Manipur Violence Update: मणिपुर में अब 20 जून तक इंटरनेट पर बैन, उपद्रवियों ने जलाया महिला मंत्री का घर
Manipur Violence Update: हिंसाग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में हालात अब भी बेकाबू हैं। राज्य में जातीय हिंसा को शुरू हुए करीबन डेढ माह हो चुके हैं लेकिन अब तक अमन की तलाश जारी है। दो समुदायों के बीच जारी हिंसा के दौर को खत्म करने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है।
Manipur Violence Update: हिंसाग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में हालात अब भी बेकाबू हैं। राज्य में जातीय हिंसा को शुरू हुए करीबन डेढ माह हो चुके हैं लेकिन अब तक अमन की तलाश जारी है। दो समुदायों के बीच जारी हिंसा के दौर को खत्म करने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। राज्य में 15 जून तक लगे इंटरनेट बैन को आगे 20 जून तक के लिए बढ़ा दिया गया है। बीजेपी में पूर्वोत्तर मामलों के एक्सपर्ट और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा मणिपुर क्राइसिस से पार्टी को निकालने में जुट गए हैं। उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बड़ा टास्क सौंपा है।
पिछले दिनों सरमा इसी सिलसिले में राजधानी इंफाल पहुंचे थे। उनके यहां पहुंचते ही बड़ी संख्या में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का तबादला हुआ था। नेताओं और अधिकारियों के साथ मुलाकात के दौरान हुई चर्चा और राज्य की स्थिति का आकलन करने के बाद असम सीएम केंद्रीय गृह मंत्री को एक रिपोर्ट सौंपेंगे। खबरों के मुताबिक, शाह ने हिमंत सरमा को राज्य में हिंसा को कंट्रोल करने के लिए जरूरी कदमों का फ्रेमवर्क तैयार करने का काम सौंपा था।
क्या मणिपुर में शांति ला पाएंगे सरमा ?
उत्तर-पूर्व में भारतीय जनता पार्टी के चाणक्य माने जाने वाले असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के कंधे पर एक और बड़ी जिम्मेदारी आ गई है। अब तक सरमा पूर्वोत्तर के राज्यों में ऑपरेशन लोट्स के लिए जाने जाते थे। लेकिन अब उनके पास मणिपुर हिंसा के कारण संकट की ओर से गुजर रही उनकी पार्टी बीजेपी को इससे निकलना है। चूंकि मणिपुर एक बीजेपी शासित राज्य है, इसलिए यहां लंबे से जारी हिंसा शेष भारत में भी मोदी सरकार की फजीहत करा रही है।
विपक्ष लगातार इस मसले को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्य में हिंसा में जा रही लोगों की जान के लिए सीधे बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि मणिपुर में मानवता की आवाज डूब गई है। मोदी सरकार पूर्वोत्तर भारत को लेकर बेशर्मी से ढोल पीटती है। उन्होंने कभी कांग्रेसी रहे असम सीएम हिमंता सरमा को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि उन्होंने चुनाव जीतने के लिए विद्रोहियों से हाथ मिलाया था, इसलिए राज्य में आज ये हालात हैं।
मणिपुर में मंत्री भी सुरक्षित नहीं
हिंसा की आग में झुलसे मणिपुर में आम लोग क्या बड़े पद पर बैठे लोग भी सुरक्षित नहीं हैं। विधायकों पर हमले के बाद अब मंत्री भी टारगेट पर हैं। बुधवार रात को राजधानी इंफाल के पश्चिमी इलाके में स्थित उद्योग मंत्री और बीजेपी विधायक नेमचा किमजेन के सरकारी आवाज को अज्ञात उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया। किमजेन और उनके परिवार की जान इसलिए बच पाई क्योंकि घटना के दौरान वे घर में मौजूद नहीं थे। नेमचा किमजेन उन सात कुकी विधायकों में शामिल हैं, जो 2022 में बीजेपी के टिकट पर चुनावी जीते थे। साथ ही वह राज्य की एकमात्र महिला मंत्री भी हैं। सरकार में होने के बावजूद किमजेन ने कुकी क्षेत्र के लिए अलग प्रशासन की मांग की है।
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मंगलवार को गई थी 9 लोगों की जान
इससे पहले मंगलवार की रात को मणिपुर में भयानक हिंसा हुई थी। कांगपोकी जिले के एक मैतेई बहुल गांव पर नागरिकों पर कुछ हथियारबंद उपद्रवियों ने अचानक हमला बोल दिया। इस हमले में 9 लोगो की जान चली गई और 10 लोग घायल हो गए।
बता दें कि मणिपुर में 3 मई से जारी हिंसा में जान गंवाने वाले लोगों का आंकड़ा 150 के करीब पहुंचने को है। इस हिंसा में साढ़े 350 के करीब लोग घायल हुए हैं। 47 हजार से अधिक मणिपुरी राहत शिविरों में रह रहे हैं। एसटी स्टेटस को लेकर मैतेई और कुकी समुदाय में छिड़ी जंग ने राज्य को एक ऐसा घाव दिया है, जिसे भरने में लंबा वक्त लगेगा।