कठुआ कांड: नहीं मिली थी पीड़िता के शव को दफनाने की जगह, जानें इससे जुड़ी अनसुनी बातें
कठुआ में अल्पसंख्यक घुमंतू समुदाय की आठ साल की मासूम को घोड़ों को चराते समय कथित रूप से 10 जनवरी 2018 अगवा करने के बाद एक मंदिर में बंधक बनाकर सामूहिक बलात्कार किया गया और 13 जनवरी को उसकी हत्या कर दी गई थी।
जम्मू: बहुचर्चित कठुआ सामूहिक दुष्कर्म व हत्याकांड में आज फैसला सुनाया जा रहा है। सात में से छह आरोपियों को दोषी करार दिया गया है। एक को बरी कर दिया गया है। वहीं मामले में सजा का एलान अभी बाकी है।
मंदिर के संरक्षक व ग्राम प्रधान सांझी राम, एसपीओ सुरेन्द्र कुमार, विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया, सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता, हेड कांस्टेबल तिलक राज और प्रवेश कुमार को दोषी करार दिया गया है। सांझी राम के बेटे विशाल को बरी कर दिया गया है।
क्या था मामला कठुआ कांड
कठुआ में अल्पसंख्यक घुमंतू समुदाय की आठ साल की मासूम को घोड़ों को चराते समय कथित रूप से 10 जनवरी 2018 अगवा करने के बाद एक मंदिर में बंधक बनाकर सामूहिक बलात्कार किया गया और 13 जनवरी को उसकी हत्या कर दी गई थी।
कठुआ के गांव के इस मंदिर के संरक्षक और दो पुलिसकर्मियों समेत आठ लोगों को करीब दो महीने बाद उनकी कथित संलिप्तता को लेकर गिरफ्तार किया गया था। लेकिन मामला इसके बाद ज्यादा बड़ा हो गया था।
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दरिंदगी की हद तक गए आरोपी
चार्जशीट में दरिंदगी की एक और बानगी दिखती है। इसके मुताबिक जब सभी आरोपी मासूम से बारी-बारी से रेप कर रहे थे, तब नाबालिग ने मेरठ में पढ़ने वाले अपने चचेरे भाई को फोन करके कहा कि अगर वह 'मजा लूटना चाहता' है तो आ जाए। इतना ही नहीं चार्जशीट के मुताबिक, बच्ची को मारने से ठीक पहले एक पुलिस अधिकारी ने उन्हें कुछ देर के लिए रोका, क्योंकि वह अंतिम बार फिर रेप करना चाहता था। इसके बाद दूसरों ने भी फिर से बच्ची का रेप किया।
चार्जशीट में कहा गया है कि रेप के बाद उसकी हत्या कर दी गई। मारने के बाद भी आरोपियों ने यह सुनिश्चित करने के लिए मासूम मर जाए, उसके सिर पर पत्थर से कई वार किए। बाद में जांच के दौरान राम ने पुलिसकर्मियों को मामला दबाने के लिए 1.5 लाख रुपये की रिश्वत भी दी। जबकि मामले में कार्रवाई रिपोर्ट लिखने के करीब दो महीने बाद शुरू हुई।
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कौन-कौन साबित हुआ कठुआ कांड में दोषी
आरोपियों में सांझी राम, सब-इंस्पेक्टर आनंद दत्ता, दो विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा, हेट कॉन्स्टेबल तिलक राज और स्थानीय नागरिक प्रवेश कुमार को दोषी करार दिया गया है।
इनके खिलाफ रेप, मर्डर और साक्ष्यों को छिपाने की अलग-अलग धाराओं में मामला दर्ज किया गया है, जबकि सांझी राम के बेटे विशाल को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है।
मामले में रेप नहीं हुआ, यह साबित करने में लग थे संगठन
कई अलग-अलग मौकों पर यह साबित करने की कोशिश की गई कि कठुआ मामले में रेप नहीं हुआ है। यह हत्या का मामला है। देश के एक प्रतिष्ठित अखबार ने पहले पन्ने पर कठुआ मामले में नहीं हुआ है रेप जैसे शीर्षक से खबर प्रकाशित की।
लेकिन स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर जे के चोपड़ा ने कहा कि पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों ने हाल में चीफ ज्यूडिशियरी मजिस्ट्रेट की अदालत के सामने अपना बयान दर्ज कराया।
जम्मू-कश्मीर पुलिस की क्राइम ब्रांच का प्रतिनिधित्व करने वाले चोपड़ा के अनुसार, डॉक्टरों ने कहा कि पीड़ित का यौन उत्पीड़न हुआ था और उन्होंने उसकी मौत के लिए दम घुटने को कारण बताया।
