कौन हैं एयर कोमोडोर कश्मीरी हिलाल? जिन्होंने राफेल में लगवाए खतरनाक हथियार
भारतीय वायुसेना ही पूरे देश के लिए बुधवार का दिन गर्व करने का दिन है। जिस लड़ाकू विमान राफेल का सभी को बड़ी ही बेसब्री से इंतजार था वो बुधवार को भारत पहुंचेगा।
नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना ही पूरे देश के लिए बुधवार का दिन गर्व करने का दिन है। जिस लड़ाकू विमान राफेल का सभी को बड़ी ही बेसब्री से इंतजार था वो बुधवार को भारत पहुंचेगा। राफेल की पहली खेप की लैंडिंग अम्बाला के एयरबेस पर होगी। इसके बाद भारतीय वायुसेना की ताकत आज कई गुना बढ़ने वाली है।
अंबाला एयरबेस से सटे चार गांव में धारा 144 लगा दी गई है। हालांकि, सिर्फ अंबाला ही नहीं बल्कि राजस्थान के जोधपुर में भी तैयारियां की जा रही हैं। जिसे बैकअप के तौर पर तैयार किया जा गया है। अब हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में जिसका नाम शुरू से राफेल के साथ हुआ है। जी हां वो शख्स हैं एयर कोमोडोर हिलाल अहमद राठेर।
जब राफेल लड़ाकू विमानों ने फ्रांस से भारत के लिए उड़ान भरी तो उस समय पैरिस में एयर कोमोडोर हिलाल अहमद राठेर वहीं मौजूद थे। वह फ्रांस में भारत के एयर अताशे हैं। हिलाल के साथ ही फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ और राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉ एविएशन के चेयरमैन एरिक ट्रैपियर भी इस समारोह में शामिल हुए थे।
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एयर कोमोडोर हिलाल अहमद जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के रहने वाले हैं। एयर कोमोडोर हिलाल अहमद राठारे ने न सिर्फ राफेल की वक्त पर डिलीवरी सुनिश्चित कराई बल्कि उन्होंने इसमें भारत की जरूरतों के मुताबिक हथियारों को भी लगवाने का काम किया। अब कोमोडेर हिलाल का नाम राफेल के साथ हमेशा-हमेशा के लिए जुड़ गया है।
जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह फ्रांस पहुंचे थे तो वो अक्टूबर, 2019 में पेरिस में राफेल की शस्त्र पूजा के समय भी काफी ऐक्टिव थे। बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बीते साल फ्रांस जाकर राफेल की शस्त्र पूजा की थी।
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एयर कोमोडोर हिलाल अहमद राठेर का जन्म मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। हिलाल के पिता मरहूम मोहम्मद अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर पुलिस डिपार्टमेंट से बतौर डेप्युटी एसपी पद से रिटायर हुए थे। हिलाल की तीन बहनें हैं और अपने परिवार में वो अकेले ही भाई हैं।
हिलाल अहमद राठेर ने जम्मू जिले के नगरोता टाउन स्थित सैनिक स्कूल से पढ़ाई की। उन्होंने डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज (DSSC) से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। वह अमेरिका के एयर वॉर कॉलेज से भी ग्रेजुएट हैं। नेशनल डिफेंस अकैडमी (एनडीए) में उन्होंने 'सॉर्ड ऑफ ऑनर' हासिल किया।
17 दिसंबर, 1988 को वह एक फाइटर पायलट के रूप में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए थे। 1993 में वो फ्लाइट लेफ्टिनेंट, 2004 में विंग कमांडर, 2016 में ग्रुप कैप्टन और फिर 2019 में एयर कोमोडोर के पद पर तैनात हुए।
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हिलाल के पास 3000 घंटे तक मिग-21, मिराज- 2000 और किरन एयरक्राफ्ट उड़ाने का अनुभव हासिल है। इंडियन एयर फोर्स की वेबसाइट पर उनके करियर डिटेल्स के बारे में जानकारी दी गई है जिसमें एयर कोमोडोर हिलाल अहमदको दुनिया के सर्वोत्तम फ्लाइंग ऑफिसरों में शुमार बताया गया है।
एयर कोमोडोर हिलाल अहमद राठेर को 2010 में वायु सेना मेडल से सम्मानित किया गया था। उस समय वो विंग कमांडर हुआ करते थे। 2016 में उन्हें विशिष्ट सेना मेडल से भी सम्मानित नवाजा गया है। उस वक्त वो ग्रुप कैप्टन थे
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