Jallianwala Bagh Massacre: 10 मिनट जब जनरल डायर ने चलवाई 1650 राउंड गोलिया, जानिए कैसा था वह दृश्य
Jallianwala Bagh: जलियांवाला बाग हत्याकांड भारतीय इतिहास में एक कलंकित घटना है। अमृतसर के जलियांवाला बाग में जब एक भीड़ शांतिपूर्ण तरीके से इकट्ठी हुई थी, तो ब्रिटिश सरकार ने उस पर गोली चलवा दी थी। जिसमें अनेक निर्दोष और निहत्थे लोग मारे गए थे। अंग्रेजों की गोली से बचने के लिए अनेक लोग उसी बाग में मौजूद एक कुएँ में कूद गए थे।
Jallianwala Bagh Hatyakand: आज की पीढ़ी जब उन कहानियों को सुनती है तो कभी रंगों में खून दौड़ जाता है तो कभी गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है। कभी आँखों में आंसू आ जाते हैं तो कभी क्रोध से मर जाते हैं। देश की आजादी के इतिहास में 13 अप्रैल का दिन एक दुखद घटना के साथ दर्ज है। सन 1919 में 13अप्रैल को जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण सभा के लिए उपस्थित हुए हजारों भारतीयों पर ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड डायर ने अंधाधुंध गोलियां बरसाई थी।
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जलियांवाला बाग हत्याकांड के 104वी बरसी पर जाने उस दिन के नरसंहार का इतिहास
पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग नाम से एक जगह है। 13 अप्रैल,1919 में इसी जगह पर अंग्रेजों ने कई भारतीयों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई थी। उस कांड में कई बच्चे बूढ़े महिलाएं खत्म हो गए। अंदर उपस्थित सभी लोगों को बंद कर गोलियों से छलनी कर दिया गया।
जलियांवाला बाग नरसंहार का कारण
कुछ दिन जलियांवाला बाग में अंग्रेजों के दमनकारी निति रोलेट ऐक्ट और सत्यपाल व सैफुद्दीन की गिरफ्तारी के खिलाफ़ एक सभा का आयोजन किया गया था। उस दिन पूरे शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था लेकिन फिर भी हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। कुछ लोग अपने परिवारजनों के साथ वहाँ पर लगे बैसाखी के मेले को देखने आये थे। जब ब्रिटिश हुकूमत ने जलियांवाला बाग पर इतने लोगों की भीड़ दिखी तो वह बौखला गया। अंग्रेजों को लगा की भारतीय 1857 की क्रांति को दोबारा लाना चाहते हैं। ऐसी नौबत आने से पहले ही अंग्रेज भारतीयों की आवाज को कुचलना चाहते थे और उस दिन अंग्रेजों ने गुणवत्ता की सारी हदें पार कर दी थी। उस दिन वहाँ जनरल रेजीनॉल्ड और जनरल डायर पहुंची और अपनी 90 सैनिकों को साथ जलियांवाला बाग को पूरी तरह घेर लिया। वहाँ मौजूद लोगों को चेतावनी दिए बिना ही गोलियां चलनी शुरू हो गई थी।
लाशों से भर गया कुआँ
उस दिन ब्रिटिश सैनिकों ने महत्त्व मिनट में 1650 राउंड गोलियां चलाई थीं और वहाँ मौजूद लोग बाहर नहीं निकल पाए और वहीं फस कर उनकी मृत्यु हो गई। अंग्रेजों की गोलियों से बचने के लिए सभी वहाँ बने कुएं में कूद गए। जलियाँवाला बाग़ में शहीद होने वालों का आँकड़ा आज भी नहीं पता चल सका। सभी सरकारी कार्यालय द्वारा शहीदी के अलग अलग आँकड़े दिए गए है लेकिन लगभग 1000 से अधिक लोग oइस घटना में शहीद हुए थे। इस अधिनियम का महात्मा गांधी सहित कई नेताओं ने विरोध किया था। गांधी जी ने इसी अधिनियम के विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन पूरे देश में शुरू किया था।
जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद क्या हुआ
जलियांवाला नरसंहार के बाद जनरल डायर पर उठे सवाल। इस नरसंहार की निंदा भारत के हर नेता ने की थी और इस घटना के बाद हमारे देश को आजाद करवाने की कवायाद और तेज हो गई थी. लेकिन ब्रिटिश सरकार के कुछ अधिकारियों ने डायर के द्वारा किए गए इस नरसंहार को सही करार दिया था। बेकसूर लोगों की हत्या करने के बाद जब डायर ने इस बात की सूचना अपने अधिकारी को दी, तो लेफ्टिनेंट गवर्नर मायकल ओ ड्वायर ने एक पत्र के जरिए कहा कि डायर ने जो कार्रवाई की थी, वो एकदम सही थी और हम इसे स्वीकार करते हैं।
जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद रवींद्रनाथ टैगोर ने वापस ली अपनी उपाधि
जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी नाइटहुड की उपाधि वापस ले ली थी। टैगोर ने लॉर्ड चेम्सफोर्ड, जो की उस समय भारत के वायसराय थे, उनको पत्र लिखते हुए इस उपाधि को वापस करने की बात कही थी।
जनरल डायर की हत्या
डायर सेवानिवृत होने के बाद लदंन में अपना जीवन बिताने लगे. लेकिन 13 मार्च 1940 का दिन उनकी जिंदगी का आखिरी दिन साबित हुआ. उनके द्वारा किए गए हत्याकांड का बदला लेते हुए उधम सिंह ने केक्सटन हॉल में उनको गोली मार दी।