झारखंड उपचुनावः चाय की चुस्की लेे रहे CM सोरेन, पारा मिलिट्री की मांग कर रही BJP

3 नवंबर को दुमका और बेरमो विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। भाई बसंत सोरेन को विधायक बनाने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रचार-प्रसार की कमान संभाल ली है।

Update:2020-10-24 12:34 IST

रांची - छोटे भाई बसंत सोरेन को विधायक बनाने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिनरात लगे हुए हैं। पिछले कई दिनों से सीएम राजधानी रांची छोड़कर उप राजधानी दुमका में डेरा जमाए हुए हैं। इस दौरान वे अपनी पसंदीदा चाय पीना नहीं भूलते हैं। मीडिया के घूरते कैमरों के बीच हेमंत कहते हैं कि, जब भी वे दुमका आते हैं यहां की चाय ज़रूर पीते हैं।

दुमका- बेरमो विधानसभा सीट पर उपचुनाव

03 नवंबर को दुमका के साथ ही बेरमो विधानसभा सीट पर उप चुनाव होना है। लिहाज़ा, हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री के तौर पर कम और बड़े भाई की भूमिका में ज्यादा नज़र आ रहे हैं। प्रचार-प्रसार की कमान खुद हेमंत सोरेन ने संभाल रखी है। इस बीच प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा को चुनाव के दौरान मारपीट और हिंसा का डर सताने लगा है। लिहाज़ा, पार्टी ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से मिलकर दुमका में पारा मिलिट्री की निगरानी में मतदान कराने की मांग की है। पार्टी का आरोप है कि, भाजपा के कार्यकर्ताओं को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है।

दुमका उप चुनाव बना नाक की लड़ाई-

दुमका विधानसभा सीट भाजपा से अधिक झामुमो के लिए नाक की लड़ाई बन गया है। संताल परगना क्षेत्र में पड़ने वाली इस सीट पर कई बार झामुमो का कब्जा रहा है। संताल परगना को पार्टी अपनी कर्मभूमि मानती आई है। पिछले विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन ने दुमका के साथ ही बरहेट से चुनाव लड़ा और दोनों ही सीटों पर जीत मिली।

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बाद में हेमंत ने दुमका सीट छोड़ दी और पार्टी की ओर से छोटे भाई बसंत सोरेन को उम्मीदवार बनाया गया। पार्टी किसी भी सूरत में दुमका सीट गंवाना नहीं चाहती है। मुख्यमंत्री के लिए यह नाक की लड़ाई है। उप चुनाव में जीत-हार का झारखंड की राजनीति पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।

दूसरी तरफ भाजपा दुमका सीट को किसी भी सूरत में दोबारा पाना चाहती है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी एवं पूर्व मंत्री लुईस मरांडी को हार का मुंह देखना पड़ा। इस सीट पर जीत का परचम फहराकर भाजपा सरकार को घेरना चाहती है।

उप चुनाव में यूपीए-एनडीए की परीक्षा-

झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद यह पहला मौका है जब दोनों गठबंधनों को जनता के पास जाने का मौका मिला है। करीब 9 महीने के शासन से जनता कितनी खुश है या फिर कितनी त्रस्त इसका अंदाज़ा लग जाएगा। यूपीए दुमका उप चुनाव में केंद्र के सौतेलेपन का सवाल लेकर जनता के पास जा रही है। मुख्यमंत्री खुद डीवीसी के नाम पर सरकार के खाते से राशि काटने का मामला, तीन मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन लेने की इजाज़त नहीं देने का मामला और कोरोना काल में राज्य के साथ सौतेला व्यवहार का मुद्दा उठा रहे हैं।

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दूसरी ओर भाजपा पिछले 9 महीने के शासनकाल को फेल क़रार देते हुए जनता के पास जा रही है। पार्टी का तर्क है कि, हेमंत राज में महिलाओं के विरुद्ध अत्याचार बढ़ा है। बेरोज़गारी का निवारण नहीं हुआ और चुनावी घोषणापत्र में किए गए किसी भी वादे पर अमल नहीं हुआ है।

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सरकार पर पक्षपात का आरोप

भाजपा का आरोप है कि, उपचुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया जा रहा है। प्रशासनिक पदाधिकारी दबाव में काम कर रहे हैं। बीजेपी का आरोप है कि, कोड ऑफ कंडक्ट के बीच दुमका निवासी विवेकानंद राउत को झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन का आप्त सचिव बना दिया गया है जो आचार संहिता का उल्लंघन है। इतना ही नहीं विवेकानंद राउत खुलेआम झामुमो प्रत्याशी बसंत सोरेन का चुनावी प्रचार कर रहे हैं। लिहाज़ा, पार्टी ने चुनाव आयोग से ऐसे प्रशासनिक पदाधिकारी को बर्खास्त करने की मांग की है।

रांची से शाहनवाज़ की रिपोर्ट।

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