जानिए इसरो ने क्यों आधी रात को दुनिया का सबसे हल्का उपग्रह किया लॉन्च
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने एक बार फिर से इतिहास रचा है। इसरो ने गुरुवार देर रात श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दुनिया का सबसे हल्का उपग्रह लॉन्च किया। यह उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया।
हैदराबाद: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने एक बार फिर से इतिहास रचा है। इसरो ने गुरुवार देर रात श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दुनिया का सबसे हल्का उपग्रह लॉन्च किया। यह उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया। इसरो के पीएसएलवी-सी44 रॉकेट ने गुरुवार को श्रीहरिकोटा से भारतीय सेना का उपग्रह माइक्रोसैट और छात्रों का उपग्रह कलामसैट लेकर अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थी। लेकिन पांच महीने में यह दूसरा ऐसा मौका था जब सैटलाइट का प्रक्षेपण रात के वक्त किया गया हो।
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'सैटलाइट की जरूरत पर निर्भर करता है समय'
लॉन्चिंग का समय निर्धारित करने में सैटलाइट माइक्रोसैट-आर ने मुख्य भूमिका निभाई। लॉन्चिंग के समय पर इसरो के चेयरमैन के सिवन ने कहा कि सैटलाइट की जरूरत के हिसाब से समय का चुनाव किया गया।
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इसरो के चेयरमैन के सिवन ने बताया, 'लॉन्च का समय सैटलाइट की जरूरत पर निर्भर करता है। यहां वह चाहते थे कि सैटलाइट भूमध्यरेखा के दक्षिणी छोर से उत्तरी छोर में 12 बजे के करीब पार करे, यह सूरज की रोशन की स्थिति के कारण हो सकता है। उन्होंने आगे बताया, 'हमारा लॉन्चर भूमध्य रेखा के उत्तर से दक्षिण की ओर जाता है। इसलिए सैटलाइट की जरूरत को देखते हुए हमने रात में प्रक्षेपण कराया।'
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'कब तस्वीरें लेना शुरू करे सैटलाइट'
उन्होंने कहा, 'सैटलाइट टीम इस बात को तय करती है कि सैटलाइट कब तस्वीरें लेना शुरू करे। यह सर्वाधिक सूर्य की रोशनी में हो सकता है या फिर कम बादलों की स्थिति में। लॉन्च का समय उस पर निर्धारित किया जाता है। बता दें कि उड़ान के कुछ मिनटों बाद ही इसरो ने माइक्रोसैट-आर को उसकी वांछित कक्षा में स्थापित कर दिया।