पंजाब, राजस्थान और गुजरात के कच्छ तक का इलाका आएगा। अभी इस क्षेत्र की रखवाली पश्चिमी, दक्षिण-पश्चिमी और दक्षिणी कमांड कर रही है।

उत्तरी थिएटर कमांड

यानी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का पहाड़ी इलाका। इस कमांड से पाकिस्तान और चीन पर नजर रखी जाएगी। अभी यह उत्तरी कमांड के तहत आता है।

पूर्वी थिएटर कमांड

देश के उत्तर-पूर्व से सटे चीन, बांग्लादेश और म्यांमार की सीमाओं की निगरानी के लिए बनाया जाने वाला थिएटर कमांड। अभी इन इलाकों को सेना और वायुसेना की पूर्वी कमांड देख रही है।

दक्षिणी थिएटर कमांड

देश के तीनों तटों की सुरक्षा के लिए बनाया जाने वाला एकीकृत कमांड। यानी पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी तटों की रक्षा करने वाला कमांड। अभी यहा नौसेना और वायुसेना के कमांड में आता है। अंडमान का थिएटर कमांड भी इसी के तहत आएगा।

एयरोस्पेस थिएटर कमांड

यह थिएटर कमांड देश के आसमान की रक्षा करेगा। यानी यहीं से मिसाइल डिफेंस जैसे काम होंगे। साथ ही अंतरिक्ष से होने वाले हमलों को भी रोका जाएगा।

लॉजिस्टिक्स थिएटर कमांडः यह कमांड देश के सभी थिएटर कमांड्स के बीच साजो-सामान पहुंचाने का काम करेगा। इसके अलावा विदेशों के थिएटर कमांड्स के साथ तालमेल बिठाने का भी काम करेगा।

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अमेरिका के पास 11, चीन के पास 5 थिएटर कमांड्स

अमेरिका में अभी कुल मिलाकर 11 थिएटर कमांड्स हैं। इनमें से 6 पूरी दुनिया को कवर करते हैं। वहीं, चीन के पास भी पांच थिएटर कमांड्स हैं। चीन भारत को अपने पश्चिमी थिएटर कमांड के जरिए हैंडल करता है। इसी कमांड से वह भारत चीन सीमा पर निगरानी रखवाता है।

अब तक थिएटर कमांड न बन पाने की वजह

अब तक थिएटर कमांड्स इसलिए नहीं बन पाए क्योंकि इसे लेकर तीनों सेनाओं के प्रमुखों में मतभेद था। थल सेना का मानना था कि सशस्त्र बलों के संयुक्त दृष्टिकोण से काम करना चाहिए। ताकि उपलब्ध संसाधनों का सही उपयोग हो सके। लेकिन वायुसेना कहती थी उसके पास पर्याप्त संसाधन नहीं है। वायुसेना कहती थी कि भारत भौगोलिक दृष्टि से इतना बड़ा नहीं की थिएटर कमांड्स की जरूरत पड़े। नौसेना भी वर्तमान मॉडल को उपयुक्त मानती है।

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थिएटर कमांड न बन पाने की सबसे बड़ी वजह

इस प्रकार की कमांड के गठन से सेनाओं को अपनी स्वायत्तता और महत्व कम होने की संभावना है। उन्हें आशंका है कि यदि वर्तमान पद्धति की जगह थिएटर कमांड लागू होगा तो उन्हें मिले चार सितारा रैंक (4 star rank) में कमी आएगी।

 

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