आरोपियों को बचाने की हुई कवायद, निकाली गई थी तिरंगा यात्रा
4 मार्च को हिंदू एकता मंच की रैली में शामिल हिमांशु कुमार ने कहा कि आरोप पत्र में लगाए गए सारे आरोप गलत हैं। उनका कहना है कि केस को सीबीआई को सौंपना चाहिए।
उनका कहना है कि क्राइम ब्रांच की जांच मनगढ़ंत है। उनका कहना है कि जो लोग गिरफ्तार किए गए हैं उनको पीटा गया है। आखिर एक बच्ची के रेप में इतने सारे लोग कैसे शामिल हो सकते हैं।
इसी तरह की बात हिंदू एकता मंच के अध्यक्ष व बीजेपी के राज्य सचिव, एडवोकेट विजय शर्मा का कहना है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने अपने मन से कहानी बनाकर चार्जशीट दाखिल किया है।
इनका कोई आधार नहीं है। शर्मा ने कहा कि आप को क्या लगता है बाप और बेटे दोनों ने एक साथ मिलकर किसी का रेप करेंगे और उसकी हत्या कर देंगे। हम इस जांच को नहीं मानते।
उन्होंने क्राइम ब्रांच द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कैसे संभव है कि किसी बच्ची को 'देवीस्थान' पर बंधक बना के रखा जाए, जबकि वहां मंदिर में रोज़ाना इतने लोग आते जाते हैं। कुछ कश्मीर आधारित पार्टियां इसे मुद्दा बनाना चाहती है। आखिर केस को सीबीआई को सौंपने में क्या दिक्कत है।
मंत्रियों ने किया था आरोपियों का बचाव
तत्कालीन जम्मू कश्मीर के विपक्षी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से उनके मंत्रिमंडल के दो सदस्यों को बर्खास्त करने की मांग की थी। इन मंत्रियों ने कठुआ बलात्कार और हत्या मामले में आरोपियों का बचाव करने का कथित तौर पर प्रयास किया था।
बैंक कर्मी ने कहा था अच्छा हुआ मर गई नहीं तो बड़ी होकर बनती सुसाइड बांबर
दूसरी तरफ कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ हुई ज्यादती और हत्या को सही बताने वाले केरल के पूर्व बैंक कर्मी के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
बैंक कर्मी ने फेसबुक पर टिप्पणी की थी कि 'अच्छा हुआ मर गई नहीं तो बड़ी होकर सुसाइड बमर बनती'। इस टिप्पणी के वायरल होने के बाद बैंक ने कर्मी की सेवा समाप्त कर दी थी।
मंत्रियों को देना पड़ा था इस्तीफा
कठुआ रेप केस को जब भी याद किया जाएगा तो इसकी कई तस्वीरें जहन में आएंगी। ये वो मामला था जिसने देवभूमि समेत पूरे देश को रुलाया। आम आदमी से लेकर बॉलीवुड का सुपरस्टार बच्ची को इंसाफ दिलाने सामने आया।
लेकिन इस घटना के साथ कुछ ऐसा भी जुड़ा है जो आजतक कभी नहीं हुआ। इस मामले में जिन लोगों का नाम सामने आया था, उनके समर्थन में स्थानीय लोगों ने एक तिरंगा यात्रा निकाली थी।
जिसमें लोग तिरंगा हाथ में लेकर सामने आए थे, समर्थन में रैली भी हुई थी। जिसमें भारतीय जनता पार्टी के नेता और तत्कालीन पीडीपी-बीजेपी सरकार में मंत्री भी शामिल हुए थे। लाल सिंह (वन मंत्री) और चंद्र प्रकाश (वाणिज्य मंत्री) ने आरोपियों के समर्थन में बयान दिया तो बवाल हो गया। राजनीतिक बवाल बढ़ा तो मंत्रियों को इस्तीफा तक देना पड़ा।
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नहीं मिली थी शव दफनाने की भी जगह
सबीना (काल्पनिक नाम) और याकूब (काल्पनिक नाम) अपने घर रासना में लौटने से डर रहे हैं। उन्हें याद है कि अपनी मृत बेटी को दफनाने के लिए किस तरह उन्हें दर-दर भटकना पड़ा था। ये दोनों कई गांव गए लेकिन किसी ने भी इन्हें दफनाने के लिए जगह नहीं दी।
आखिरकार सात किलोमीटर दूर जा कर इन्हें अपनी बेटी को दफनाना पड़ा था। गांव पहुंचने से पहले इन्हें धमकी दी जा रही है। इनकी बेटी के साथ जो कुछ भी हुआ उसके लिए इन दोनों को ही ज़िम्मेदार ठहाराया जा रहा है।