Kerala: PFI के 15 सदस्यों को मिली मौत की सजा, बीजेपी नेता की हत्या में थे शामिल

Kerala: बीजेपी नेता की हत्या में आठ आरोपी शामिल थे, जबकि बाकी आरोपियों को अन्य आपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाए जाने का दोषी ठहराया गया है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update: 2024-01-30 08:06 GMT

BJP Ranjith Sreenivasan murder  (photo: social media )

Kerala: केरल से बड़ी खबर सामने आई है। यहां प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के सदस्यों को भाजपा नेता की नृशंस हत्या के मामले में कोर्ट ने बेहद कठोर सजा सुनाई है। अदालत ने इस मामले में शनिवार को 15 आरोपियों को दोषी करार दिया था। इन दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेपी नेता की हत्या में आठ आरोपी शामिल थे, जबकि बाकी आरोपियों को अन्य आपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाए जाने का दोषी ठहराया गया है। मंगलवार को मावेलीक्कर की जिला अदालत ने सभी दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है।

जिला अदालत ने आठ आरोपियों को धारा 302 (हत्या), 149 (गैरकानूनी जमावड़ा), 449 (घर में अतिक्रमण), 506 (आपराधिक धमकी) और 341 (गलत तरीके से रोकना) का दोषी पाया है। जबकि वारदात के वक्त अन्य 9 आरोपी बीजेपी नेता के घर के बाहर हथियारों से लैस होकर पहरा दे रहे थे। इन सभी को कोर्ट ने आईपीसी की धारा 302 r/w 149 और 447 के तहत दोषी ठहराया है।

कौन-कौन हैं सजा पाने वाले दोषी ?

कोर्ट ने जिन 15 दोषियों को मौत की सजा सुनाई है, उनमें सालम, मनशाद, सफारूद्दीन, जसीब राजा, मोहम्मद असलम, अनूप, नईसम, अजमल, जाकिर हुसैन, शाजी पूवाथुंगल, अशरफ, समीर, नजीर, नवास और अब्दुल कलाम शामिल हैं। ये सभी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसकी राजनीतिक ईकाई सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) से जुड़े हुए थे।

गला रेतकर बेरहमी से हुई थी हत्या

केरल बीजेपी ओबीसी मोर्चा के सचिव रंजीत श्रीनिवासन की 19 दिसंबर 2021 को अल्लपुझा स्थित उनके घर में पत्नी और मां के सामने गला रेतकर बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। वारदात के समय रंजीत के बच्चे भी घर में मौजूद थे। पेशे से वकील रंजीत आरएसएस से भी जुड़े हुए थे और प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के निशाने पर काफी समय से थे।

ईसाई प्रोफेसर का हाथ काटने वाला आरोपी हुआ था गिरफ्तार

प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से जुड़े लोगों ने केरल में इस तरह की कई वारदातों को अंजाम दिया है। सबसे चर्चित मामला साल 2010 का है, जब एक ईसाई प्रोफेसर टीजे जोसेफ पर एर्नाकुलम जिले में हमला किया गया था। 4 जुलाई 2010 को एर्नाकुलम के मुवत्तुपुझा में प्रोफेसर जोसेफ अपने परिवार के साथ चर्च से घर लौट रहे थे। तभी रास्ते में पीएफआई के सात गुर्गों ने उनकी गाड़ी रोक दी और प्रोफेसर को खींचकर बाहर निकाला। इसके बाद उनके साथ मारपीट की गई और उनके दाहिने हाथ का पंजा काट कर अलग कर दिया। इस घटना के मुख्य आरोपी को 13 साल बाद इसी माह पिछले दिनों एनआईए ने कन्नूर जिले से पकड़ा था। उस पर 10 लाख रूपये का इनाम घोषित था।

बता दें कि पीएफआई के इन्हीं सब गतिविधियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने सितंबर 2022 में उस पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था।

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