IPS से कांपे आतंकी: शर्मीली लड़की आज ऐसे बनी योद्धा, मिली ये कमान

एक ऐसी लड़की जो बचपन में शांत-शांत सी रहती थी, घर से बाहर निकलने में हिचकिचाती थी, जरा-सी बात होने पर डरती थी। वही लड़की आज दुश्मनों को सबक सीखा रही है। वह आज महिला सशक्तीकरण की मिसाल बन चुकी है।

Update:2020-09-06 17:05 IST
एक ऐसी लड़की जो बचपन में शांत-शांत सी रहती थी, घर से बाहर निकलने में हचकिचाती थी, जरा-सी बात होने पर डरती थी। वही लड़की आज दुश्मनों को सबक सीखा रही है। वह आज महिला सशक्तीकरण की मिसाल बन चुकी है।

श्रीनगर : एक ऐसी लड़की जो बचपन में शांत-शांत सी रहती थी, घर से बाहर निकलने में हिचकिचाती थी, जरा-सी बात होने पर डरती थी। वही लड़की आज दुश्मनों को सबक सीखा रही है। वह आज महिला सशक्तीकरण की मिसाल बन चुकी है। चारू सिन्हा जोकि तेलंगाना में भ्रष्टाचार और बिहार में नक्सलियों के खिलाफ अभियान में नेतृत्व क्षमता साबित कर चुकीं है, अब कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं। इस महिला को आज पूरा देश सलाम कर रहा है।

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महानिरीक्षक रैंक की पहली महिला

सन् 1996 बैच की आंध्र प्रदेश कैडर की ये आइपीएस(IPS) अधिकारी कश्मीर में सीआरपीएफ(CRPF) में महानिरीक्षक रैंक की पहली महिला आइपीएस अधिकारी बनी हैं। हैदराबाद स्थित सेंट फ्रांसिस कॉलेज फॉर वूमेन से स्नातक की और उसके बाद उन्होंने हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सटिी से पॉलिटिकल साइंस में एमए किया। इनके साहस और निडरता के चर्चे बेटियों को दिये जाते हैं।

बता दें, कश्मीर से पूर्व जम्मू में बतौर आइजी सीआरपीएफ रहीं चारू सिन्हा को श्रीनगर सेक्टर की जिम्मेदारी मिली, इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इसके अधीन श्रीनगर, बडगाम और गांदरबल जिले आते हैं। कश्मीर स्थित सीआरपीएफ का ग्रुप सेंटर, श्रीनगर एयरपोर्ट भी इनके अधीन रहेगा। इस सेक्टर में दो रेंज, 22 एक्जीक्यूटिव यूनिट और तीन महिला सीआरपीएफ कंपनियां हैं।

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सबसे बड़ी चुनौती

चारू सिन्हा के बारे में कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ एजाज अहमद वार ने कहा कि उनका प्रोफाइल शानदार है। उसे देखकर उनसे यहां उम्मीदें बहुत ज्यादा हैं। इस समय कश्मीर में सुरक्षाबलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती नए आतंकियों की भर्ती रोकना है। आतंकी बने युवाओं को किसी तरह मुख्यधारा में लाना है।

आगे उन्होंने कहा कश्मीर में सीआरपीएफ पहले ही जनसंपर्क और जनसहयोग के कई कार्यक्रम चला रही है, अब देखना यह है कि वह कैसे इन युवाओं की भर्ती पर रोक लगाते हुए आतंकियों के सरेंडर के लिए जमीन तैयार करती हैं।

फोटो-सोशल मीडिया

पुरानी यादों और बचपन की आदतों का जिक्र चारू सिन्हा ने एक साक्षात्कार किया। उन्होंने बताया था कि वह पिता के साथ अक्सर पुटपर्थी में स्थित सत्य साईं के दरबार में जाती थीं। वहां उनके अंदर नया विश्वास जगा और जीवन को समझने-देखने का एक नजरिया मिला और फिर सबकुछ बदल गया।

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आतंकरोधी अभियान की कमान पहली बार महिला अधिकारी

उन्होंने बताया, जब वह आइपीएस अधिकारी बनीं तो उस दौर में बहुत कम युवतियां पुलिस में होती थीं। आइपीएस अधिकारी बनने के बाद शुरुआती दौर में अक्सर मीडिया उनके पीछे रहता था। कई बार लगता कि निजी जिंदगी खत्म हो गई है, खैर बाद में इसकी आदत हो गईं।

कश्मीर में कानून-व्यवस्था से लेकर आतंकरोधी अभियान तक की कमान पहली बार किसी महिला अधिकारी को सौंपी गई है। यह जिम्मेदारी मिली है 1996 बैच की आइपीएस अधिकारी चारू सिन्हा को, जिन्हें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के श्रीनगर सेक्टर की आइजी बनाया गया है।

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