ISRO की एक और बड़ी कमर्शियल उपलब्धि, सिंगापुर का उपग्रह होगा लांच

ISRO: डीएस-एसएआर उपग्रह सिंगापुर सरकार और एसटी इंजीनियरिंग के बीच साझेदारी के तहत डेवलप किया गया है और इसे रविवार को सुबह 06.30 बजे लॉन्च किया जाना है।

Update:2023-07-29 13:05 IST
ISRO (photo: social media )

ISRO: इसरो का पीएसएलवी-सी56 रॉकेट सिंगापुर के डीएस-एसएआर उपग्रह को ले जाने के लिए तैयार है। 30 जुलाई को होने वाली लॉन्चिंग के साथ भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष बिजनेस में और आगे बढ़ जाएगा। ये प्रक्षेपण इसरो के लिए महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

क्या है ये उपग्रह

- डीएस-एसएआर उपग्रह सिंगापुर सरकार और एसटी इंजीनियरिंग के बीच साझेदारी के तहत डेवलप किया गया है और इसे रविवार को सुबह 06.30 बजे लॉन्च किया जाना है।

- डीएस-एसएआर एक सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) उपग्रह है, जिसका मतलब है कि यह पृथ्वी की सतह की इमेज बनाने के लिए रडार का उपयोग करता है।

- एसएआर उपग्रह दिन हो या रात, सभी मौसम स्थितियों में काम कर सकते हैं और बादलों और कोहरे में घुसकर जमीन की तस्वीरें ले सकते हैं।

- डीएस-एसएआर उपग्रह को 500 किलोमीटर की ऊंचाई पर कक्षा में स्थापित किया जाएगा।

- उपग्रह की चौड़ाई 50 किलोमीटर और पूरे पोलारिमेट्री पर रेजोल्यूशन 1 मीटर होगा। यानी किसी भी समय पृथ्वी की सतह की विस्तृत तस्वीरें बनाने में सक्षम होगा।

- डीएस-एसएआर उपग्रह का वजन सिर्फ 360 किलोग्राम है, जो पीएसएलवी के मुख्य चरण की क्षमताओं के भीतर है।

- इस उपग्रह का उपयोग सिंगापुर सरकार द्वारा विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाएगा, जिसमें बाढ़, भूकंप और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान का आकलन करने के लिए आपदा प्रतिक्रिया भी शामिल है। उपग्रह की हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग के कारण, इसमें भूमि उपयोग की निगरानी करने, वनों की कटाई को ट्रैक करने और अवैध कटाई की पहचान करने की क्षमता है।

- उपग्रह की इमेजिंग का उपयोग शिपिंग यातायात की निगरानी करने, अवैध मछली शिकार का पता लगाने और सिंगापुर की सीमाओं पर संभावित खतरों को ट्रैक करने के लिए किया जाएगा।

- डीएस-एसएआर उपग्रह का उपयोग वाणिज्यिक ग्राहकों द्वारा तेल और गैस की खोज, कृषि और बुनियादी ढांचे की निगरानी जैसे विभिन्न कामों के लिए किए जाने की भी उम्मीद है। इसके अलावा पुलों, सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचे की स्थिति की निगरानी, जलवायु परिवर्तन को ट्रैक करने और प्रदूषण हॉटस्पॉट की पहचान करने के लिए भी किया जाएगा।

महत्वपूर्ण मील का पत्थर

पीएसएलवी-सी56 मिशन का प्रक्षेपण भारत और सिंगापुर के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा। यह मिशन पीएसएलवी रॉकेट की क्षमताओं और दोनों देशों की नवीनतम तकनीकों का प्रदर्शन करेगा। प्रक्षेपण यान अपने किसी भी स्ट्रैप-ऑन बूस्टर का उपयोग नहीं करेगा। इसका मतलब है कि वाहन छोटा पेलोड ले जाने में सक्षम होगा, इसमें कम ईंधन खर्च होगा और ये ऑपरेट करने में आसान भी होगा।

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