Vice President Election Result: जगदीप धनखड़ ने जीता चुनाव, मार्गरेट अल्वा को बड़े अंतर से हराया, होंगे देश के 14वें उपराष्ट्रपति
Vice Presidential Election 2022: 71 वर्षीय जगदीप धनखड़ राजस्थान के प्रभावशाली जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। वे झुंझुनू से लोकसभा सांसद रह चुके हैं। राजस्थान की सियासत में वे एक वक्त चर्चित चेहरा रहे हैं।
Vice Presidential Election 2022: एनडीए के प्रत्याशी जगदीप धनखड़ ने देश के उपराष्ट्रपति का चुनाव जीत लिया है। जैसा की चुनाव के पहले ही यह स्पष्ट था की आंकड़ों के लिहाज से उनका पलड़ा विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अलावा पर काफी भारी है। ऐसे में उन्होंने अपने विपक्षी यूपीए की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा पर एक आसान जीत दर्ज कर ली है। आज हुए मतदान में जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले तो वहीँ उनके प्रतिद्वंदी UPA उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले। आज हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में 15 वोट इनवैलिड घोषित किये गए।
कितने पड़े वोट
संसद के दोनों सदनों लोक सभा और राज्य सभा के कुल 780 सांसदों में से 725 ने मतदान किया। कुल 92.94 प्रतिशत मतदान हुआ। कुल 710 मत यानी 97.93 प्रतिशत वोट वैध पाए गए। जगदीप धनखड़ ने 528 वोट प्राप्त कर जीत दर्ज की। वहीँ विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 182 वोटों से संतोष करना पड़ा।
चुनावी गणित
16 वें उप-राष्ट्रपति चुनाव के लिए, इलेक्टोरल कॉलेज में राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य, राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्य और लोकसभा के 543 निर्वाचित सदस्य होते हैं, यानी कुल 788 सदस्य होते हैं। आज कुल 725 सांसदों ने अपना वोट डाला। भाजपा के सनी देओल और संजय धोतरे ने स्वास्थ्य कारणों से मतदान में हिस्सा नहीं लिया। टीएमसी सांसदों ने मतदान से दूर रहने का फैसला किया था। जगदीप धनखड़, जनता दल (यूनाइटेड), वाईएसआरसीपी, बसपा, अन्नाद्रमुक और शिवसेना जैसे क्षेत्रीय दलों के समर्थन से, 346 से अधिक मतों के साथ आसान जीत दर्ज की है।
आम आदमी पार्टी (आप), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के समर्थन से अल्वा को 200 से अधिक वोट मिलने की संभावना है। जाहिर तौर पर विपक्षी खेमा एक बार फिर बंटा हुआ है। संसद में कांग्रेस के बाद दोनों सदनों में 39 सांसदों के साथ दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने वोट से दूर रहने का फैसला किया। हलाकि TMC के दो सांसदों ने मतदान में हिस्सा लिया। वहीँ सपा और शिव सेना के दो-दो सांसद और बसपा के एक सांसद ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
धनखड़ का परिचय
71 वर्षीय जगदीप धनखड़ राजस्थान के प्रभावशाली जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। वे झुंझुनू से लोकसभा सांसद रह चुके हैं। राजस्थान की सियासत में वे एक वक्त चर्चित चेहरा रहे हैं।और राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी हैं। वह कानून, सियासत, सियासी दांवपेंच औऱ हर पार्टी के अंदर अपने संबंधों की महारत के लिए जाने जाते हैं।
झुंझुनूं से जगदीप धनखड़ 1989 से 1991 तक जनता दल से सांसद रहे हालांकि बाद में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। अजमेर से कांग्रेस के टिकट पर वे लोकसभा चुनाव हार गए थे। फिर 2003 में बीजेपी में शामिल हो गए, और अजमेर के किशनगढ़ से विधायक चुने गए।
जगदीप धनखड़ सिर्फ नेता ही नहीं, माने हुए वकील भी हैं। वे उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता रहे हैं तथा राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं।
शिक्षा
जगदीप धनखड़ ने महाराजा कॉलेज, जयपुर से 3 साल का बीएससी (ऑनर्स) किया। इसके बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय में एलएलबी पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया और वर्ष 1978-1979 में उत्तीर्ण किया। जगदीप धनखड़ की स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय में अकादमिक पृष्ठभूमि सभी में विशिष्ट रही है।
1979 में उन्होंने राजस्थान बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में रजिस्ट्रेशन किया था। वे 1990 में राजस्थान के उच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित हुए और 30 जुलाई, 2019 को राज्यपाल के पद की शपथ लेने तक राज्य के वरिष्ठतम नामित वरिष्ठ अधिवक्ता थे।
1990 से जगदीप धनखड़ मुख्य रूप से सर्वोच्च न्यायालय में प्रैक्टिस भी कर रहे थे और उनका खास फोकस क्षेत्र स्टील, कोयला, खान और अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता, अन्य के बीच रहा है। वह देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में पेश हुए हैं।
वर्ष 1987 में सबसे कम उम्र में राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन, जयपुर के अध्यक्ष चुने गए। वर्ष 1988 में वह राजस्थान बार काउंसिल के निर्वाचित सदस्य बने।
विधानमंडल
जगदीप धनखड़ वर्ष 1989 में झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए। 1990 में वह एक संसदीय समिति के अध्यक्ष बने। वे 1990 में केंद्रीय मंत्री बने। वर्ष 1993-1998 में वह अजमेर जिले के किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से राजस्थान विधान सभा के लिए चुने गए।
लोकसभा और राजस्थान विधानसभा दोनों में, वह महत्वपूर्ण समितियों का हिस्सा थे। वह केंद्रीय मंत्री रहते हुए यूरोपीय संसद में एक संसदीय समूह के उप नेता के रूप में एक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।