तैयार हुई भारतीय सेना: ऐसे तिब्बत में चीन का होगा खात्मा, ड्रैगन रोने पर होगा मजबूर

पू्र्वी लद्दाख के गलवान में चीन से जारी तनातनी के चलते अब ड्रैगन भारत को उत्तरी सीमाओं पर भी परेशान करने में जुटा हुआ है। लेकिन चीन की इन्ही नापाक हरकतों को देखते हुए भारतीय सेना (Indian Army) ने अपने पड़ोसी मुल्‍क को उसी के अंदाज में जवाब देने की तैयारियां कर ली हैं।

Update:2021-01-28 12:48 IST
चीनी सेना की इस हरकत को देखते हुए भारत की निगाहें अब तिब्‍बत पर टिक गई है। जिसके चलते भारतीय सेना अब तिब्‍बत के रास्‍ते ही चीन पर अपनी तलवार रखे हुए हैॆ।

नई दिल्‍ली। भारत के लिए पाकिस्तान के बाद अब चीन भी आफत बनता जा रहा है। पू्र्वी लद्दाख के गलवान में चीन से जारी तनातनी के चलते अब ड्रैगन भारत को उत्तरी सीमाओं पर भी परेशान करने में जुटा हुआ है। लेकिन चीन की इन्ही नापाक हरकतों को देखते हुए भारतीय सेना (Indian Army) ने अपने पड़ोसी मुल्‍क को उसी के अंदाज में जवाब देने की तैयारियां कर ली हैं। चीन लगातार तिब्‍बत (Tibet) के रास्‍ते पर भारतीय सीमा पर झोल करने की कोशिश में लगा रहता है। पर चीनी सेना की इस हरकत को देखते हुए भारत की निगाहें अब तिब्‍बत पर टिक गई है। जिसके चलते भारतीय सेना अब तिब्‍बत के रास्‍ते ही चीन पर अपनी तलवार रखे हुए हैॆ।

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सेना अपने नेटवर्क को मजबूत कर

सूत्रों से जानकारी मिली है कि भारतीय सेना अब अपने अधिकारियों को वास्‍तविक नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ तिब्बती इतिहास, संस्कृति और भाषा का अध्ययन कराने पर जोरदार तरीके से बल दे रही है।

फोटो-सोशल मीडिया

ऐसे में सेना का कहना है कि अगर चीन पर नजर रखनी है तो तिब्‍बती भाषा और संस्‍कृति का ज्ञान होना बेहद जरूरी है। इसके बाद ही तिब्‍बत में भारतीय सेना अपने नेटवर्क को मजबूत कर चीनी सेना पर नजर रख सकेगी।

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कमियों को दूर करने की आवश्यकता

बता दें, तिब्बत को लेकर ये प्रस्ताव पहली बार अक्टूबर में सेना के कमांडरों के सम्मेलन में लाया गया था। इस बारे में भारतीय सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने शिमला स्थित सेना प्रशिक्षण कमान (ARTRAC) सेना की तरफ से दिए गए प्रस्‍ताव को आगे बढ़ाने की बात कही थी।

भारतीय सेना के एक अधिकारी ने बताया कि सेना के अधिकतर अधिकारी पाकिस्‍तान की भाषा और संस्‍कृति से अच्‍छी तरह से वाकिफ हैं। लेकिन चीन और चीनी के लोगों के बारे में सेना के अधिकारियों में विशेषज्ञता की कमी है। चीन को वास्तव में समझने वाले अधिकारी संख्या में बहुत कम है। इन कमियों को दूर करने की आवश्यकता है।

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