जिनपिंग की पसंद है महाबलीपुरम, जानें क्यों चुना गया इसको

खास बात यह है कि दोनों देशों के शिखर बैठक के लिए ये नाम चीन ने ही सुझाया था, जिस पर भारत तुरंत सहमत हो गया। महाबलीपुरम से चीन का ऐतिहासिक जुड़ाव भी है।

Update:2023-07-31 11:02 IST

नई दिल्ली: तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई और महाबलीपुरम को आज बहुत ही खूबसूरती से सजाया गया है, और सुरक्षा ​के लिहाज से इसे किले में तब्दील कर दिया गया है। वह इसलिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच आज यहां दूसरी अनौपचारिक शिखर बैठक होने जा रही है। तो आइये आपको बताते है कि आखिर महाबलीपुरम को ही क्यों चुना गया...

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खास बात यह है कि दोनों देशों के शिखर बैठक के लिए ये नाम चीन ने ही सुझाया था, जिस पर भारत तुरंत सहमत हो गया। महाबलीपुरम से चीन का ऐतिहासिक जुड़ाव भी है।

1984 से ही एक विश्व धरोहर स्थल है महाबलीपुरम

मामल्लपुरम यानी महाबलीपुरम 1984 से ही एक विश्व धरोहर स्थल है। स्थान चयन में निर्णायक कारक-दक्षिणी भारत और चीन के बीच का ऐतिहासिक संबंध है। सातवीं सदी में भारत आए ह्वेन त्सांग ने अपने यात्रा वृत्तांत में कांचीपुरम का उल्लेख किया है। पल्लव और चोल राजाओं के काल में इज जगह एक प्रमुख बंदरगाह था, जहां चीन के कारोबारी आया करते थे।

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इन्होंने सुझाया था नाम

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत में चीन के पूर्व राजदूत और मौजूदा उप विदेश मंत्री लु झाओहुई ने ममल्लापुरम को चुना। वह ममल्लापुरम के ऐतिहासिक महत्व से अच्छी तरह वाकिफ थे। उन्हें चीन के साथ इस प्राचीन नगर के ऐतिहासिक रिश्तों के बारे में जानकारी थी। जब चीन ने अपनी पसंद का इजहार किया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत हामी भर दी।

'गो बैक मोदी' का 'वेलकम मोदी' क्यों कर रहा ट्विटर पर ट्रेंड

तमिलनाडु बीजेपी के नेता भी बहुत जोश में नजर आ रहे हैं। बीजेपी के राज्य सचिव प्रफेसर आर. श्रीनिवासन कहते हैं, 'अब तक यहां विपक्ष का 'गो बैक मोदी' नारा चलता रहा है। लेकिन अब डीएमके चीफ एम. के. स्टालिन समिट के लिए महाबलीपुरम को चुनने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद दे रहे हैं। लेकिन अब यह नारा बदल गया है। वे 'वेलकम मोदी' बोल रहे हैं।

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बता दें कि पीएम मोदी जब भी कभी तमिलनाडु दौरे पर पहुंचे हैं तब विपक्षी पार्टियां खासकर डीएमके ट्विटर पर 'गो बैक मोदी' हैशटैग को ट्रेंड कराती रही हैं।

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